एक्सक्लूसिव: उत्तराखंड शिक्षा विभाग का बडा खेल, सरकार की अनुमति के बिना हैपीनेस कार्यक्रम के नाम पर खर्च कर दिए लाखों रुपये !
देहरादून। निदेशक अकादमी शोध एवं प्रशिक्षण ने बिना सरकार की अनुमति के हैपीनेस कार्यक्रम को प्रदेश में लागू करने की योजना बना ली । जिसके लिए लाखों रूपये भी सरकारी खजाने से खर्च कर दिये गये है। जबकि किसी भी नीति को राज्यस्तर पर लागू करने के लिए सरकार की अनुमति आवश्यक होती है। लेकिन राज्य के अधिकारी दिल्ली सरकार से इतना प्रभावित हो गये है कि उन्हे इस योजना को लागू करने से पहले शासन को भी अवगत नहीं कराया। जिससे निदेशक शोध एवं प्रशिक्षण शिक्षा मंत्री के निशाने पर आ गयी है।
वही मामले का तत्काल संज्ञान लेते हुए शिक्षा मंत्री ने फिलहाल इस पर रोक लगा दी है । वैसे ही सरकार द्वारा प्रारम्भिक स्तर पर कई कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं, जिनकी आजतक समीक्षा तक नहीं हो पायी है। फिर चाहे मिशन कोशिश हो , प्रवेशोत्सव हो, प्रतिभा दिवस हो या अन्य कार्यक्रम। सवाल ये है की आखिर और कितने कार्यक्रम ? क्या कार्यक्रम चलाना है केवल इसलिए चलाया जाए या वाकई में इन कार्यक्रमों से शिक्षा में कोई गुणवत्ता बढ़ सकेगी। ,लेकिन इन सवालों का जवाब अलाधिकारियों के पास नहीं है। उधर शिक्षा विभाग में तैनात अधिकारियों की माने तो विद्यालय में संचालित सभी कार्यक्रमों की सूची बना ली जाए तो पता चलेगा की वास्तव में पठन पाठन के लिए तो समय ही नहीं है, क्यूँकि जब कभी भी किसी नए कार्यक्रम का उद्घाटन किया जाता है तो उस समय पिछले कार्यक्रमों की समीक्षा नहीं की जाती है । कई बार तो कार्यक्रम केवल उद्घाटन करने के लिए बनाए जाते हैं। शासन तथा मंत्री स्तर पर विभाग में चल रहे इन असंख्य कार्यक्रमों को अधिकारियों द्वारा कभी भी एक साथ नहीं रखा जाता है। जिससे छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड रहा है।