शिक्षकों के विरोध में राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष, अध्यक्ष का विरोध शुरू
देहरादून। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के शिक्षकों के तीन साल की प्रतिनियुक्ति पर नगर निगम में जाने के मामले की जांच के आदेश के बाद शिक्षक एक जुट हो गये है। वहीं प्रतिनियुक्ति को निरस्त करने को लेकर राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष कमल किशोर डिमरी के बयान से शिक्षकों में आक्रोश पनप रहा है। शिक्षकों का कहना है कि राजकीय शिक्षक संघ के इतिहास में पहली बार ऐसा अध्यक्ष मिला है जो सरकार के इशारों पर शिक्षकों के विरोध में खडा है। इस लिए समस्त शिक्षक प्रांतीय अध्यक्ष का विरोध करते है।
गौरतलब हो कि कुछ दिन पूर्व राजकीय इंटर कालेज हमीरावाला विकासखंड जसपुर उधमसिंह नगर में सहायक अध्यापिका ताबिदा अली को नगर निगम काशीपुर में सहायक नगर आयुक्त के पद पर तीन साल की प्रतिनियुक्ति दी गयी है। वहीं पौडी जिले के राजकीय इंटर काॅलेज त्रिपालीसैंण के प्रवक्ता पंकज गैरोला को नगर निगम काशीपुर में सहायक नगर आयुक्त के पद पर प्रतिनियुक्ति दे दी गयी है। उक्त प्रकरण में हांगामा मचने के बाद शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे भी बीच में कूद गये है। शिक्षा मंत्री ने साफ किया कि यदि संबंधित शिक्षक विभाग की बगैर एनओसी के दूसरे विभागों में प्रतिनियुक्ति पर गए हैं तो उन्हें एनओसी नहीं दी जाएगी। जिससे उनकी प्रतिनियुक्ति खुद ही निरस्त हो जाएगी।
उधर इस मामले में राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष कमल किशोर डिमरी के शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति के विरोध में उतरने से शिक्षकों में आक्रोश है। उक्त शिक्षकों का कहना है कि राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष सरकार के इसारे पर काम कर रहे है। शिक्षकों का कहना है कि अध्यक्ष को विरोध करना है कि उन्हें पहले विद्यालयी शिक्षा निदेशालय में तैनात शिक्षकों का विरोध करना चाहिए। इसके साथ ही निदेशालय में शिकायत प्रकोष्ठ का गठन किया गया है, जिसमें दर्जनों शिक्षकों की तैनाती कि गयी है। इसके साथ ही एक दर्जन से अधिक शिक्षक शिक्षिकाएं शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री कार्यालय में अटैच है। इससे सरकार को दोहरा नुकशान हो रहा है। शिक्षकों का कहना है कि सायद प्रांतीय अध्यक्ष को यह जानकारी ही नहीं है कि प्रतिनियुक्ति पर तो वैतन भी उस विभाग से दिया जाता है जहां प्रतिनियुक्ति पर तैनाती की गयी है, लेकिन अटैचमैंच में तो उस विद्यालय से वैतन का आहरण किया जाता है जहा शिक्षक मौजूद ही नहीं है। उधर राजकीय शिक्षक संघ के देहरादून जनपद के पूर्व अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह बिष्ट ने भी प्रांतीय अध्यक्ष के बयान पर हैरानी व्यक्त की है। पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि यह तो शिक्षकों के सम्मान की बात है कि वह दूसरे विभागों में जाकर अपनी सेवा दे रहे है। उन्होंने कहा कि पूर्व में सभी विभागों को प्रतिनियुक्ति दी जाती थी, लेकिन सबसे अधिक शिक्षित होने के बाद भी शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति से दूर रखा जाता था जो ठीक नहीं था। दूसरे विभागों के कार्यनुभव को प्राप्त करने के बाद शिक्षक जब मूल तैनाती में लौटता है तो उसका फायदा संबंधित स्कूल और विभाग को होता है।
उन्होंने कहा कि आज भी निदेशालय में कई शिक्षक पूर्व के अनुभव के आधार पर ही बेहतर कार्य कर रहे है। उधर शिक्षक प्रांतीय अध्यक्ष के बयान और रूख के बाद समन्वय समिति बनाने पर विचार कर रहे है। उक्त समिति द्वारा प्रांतीय अध्यक्ष का विरोध किया जायेगा और शिक्षकों के सम्मान के लिए कार्य किया जायेगा। शिक्षकों का मानना है कि राजकीय शिक्षक संघ का कार्य शिक्षकों के अधिकारों की लडाई को लडना है न कि सरकार की। शिक्षक मानते है कि अगर किसी विद्यालय में शिक्षक की तैनाती नहीं कि गई है तो इसकी जिम्मेदारी सरकार और संबंधित अधिकारियों की है न कि शिक्षक संघ की।
शिक्षकों के प्रतिनियुक्ति पर जाने की जांच की जायेगी। इसके लिए शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम को आदेश दे दिये गये है। यदि संबंधित शिक्षक विभाग की बगैर एनओसी के दूसरे विभागों में प्रतिनियुक्ति पर गए हैं तो उन्हें एनओसी नहीं दी जायेगी।
राजकीय शिक्षक संघ शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति का विरोध करता है। स्कूलों में शिक्षक नहीं है, जो शिक्षक है भी वह प्रतिनियुक्ति पर चले गये है। ऐसे में हम प्रतिनियुक्ति का विरोध करते है। किसी भी रूप में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति को बर्दाश्त नही किया जायेगा। अगर इसके बावजूद भी प्रतिनियुक्ति की जाती है तो आंदोलन किया जायेगा।