September 22, 2024

शाहीन बाग पहुंचे वार्ताकार, प्रदर्शनकारियों से कहा- मिलकर सुलझाएंगे मुद्दा

राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले दो महीनों से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है। प्रदर्शनकारियों ने तभी से दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाली कालिंदी कुंज रोड को ब्लॉक कर रखा है। सोमवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से बात करने और उन्हें समझाने के लिए वार्ताकारों के पैनल का गठन किया है, जो आज प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए शाहीन बाग पहुंचे। इससे पहले मंगलवार को वार्ताकारों का पैनल वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े के घर पर आपस में मुलाकात के लिए पहुंचा था।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बुधवार को मध्यस्थता के लिए तय किए गए संजय हेगड़े अपनी टीम के साथ शाहीन बाग पहुंचे हैं। वार्ताकारों ने इस दौरान शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के सामने सुप्रीम कोर्ट का आदेश पढ़कर सुनाया। संजय हेगड़े ने पहले अंग्रेजी में आदेश को पढ़ा, फिर साधना रामचंद्रन ने प्रदर्शनकारियों को हिन्दी में इसे समझाया। प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंचने के बाद संजय हेगड़े ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यहां आए हैं। हम सभी से बात करने की उम्मीद करते हैं। हम हर किसी के सहयोग से मामले को सुलझाने की कोशिश करेंगे।

हम यहां सबको सुनने आए हैं: साधना रामचंद्रन

इस दौरान साधना रामचंद्रन ने मंच से लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हम सबको सुनने आए हैं। एक-एक कर बात रखेंगे तो सबकी बात सुन पाएंगे। एक साथ बोलने पर किसी की बात समझ नहीं आएगी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के द्वारा नियुक्त वार्ताकार साधना रामचंद्रन ने कहा कि हम ऐसा हल निकालेंगे जो दुनिया के लिए मिसाल होगा। 

वहीं, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे बातचीत तो करेंगे, लेकिन नागरिकता संशोधन कानून वापस लिए जाने से पहले धरना समाप्त नहीं करेंगे। बता दें कि वार्ताकारों की टीम में वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े के अलावा वजाहत हबीबुल्ला और साधना रामचंद्रन भी शामिल हैं।

आंदोलन करना आपका हक हैलेकिन दूसरे का हक ना छीना जाए: साधना

साधना रामचंद्रन ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आंदोलन करना आपका हक है, जो बरकरार है। सुप्रीम कोर्ट में कानून को चुनौती दी गई है। हम सबकी तरह और भी नागरिक हैं जिनके हक हैं, बहुत से लोग ये रोड इस्तेमाल करते हैं। दुकानदार, डॉक्टर, बच्चे स्कूल जाएं। सुप्रीम कोर्ट कहता है, ‘आंदोलन करना आपका हक है, लेकिन दूसरे का हक ना छीना जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सबका हक बरकरार रहना चाहिए। हमें सुप्रीम कोर्ट ने भेजा है, आपको बताने के लिए। आपके साथ मिलकर हल निकालने के लिए। हम, आप सबकी बात सुनना चाहते हैं। आपकी हर बात सुनेंगे। अच्छी-बुरी सब बात। आप चाहते हैं कि हम आपसे बात करें। चाहते हो? जनता ने हां में जवाब दिया।’

प्रदर्शनकारियों से मुलाकात से पहले बीजेपी ने लगाया आरोप

प्रदर्शनकारियों से वार्ताकार मिलें इससे पहले भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया है। बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने एक वीडियो ट्वीट किया है जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ प्रदर्शनकारियों को सवाल समझा रही हैं। उन्होंने लिखा, ‘..तीस्ता सीतलवाड़ शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को समझा रही हैं कि सुप्रीम कोर्ट के वार्ताकार उनसे क्या सवाल पूछेंगे। देखिए ये आंदोलन कितना स्वाभाविक और प्रायोजित है’?

