September 22, 2024

मुस्लिम युवक को बनाया जाएगा लिंगायत मठ का मुख्य पुजारी, ये है बड़ी वजह

उत्‍तरी कर्नाटक के गडग जिले में लिंगायत मठ का नेतृत्‍व मुस्लिम युवक दीवान शरीफ रहीमनसाब मुल्‍ला को सौंपा गया है। लिंगायत मठ ने परंपराओं को तोड़ते हुए मुस्लिम युवक दीवान शरीफ रहमानसाब मुल्ला को अपना पुरोहित (पुजारी) बनाने का फैसला किया है। आसुति गांव में स्थित मुरुगराजेंद्र कोरानेश्वरा शांतिधाम मठ में शरीफ को पुजारी बनाया जाएगा।

33 वर्षीय दीवान शरीफ रहमानसाब मुल्ला 26 फरवरी को लिंगायत मठ के पुजारी के रूप में शपथ लेंगे। यह मठ कलबुर्गी के खजुरी गांव के 350 साल पुराने कोरानेश्वर संस्थान मठ से जुड़ा है। इस मठ के लिए कई साल पहले शरीफ के पिता ने दो एकड़ जमीन दान की थी। मुल्‍ला ने बताया कि वे 12वीं सदी के बसवन्‍ना की सीखों से प्रेरित है और बचपन से ही सामाजिक न्‍याय व सौहाद्र के लिए काम कर रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक, आसुति गांव के मुरुघराजेंद्र कोरानेश्‍वर शांतिधाम मठ के पुजारी के तौर पर मुल्‍ला की नियुक्ति की गई है। मुख्‍य बात यह है कि मुल्‍ला के पिता ने सालों पहले इस मठ के लिए दो एकड़ जमीन दान में दी थी। यह दान उन्‍होंने आसुति में शिवयोगी के प्रवचनों से प्रभावित होने के बाद दिया था। शिवयोगी ने बताया कि आसुति मठ का निर्माण कार्य जारी है। आसुति गांव स्थित मुरुगराजेंद्र कोरानेश्वरा शांतिधाम मठ में मुल्‍ला को पुजारी का पद सौंपा गया है।

12वीं शताब्दी में सामाजिक न्याय और सद्भाव का सपना देखा था

कलबुर्गी के खजुरी गांव के 350 साल पुराने कोरानेश्वर संस्थान मठ से जुड़े इस शांतिधाम मठ के लिए खजूरी मठ के पुजारी मुरुगराजेंद्र कोरानेश्वर शिवयोगी का कहना है, ‘बसवन्‍ना का दर्शन सार्वभौमिक है और हम अनुयायियों को जाति और धर्म की विभिन्नता के बावजूद गले लगाते हैं। उन्होंने 12वीं शताब्दी में सामाजिक न्याय और सद्भाव का सपना देखा था और उनकी शिक्षाओं का पालन करते हुए, मठ ने सभी के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं।’

शरीफ के पिता ने एक मठ स्थापित करने के लिए जमीन दान की थी

आसुति में शिवयोगी के प्रवचनों से प्रभावित होकर शरीफ के पिता स्वर्गीय रहिमनसब मुल्ला ने गांव में एक मठ स्थापित करने के लिए जमीन दान की थी। शिवयोगी ने कहा, ‘मुल्‍ला बसवन्‍ना के दर्शन के प्रति समर्पित हैं। उनके पिता ने भी हमसे ‘लिंग दीक्षा’ ली थी। 10 नवंबर, 2019 को शरीफ ने ‘दीक्षा’ ली। हमने उन्हें पिछले तीन वर्षों में लिंगायत धर्म और बासवन्ना की शिक्षाओं के विभिन्न पहलुओं को लेकर प्रशिक्षित किया है।’

मैं बसवन्ना और मेरे गुरु द्वारा प्रचारित उसी रास्ते पर आगे बढ़ूंगा

मुल्‍ला ने आगे बताया, ‘मैं पास के मेनासगी गांव में आटा चक्की चलाता था और अपने खाली समय बसवन्ना और 12वीं शताब्दी के अन्य साधुओं द्वारा लिखे गए प्रवचनों के प्रसार के साथ व्‍यतीत करता था। मुरुगराजेंद्र स्वामीजी ने मेरी इस छोटी सेवा को पहचान लिया और मुझे अपने साथ ले लिया। मैं बसवन्ना और मेरे गुरु द्वारा प्रचारित उसी रास्ते पर आगे बढ़ूंगा।’

मठ के सभी भक्तों के समर्थन से पुजारी के पद को मुल्‍ला को सौंपा गया है’

मुल्‍ला विवाहित हैं। वे तीन बेटियों व एक बेटे के पिता हैं। लिंगायत मठों में गृहस्‍थ को पुजारी के तौर पर नियुक्‍त नहीं किया जाता है। लेकिन मुल्‍ला का मामला जुदा है। शिवयोगी ने कहा, ‘लिंगायत धर्म संसार (परिवार) के माध्यम से सद्गति में विश्वास करता है। पारिवारिक व्यक्ति एक स्वामी बन सकता है और सामाजिक तथा आध्यात्मिक कार्य कर सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘मठ के सभी भक्तों के समर्थन से पुजारी के पद को मुल्‍ला को सौंपा गया है।’


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com