September 22, 2024

निर्भया के दोषियों को अलग-अलग फांसी की मांग वाली केंद्र की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने 5 मार्च तक टाली

साल 2012 के दिल्ली गैंग रेप और हत्या मामले में जस्टिस आर भानुमति के नेतृत्व में तीन जजों वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच गृह मंत्रालय की उस याचिका को 5 मार्च तक टाल दिया है, जिसमें दोषियों को अलग अलग फांसी के निर्देश देने की बात कही गई थी। निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड के मामले में चारों दोषियों में से एक विनय ने 20 फरवरी को दिल्ली कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। वकील एपी सिंह के जरिए से विनय शर्मा ने अपने उपचार की मांग की थी।

अदालत ने विनय शर्मा की उस याचिका पर तिहाड़ जेल के अधिकारियों से जवाब मांगा। याचिका में विनय ने तथाकथित मानसिक बीमारी शिजोफ्रेनिया और सिर तथा हाथ की चोट के उपचार का आग्रह किया था।

दोषियों को तीन मार्च को सुबह छह बजे फांसी पर लटकाने का निर्देश

अदालत ने 17 फरवरी को चारों दोषियों-मुकेश कुमार सिंह, पवन गुप्ता, विनय और अक्षय कुमार के खिलाफ नया मृत्यु वारंट जारी कर उन्हें आगामी तीन मार्च को सुबह छह बजे फांसी पर लटकाने का निर्देश दिया था। यह तीसरी बार है जब चारों दोषियों के खिलाफ नया मृत्यु वारंट जारी किया गया है।

विनय ने जेल की दीवार पर पटका अपना सिर

फांसी की सजा से बचने के लिए निर्भया के दोषी विनय ने एक और तिकड़म अपनाया। 16 फरवरी को निर्भया के दोषी विनय ने जेल की दीवार से सिर मारा, जिसमें वह मामूली रूप से घायल हो गया। इससे पहले विनय तिहाड़ जेल में भूख हड़ताल पर चला गया था। विनय तिहाड़ जेल के तीन नंबर सेल में अकेला बंद है। 16 फरवरी को उसने दीवार में सिर और मुक्का मारा, जिससे वह घायल हो गया। सेल में ही डॉक्टर ने उसका उपचार किया था। सेल के बाहर बैठे वार्डन भी बचाने के लिए नहीं पहुंचा था। जेल के सूत्रों का कहना है कि वह तनाव में आ गया है, जिसकी वजह से उसने ऐसा किया। दोषी विनय को मनोचिकित्सक से भी दिखाया गया था।

2 बार जारी हो चुका है डेथ वारंट

निर्भया के चारों दरिंदों मुकेश सिंह, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय ठाकुर के जघन्य अपराध के बाद शीर्ष कोर्ट ने उनकी फांसी की सजा बरकरार रखी थी। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने पहला डेथ वारंट जारी करते हुए दोषियों को 22 जनवरी को सुबह 6 बजे फांसी देने का कहा था। हालांकि कोर्ट ने बाद में तारीख आगे बढ़ाते हुए नया डेथ वारंट जारी करते हुए दोषियों को 1 फरवरी को फांसी देने का कहा था। बाद में 31 जनवरी को ट्रायल कोर्ट ने इस पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी।

क्या है मामला

बता दें कि 16 दिसंबर, 2012 की रात 23 साल की एक पैरामेडिकल स्टूडेंट अपने दोस्त के साथ दक्षिण दिल्ली के मुनिरका इलाके में बस स्टैंड पर खड़ी थी। दोनों फिल्म देखकर घर लौटने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इंतजार कर रहे थे। इस दौरान वो वहां से गुजर रहे एक प्राइवेट बस में सवार हो गए। इस चलती बस में एक नाबालिग समेत छह लोगों ने युवती के साथ बर्बर तरीके से मारपीट और गैंगरेप किया था। इसके बाद उन्होंने पीड़िता को चलती बस से फेंक दिया था। बुरी तरह जख्मी युवती को बेहतर इलाज के लिए एयर लिफ्ट कर सिंगापुर ले जाया गया था। यहां 29 दिसंबर, 2012 को अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी। घटना के बाद पीड़िता को काल्पनिक नाम ‘निर्भया’ दिया गया था।


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