कलम पर हथोड़ाः ‘दस्तावेज’ पर निशंक ने करवाया मुकदमा, तो मीडिया संगठन ने जताया रोष
देहरादूनः हाल ही में प्रदेशभर में सोशल मीडिया पर चल रही नेतृत्व परिवर्तन की खबरों की जब ‘दस्तावेज’ ने पड़ताल की तो ‘दस्तावेज’ को कई अहम जानकारियों मिली। जिससे साफ तौर पर स्पष्ट हो गया था कि प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर जो खबरें प्रसारित की जा रही है। उसके पीछे एक तंत्र सक्रिय है। जिसका ‘दस्तावेज’ ने बेवाकी से खुलासा किया। ‘दस्तावेज’ ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि नेतृत्व परिवर्तन की जो खबरों प्रकाशित की जा रही हैं वह महज अफवाह भर हैं जिन्हें भाजपा का एक गुट प्रचारित करने में मदद कर रहा है। ‘दस्तावेज’ ने जब इस बात का खुलासा किया कि इसके पीछे ‘निशंक गुट’ सक्रिया है तो वह तिलमिला बैठे और ‘दस्तावेज’ पर दो-दो मुकदमे दाखिल कर डाले। ‘दस्तावेज’ पर निशंक गुट द्वारा मुकदमें दायर करने से स्पष्ट हो जाता है कि निशंक ‘भयभीत’ हैं।
निशंक की तिलमिलाहट
निशंक दाबव की राजनीति के माहिर हैं। वह अनावश्यक दबाव बना कर अपने हित साधते हैं। इतिहास गावह है कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए किस तरह मीडिया पर सेंसरशिप लगा दी थी। लेकिन इसके बाद भी मीडिया ने उनके काले-कारनामों को उजाकर कर हकीकत जनता के समाने रख दी थी। बस यही भय निशंक को सताया जाता है कि कहीं उनके पुराने कारनामे मीडिया फिर उजागर न कर दे। जिससे उनके सपने धरे के धरे न रह जाये। वह पर्दे के पीछे से जिस तरह नेतृत्व परिवर्तन का ताना-बाना बुन रहे थे। उसे ‘दस्तावेज’ ने अपनी पड़ताल से उजाकर कर दिया। जिससे निशंक इतने तिलमिला गये कि उन्होंने संविधान में मीडिया को दिये अधिकार का हनन कर डाला। जबकि निशंक खुद पत्रकारिता से निकले राजनेता है। वह साहित्यकार भी हैं लेकिन जब उनकी पोल खुली तो वह भूल गये कि लोकतंत्र में मीडिया को खबरदार करने का अधिकार भी है।
बचकानी है निशंक की हरकतः मीडिया संगठन
दस्तावेज पर निशंक द्वारा मुकदमा दायर करने के बाद कई मीडिया संगठनों इसे मीडिया की आजादी पर हमला बताया। उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकारों साहित उत्तराखंड इलेक्ट्रॉनिक एंड इनफार्मेशन मीडिया एसोसिएशन के अध्यक्ष, पूर्व राज्यमन्त्री व वरिष्ठ भाजपा नेता मनीष वर्मा ने निशंक द्वारा दायर किये गये मुकदमें को कायराना हरकत बताया। उन्होंने कहा कि हरिद्वार से सांसद व मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल द्वारा दस्तावेज डाॅट इन पोर्टल के संचालकांे पर मुकदमा दर्ज करवाना असंगत व पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर पोर्टल की छवि धूमिल करना है । मनीष वर्मा ने कहा कि जिनके घर शीशे के होते है वो दूसरो पर पत्थर नही फेंकते और रमेश पोखरियाल पहले अपने इतिहास को देखे व फिर दूसरो के बारे में कहे।
निशंक मेरे खिलाफ मुकदमा करेंः वर्मा
उत्तराखंड इलेक्ट्रॉनिक एंड इनफार्मेशन मीडिया एसोसिएशन के अध्यक्ष मनीष वर्मा ने कहा कि मीडिया को लोकतंत्र में चैथा स्तम्भ कहा जाता है। मीडिया की आवाज को कोई दबा नही सकता और दास्तवेज पोर्टल ने ऐसा कुछ शब्द नही लिखा जिससे की कोई छवि धूमिल होती हो। प्रदेश में चल रहे राजनीतिक माहौल में तमाम समाचार पत्रों व चैनल व पोर्टल्स ने तामाम समाचार प्रकाशित किये है। तो वो उनका सामाजिक आंकलन है और मीडिया अपना सामाजिक आंकलन व वस्तुस्तिथि लिखने लिए स्वत्रन्त्र है। मीडिया पर मुकदमा दायर करने पर वर्मा ने कहा कि इससे स्पष्ट हो जाता है कि रमेश पोखरियाल अपना आपा खो चुके है वह निम्न स्तर की हरकत पर उतर आए है। वहीं उन्होंने कहा कि यदि उन्हें अपने खिलाफ दर्ज चुनाव याचिका व उसमें हाल ही में हुए ईवीएम शिफ्टिंग के आदेश से इतना दुःख पहुचा है तो वो मेरे खिलाफ मुकदमा लिखवाए न कि अन्य पत्रकारों पर।
निशंक सच्चे तो खंडन करतेः कठैत
उधर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और सियासत का खासा तजुर्बा रखने वाले सुदर्शन सिंह कठैत का कहना है कि निशंक छद्म राजनीति के माहिर हैं। वह जानते हैं कि कैसे अपनी राजनीति को परवान चढ़ाना है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह की बढ़ती लोकप्रियता वह बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए निशंक प्रदेश में सत्ता परिवर्तन की अफवाह फैलाने में जुटे थे। उन्होंने कहा कि दस्तोवज ने समय-समय पर निर्भीक पत्रकारिता का परिचय दिया है। दस्तावेज ने जो खुलासा किया है वह सौ फीसदी सच है। निशंक अगर अफवहा नहीं फैला रहे हैं तो उन्होंने दस्तावेज पर मुकदमा करने से पहले अपना खबर का खंडन क्यों नहीं किया। वह डराने की राजनीति से बाहर आये। यह उत्तर प्रदेश नहीं है जहां की विद्या उन्होंने सीखी है यह उत्तराखंड है।
निशंक का फैसला शराबी जैसाः जखमोला
दस्तावेज पर निशंक द्वारा मुकदमा दायर किये जाने पर वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला ने अपने फेसबुक वाॅल पर एक व्यंग्य किया है। अपने व्यंग्य में उन्हें निशंक की तुलना उस शराबी से की जिसने हाल ही में एक बच्चे पर गोली चला दी। जखमोला लिखते हैं कि क्या निशंक दस्तावेज के संपादक को लाल किले पर फांसी देना चाहते हैं। उन्होंने सवाल किया कि दस्तावेज ने अपकी मानहानि कर दी लेकिन आप भले ही जनता के साथ जो मर्जी कर लो। उन्होंने यह भी सवाल किया कि जब आपको सीएम पद से हटा दिया था तो तब आपकी कितनी इज्ज्त बढ़ गई थी। वरिष्ठ पत्रकार जखमोला ने उन्हें याद दिलाते हुए लिखा कि कैसे आपके मुख्यमंत्रित्व काल में स्टर्डिया, कुम्भ और जल विद्युत परियोजनाओं के घोटाले हुए। इतने संगीन और बड़े आरोप आप पर लगे आपको सीएम पद से अपदस्थ किया गया तब आपकी मानहानि नहीं हुई। उन्होंने कहा कि बड़ा राजनेता वही होता है कि जो बड़प्पन दिखाये न कि खुंदक में मुकदमे दायर करे।