एनआरसी: भाई असम का नागरिक है.. बहन नहीं, मां नागरिक है… बेटा नहीं

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असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस की लिस्ट जारी होने के बाद कई तरह के सवाल खड़े हो गए है. लिस्ट में नाम न होने के कारण 19 लाख लोगों की पहचान पर सवाल खड़ा हो गया है और वह ‘विदेशी’ हो गए हैं. लिस्ट में नाम ना होने के उदाहरण ऐसे हैं कि भाई असम का नागरिक है और बहन नहीं, मां नागरिक है और बेटा नहीं. ऐसे में इस पर राजनीति भी तेज हो गई है, ना सिर्फ कांग्रेस बल्कि बीजेपी भी इस लिस्ट पर सवाल खड़े कर रही है. और एक सवाल जो उठ रहा है वह यही है कि 19 लाख लोगों का क्या होगा, क्या इन्हें आगे दोबारा मौका मिलेगा?

120 दिन में साबित करो नागरिकता?

31 अगस्त को लिस्ट आई तो कई सवाल खड़े हुए. लाखों लोगों का नाम लिस्ट में नहीं है. असम की सरकार की तरफ से सभी को आश्वासन दिया जा रहा है, उन्हें मौका जरूर मिलेगा. जिनका नाम लिस्ट में छूट गया है, अब उन्हें 120 दिनों का मौका दिया जाएगा ताकि वह अपनी नागरिकता को साबित कर सकें.

लिस्ट का वेरिफिकेशन करने को अभी राज्य में कुल 100 फॉरन ट्रिब्यूनल्स बने हुए हैं. अब सरकार की तरफ से 221 और फॉरन ट्रिब्यूनल्स को स्थापित की जा रही है, ताकि जिन लोगों को दिक्कत है वह अपील कर सकें. हालांकि, सवाल ये भी है कि 19 लाख जैसी बड़ी संख्या को क्या ये ट्रिब्यूनल झेल पाएंगे?

गौरतलब है कि कुल 3,30,27,661 एप्लिकेशन्स में से 3,11,21,004 लोग अपनी नागरिकता साबित कर पाए और 19 लाख लोग लिस्ट में शामिल नहीं हो सके.

जहाँ कांग्रेस ने लिस्ट को लेकर सरकार पर निशाना साधा है, तो बही बीजेपी भी इस पर सवाल खड़े कर एक बार फिर जांच की बात कह दी है. पार्टी का राज्य नेतृत्व हो, असम सरकार में बैठे लोग हों, हर किसी ने इस पर सवाल खड़े किए हैं.

एनआरसी लिस्ट में बड़ी संख्या में हिंदुओं के नाम नहीं होने के चलते पूर्वोत्तर में भारतीय जनता पार्टी के नेता हेमंत बिस्वा शर्मा ने कहा कि एनआरसी से लगाई हुई उनकी सभी उम्मीदें खत्म हो गई हैं. अंतिम सूची आने के बाद शर्मा ने नाखुशी जताई है.

दूसरी ओर असम कांग्रेस एनआरसी की पूरी प्रकिया पर सवाल उठाते हुए कहा है कि लिस्ट बनाने में पारदर्शिता नहीं बरती गई.

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