अमित मालवीय ने शाहीन बाग का दावा करते हुए जो वीडियो जारी किया है, उसमें तीस्ता सीतलवाड़ खड़ी हैं। उनके साथ मौजूद एक युवती प्रदर्शनकारियों को सवाल समझा रही हैं। वो कह रही हैं कि ये सवाल हैं लेकिन जवाब किसी को नहीं देना है।

सोमवार को कोर्ट के फैसले के बाद क्या बोले संजय हेगड़े

इससे पहले सोमवार को संजय हेगड़े से दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियों ने मुलाकात की थी। वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा था कि मंगलवार को साधना रामचंद्रन दिल्ली में नहीं होंगी। लिहाजा औपचारिक बातचीत शुरू नहीं हो पाएगी। हेगड़े ने कहा कि अगर ज्यादा जरूरी हुआ भी तो वो मंगलवार को अनौपचारिक तौर पर ही शाहीनबाग में धरनास्थल पर जाएंगे। तब वहां प्रदर्शनकारियों से अनौपचारिक बातें ही होंगी। बुधवार को औपचारिक वार्ता तो सबकी मौजूदगी में ही होगी।

संजय हेगड़े के साथ दिल्ली पुलिस के अधिकारियों की बैठक

संजय हेगड़े ने कहा कि वार्ता के अवसर पर सभी मुद्दों, विकल्पों और संभावनाओं पर खुलकर बात करने के लिए वो पूरा जोर लगाएंगे ताकि इस मसले का सर्वमान्य हल निकल सके। सोमवार को संजय हेगड़े से दिल्ली पुलिस के अधिकारियों की बैठक हुई। शाहीन बाग प्रदर्शन साइट को लेकर दिल्ली पुलिस ने अपने सुझाव संजय हेगड़े से शेयर किए। प्रदर्शन के चलते दिक्कतों के बारे में बताया गया।

सोमवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था

बता दें कि सोमवार को शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शन पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी कानून के खिलाफ प्रदर्शन करना लोगों का मौलिक अधिकार है। लेकिन सड़क को ब्लॉक किया जाना चिंता का विषय है और अवश्य ही संतुलन बनाए जाने की जरूरत है। यही तरीका अगर अन्य समूह भी अपनाएंगे तो अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो जाएगी।

कोर्ट ने वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन को शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे लोगों से बात करने और उन्हें वैकल्पिक स्थल पर जाने को मनाने को कहा, जहां कोई सार्वजनिक स्थल ब्लॉक न हो।

सुप्रीम कोर्ट कहेगा तो खाली होगा रास्ता

सीएए के खिलाफ शाहीन बाग में रास्ता घेरकर दो महीने से ज्यादा समय से धरना दे रही महिलाओं का कहना है कि अगली तारीख पर सुप्रीम कोर्ट ने रास्ता खाली करने का निर्णय दिया तो सभी प्रदर्शनकारी उसे स्वीकार करेंगे। महिलाओं ने सोमवार को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया।

दिल्ली पुलिस-दिल्ली सरकार को प्रदर्शनकारियों से बातचीत करनी चाहिए

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को लेकर सोमवार सुबह से ही शाहीन बाग में सबकी सांसें थमी हुई थीं। दोपहर करीब 2 बजे निर्णय आने के बाद हर कोई उसे जानने के लिए उत्सुक दिखा। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को प्रदर्शनकारियों से बातचीत करनी चाहिए।

कोर्ट के फैसले का प्रदर्शनकारियों ने किया स्वागत

बताया जा रहा है कि अदालत की ओर से प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े, साधना रामचंद्रन और पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह को मध्यस्थ नियुक्त करने का धरने पर बैठी महिलाओं ने तालियां बजाकर स्वागत किया।

दो महीनों से जारी है प्रदर्शन

बता दें कि पिछले करीब दो महीनों से सीएए और एनआरीस के खिलाफ शाहीन बाग में प्रदर्शन हो रहा है। सीएए-एनआरसी को विरोध में सैंकड़ों लोग शाहीन बाग में डेरा डाले हुए हैं, जिनके प्रदर्शनों वजह से एक मुख्य मार्ग अवरुद्ध हो गया है, जिसके कारण शहर में यातायात की समस्या पैदा हो गई है। शाहीन बाग में प्रदर्शन करने वालों में ज्यादातर महिलाएं हैं।

12 दिसंबर 2019 को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ लागू हो गया कानून

नॉर्थ-ईस्ट खासकर असम में नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों, आगजनी, कर्फ्यू लगने, इंटरनेट बंद होने के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस बिल पर 12 दिसंबर 2019 को हस्ताक्षर कर दिए। इसके बाद नागरिकता कानून, 1955 में संबंधित संशोधन देशभर में लागू हो गया। सरकार की अधिसूचना के अनुसार आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित होने के बाद देशभर में यह कानून लागू हो गया है।


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