September 22, 2024

छात्रवृत्ति स्कैमः हुजूर..! ‘विद्यापीठ’ नहीं छात्रवृत्ति डकारने के अड्डे हैं प्रदेश के निजी काॅलेज

देहरादूनः नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर गठित एसआईटी की जांच बताती है कि प्रदेश में छात्रवृत्ति घोटाला किस हद तक फैल चुका था। हरिद्वार जिले के बाद प्रदेश के अन्य जिलों में स्थित काॅलेज में भी फर्जी तरीके से छात्रवृत्ति का पैसा हड़पा गया। एसआईटी द्वारा जांच में जो तथ्य सामने आ रहे हैं उससे साफ होता है कि कहीं न कहीं इसमें काॅलेज प्रबंधन से लेकर समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत रही। ऐसा ही एक मामला बनबसा स्थित देवभूमि विद्यापीठ काॅलेज का आया है। जहां दशमोत्तर छात्रवृत्ति के नाम पर जमकर धांधली हुई है। बिडम्बना देखिए कि यह कालेज सिर्फ कागजों में ही संचालित है और समाज कल्याण विभाग ने बिना भौतिक सत्यापन कर काॅलेज को लाखों की छात्रवृत्ति दे दी।

गायब हुआ घोटाले का ‘विद्यापीठ

उच्च न्यायालय नैनीताल के आदेश के मुताबिक एससी,एसटी और ओबीसी से संबंधित दशमोत्तर छात्रवृत्ति विवरण की जब जांच की गई तो बनबसा स्थित ‘देवभूमि विद्यापीठ’ सवालों के घेरे में आया। जांच में पाया गया कि जिस काॅलेज को वर्ष 2015-16 में एससी के कुल 221 छात्र-छात्राओं तथा एसटी के कुल 140 छात्र-छात्राओं को दशमोत्तर छात्रवृत्ति के रूप में कुल 39.52 लाख रुपए निर्गत किये गये उसका कहीं कोई अता-पता नहीं है। जब इस काॅलेज की खोज-खबर की गई तो पता चला कि यह काॅलेज वर्ष 2015 में सुखदेव कुमार पुरी के मकान को किराये पर लेकर खोला गया था। जिसमें BBA Marketing &Hr, MBA, BBA Tourism, BBA(HM), BCA, DCA, DM का कोर्स संचालित किया जाता था। मकान मालिक का कहना है कि काॅलेज चलाने के लिए चेरब जैन, अनिल गोयल और विवेक शर्मा द्वारा उनका मकान किराए पर लिया गया था। समाज कल्याण विभाग द्वारा उपलब्ध कराये गये दस्तावेजो के अनुसार देवभूमि विद्यापीठ बनबसा को ‘हिमगिरि जी यूनिवर्सिटी देहरादून’, ‘संस्कृत महाविद्यालय हरिद्वार’ तथा ‘नोर्थ इस्ट फ्रन्टियर यूनिवर्सिटी आन्ध्र प्रदेश’ से मान्यता मिली थी। वहीं जांच में पता चला कि नोर्थ इस्ट फ्रन्टियर यूनिवर्सिटी आन्ध्र प्रदेश द्वारा देवभूमि विद्यापीठ को किसी भी प्रकार कोई मान्यता नहीं दी गई थी।

मुफ्त डिग्री के नाम पर धोखा

काॅलेज में जिन युवाओं ने एडमिशन लिया उनका आरोप है कि तितलीदिया निवासी प्रदीप कुमार और खटीमा निवासी मुकेश कुमार ने उन्हें बताया कि देवभूमि विद्यापीठ में एडमिशन लेने पर उन्हें मुफ्त में डिग्री मिलेगी और साथ ही छात्रवृत्ति का लाभ भी मिलेगा। जिसके लिए उनके शैक्षिक, आय, जाति सहित अन्य प्रमाण पत्र लिये गये। छात्रों का कहना है कि उन्हें प्रवेश के बाद देवभूमि विद्यापीठ बनबसा में एक दो बार कक्षा के लिए बुलाया गया। इस दौरान उनके खाते भी खुलवाये गये जो कि बैंक आॅफ बड़ौदा की बनबसा शाखा में बने। छात्रों का कहना है कि उनके साथ इन लोगों ने धोखाधड़ी की। उन्हें न तो डिग्री मिली और न ही किसी भी प्रकार की छात्रवृत्ति। वहीं जाॅच में पता चला कि कई छात्र-छात्राओं के खाते से छात्रवृत्ति एटीएम के माध्यम से निकाली गई जिसका छात्रों को काई जानकारी नहीं है और उनके पास बैंक का एटीएम भी नहीं है।

काॅलेज चला नहीं और दे दिया छात्रवृत्ति का लाभ

प्रदेश में छात्रवृत्ति के गलत वितरण को लेकर समाज कल्याण विभाग भी जांच के घेरे में है। आखिर विभाग अधिकारियों ने किसी आधार पर काॅलेज को छात्रवृत्ति का लाभ दिया। देवभूमि विद्यापीठ में भी इसी प्रकार का मामला देखने को मिला। इस काॅलेज को विशुद्ध छात्रवृत्ति हड़पने के लिए खड़ा किया गया। काॅलेज में छात्र-छात्राओं का एडमिशन गुमराह करके कराया गया। काॅलेज में एक भी कक्षाएं संचालित नहीं की गई। लेकिन इसके बाद भी सहायक समाज कल्याण अधिकारी द्वारा अपनी रिपोर्ट में देवभूमि विद्यापीठ के छात्र-छात्राओं की दशमोत्तर छात्रवृत्ति लाभ देने की सिफारिश की गई।

जांच में दोषियों पर दर्ज हुई मुकदमा

देवभूमि विद्यापीठ बनबसा के स्वामी प्रबंधक संचालक चैरब जैन, अनिल गोयल, विवेक शर्मा, गौरव जैन एवं विद्यालय के अन्य अधिकारी सहित गोपाल सिंह राणा, तत्कालीन सहायक समाज कल्याण अधिकारी तथा बिचैलिया मुकेश कुमार, प्रदीप कुमार के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।


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