एक्सक्लूसिवः कुलसचिव बताइये…श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय को छात्राओं की पढ़ाई से ऐतराज क्यों?
देहरादूनः एक ओर केंद्र और राज्य सरकार बड़े जोर-शोर से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं अभियान चला रही है। तो दूरसी ओर प्रदेश का सबसे बड़ा शिक्षण संस्थान छात्राओं को उनके हकों से वंचित करने में जुटा है। दरअसल मामला श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय का है। जहां एक काॅलेज की 28 छात्राओं को विश्वविद्यालय ने परीक्षा देने से रोक दिया है। विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षा से रोके जाने से छात्राओं में भारी रोष है। वह असमंजस में हैं कि आखिर काॅलेज और विश्वविद्यालय प्रशासन उन्हें परीक्षा देने से क्यों रोका है। छात्रों के अभिभावक भी विश्वविद्यालय के इस कदम से खासे आहत हैं उन्हें सूझ नहीं रहा है कि उनकी बेटियों के साथ ऐसा क्या किया जा रहा है।
क्या है वजह?
दरअसल यह मामला हरिद्वार जनपद के दल्लावाला स्थित राजकीय महिला महाविद्यालय का है। जहां बी.ए. की तृतीय सेमेस्टर में अध्ययनरत 28 छात्राओं को परीक्षा देने से रोका गया। इसके पीछे तर्क दिया गया कि छात्राओं की कक्षाओं में उपस्थिति मानक के अनुरूप नहीं है। यहीं वजह है कि काॅलेज के प्राचार्य द्वारा विश्वविद्यालय के कुलसचिव को एक पत्र भेजा गया। पत्र में प्राचार्य ने कुलसचिव को अवगत कराया कि काॅलेज की 28 छात्राओं की उपस्थिति विश्वविद्यालय की गाइडलाइन के तहत 75 फीसदी से कम है। लिहाजा छात्राओं को परीक्षा से वंचित करने की संस्तुति की जाय। काॅलेज प्राचार्य के पत्र पर कार्यवाही करते हुए विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने बिना किसी ठोस जांच के छात्राओं को परीक्षा देने से वंचित कर डाला। जिससे एक ही कक्षा की 43 छात्राओं में से 28 छात्राएं परीक्षा से महरूम हो गई।
नाराज हैं अभिभावक
विश्वविद्यालय के तनाशाही रवैये को लेकर स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। स्थानीय लोगों का कहना है कि विषम परिस्थितियों के बावजूद भी हम बड़ी मुश्किल से अपनी बेटियों को स्कूल भेजते हैं। लेकिन काॅलेज ही उनकी बेटियों को परीक्षा देने से रोकने पर तुला है। ऐसे में वह कैसे अपने बच्चों को पढ़ा पायेंगे। वहीं छात्राओं का कहना है कि विश्वविद्यालय उनके साथ अन्याय कर रहा है। उनका कहना है कि एक ओर देश भर में बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं का नारा दिया जा रहा है और दूसरी ओर उन्हें पढ़ने से रोका जा रहा है। छात्राओं का कहना है कि उन्होंने भी कुलसचिव को पत्र भेजा। जिसमें उन्होने अपनी परिस्थिति का हवाला देते हुए परीक्षा में बैठने की मांग की है।
क्या कहते हैं माननीय
मेरी जानकारी में यह मामला आप के माध्यम से आया है। प्राचार्य से पूरी जानकारी ली जायेगी। अगर विश्वविद्यालय की ओर से कोई साजिश की गई और छात्राओं को परीक्षा से देने से रोका गया है तो इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी को बक्सा नहीं जायेगा। – कुॅवर प्रणव चैंपियन, विधायक, खानपुर
छात्राओं को परीक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता। यह एक गंभीर प्रकरण है जिसकी जांच की जायेगी। साथ ही विश्वविद्यालय से भी स्पष्टीकरण लिया जायेगा कि किन परिस्थितियों में यह कदम उठाया गया।- डाॅ. धन सिंह रावत, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री