भाजपा में शामिल हुए सिंधिया, नड्डा की मौजूदगी में ली पार्टी की सदस्यता
कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा का दामन थाम लिया है। कल उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दिया थे और उनके साथ ही 22 कांग्रेस विधायकों ने अपना पद छोड़ दिया। इस घटनाक्रम के बाद मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार अब अल्पमत में नजर आ रही है। हालांकि कांग्रेस का दावा है कि कमलनाथ सरकार को कोई खतरा नहीं है। कांग्रेस को उम्मीद है कि इस्तीफा दे चुके विधायक वापस आ जाएंगे। इस सियासी घमासान के बीच भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस अपने-अपने विधायकों को बचाने में जुटी हुई हैं।
मध्य प्रदेश में जारी सियासी घटनाक्रम में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद सिंधिया खेमे के 22 कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा दे दिया जिससे प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली 15 महीने पुरानी कांग्रेस सरकार गिरने के कगार पर पहुंच गई है। इसके बाद से ही सिंधिया के भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई थीं। कयास लगाए जा रहे थे कि सिंधिया जल्द ही भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
सिंधिया गुट के विधायकों से मिले सज्जन सिंह
मध्यप्रदेश कांग्रेस के नेता सज्जन सिंह ने पार्टी से इस्तीफा देने वाले 19 विधायकों से मुलाकात के बाद कहा, “सिंधिया जी के साथ कोई भी जाने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्हें गुमराह किया गया और बेंगलुरु ले जाया गया, ज्यादातर ने कहा कि वे भाजपा में शामिल होने के लिए तैयार नहीं हैं।” मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ के बेटे और कांग्रेस सांसद नकुल नाथ ने कहा कि कर्नाटक गए विधायक जल्द ही कांग्रेस के पाले में लौट आएंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि सरकार बच जाएगी। वहीं निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने कहा कि सरकार बचेगी सभी निर्दलीय विधायक हमारे साथ हैं। हम उन विधायकों को वापस लाएंगे जो बेंगलुरु में हैं।
सरकार को खतरा नहीं: कांग्रेस
कांग्रेस विधायक अर्जुन सिंह ने दावा किया है कि कमलनाथ सरकार को कुछ नहीं होने वाला है, आप 16 मार्च तक देखिएगा विधायकों की संख्या बिल्कुल ठीक रहेगी। ज्योतिरादित्य सिंधिया के जाने से पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, राजा-महाराजाओं के दिन गए।
मध्यप्रदेश की कांग्रेस नेता शोभा ओझा ने कहा कि कुल 4 निर्दलीय विधायक हैं, चारों हमारे साथ हैं। विधायक सभी हमारे साथ हैं जो सिंधिया जी के साथ गए हैं वो भी हमारे साथ हैं क्योंकि वो समझ रहे हैं कि एक व्यक्ति की महत्वकांक्षा के चलते उन सबके भविष्य दांव पर हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमारे पास पर गिनती है जो हम विधानसभा के पटल पर साबित कर देंगे, नंबर की कोई कमी नहीं है। बेंगलुरु वाले विधायक हमारे साथ हैं, वो कांग्रेस के साथ हैं। विधानसभा में हम अपना बहुमत सिद्ध करेंगे। भाजपा के विधायक भी हमारे टच में हैं।
अपने-अपने विधायकों को बचाने में जुटी पार्टियां
भाजपा-कांग्रेस दोनों ही दल फिलहाल अपने-अपने विधायकों को साधने में जुटे हुए हैं। कांग्रेस जहां बेंगलुरु गए विधायकों को मनाने की कवायद कर रही है। वहीं, स्थिति और खराब न हो जाए, इसके लिए कांग्रेस ने अपने बाकी विधायकों को बुधवार सुबह जयपुर भेजने का फैसला किया।
दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी भी अपने विधायकों को नई दिल्ली ले गई है। देर शाम तक यह तय नहीं हो सका था कि भाजपा अपने विधायकों को दिल्ली ले जाएगी या बेंगलूरू। जब भाजपा विधायकों को ले जा रही बस भोपाल एयरपोर्ट पहुंची, तब वहां भाजपा नेता गोपाल भार्गव ने स्पष्ट किया कि वह सभी पार्टी विधायकों के साथ दिल्ली जा रहे हैं। भाजपा विधायक गुरुग्राम के आईटीसी ग्रांड भारत में रुकेंगे।
आज भाजपा में आ सकते हैं ज्योतिरादित्य
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को अमित शाह के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात की। पहले खबर थी कि वो मंगलवार शाम को ही बीजेपी में शामिल होंगे, लेकिन ये बुधवार तक के लिए टल गया। माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेज सकती है, इसके अलावा उन्हें मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में भी जगह मिल सकती है।
ये है विधानसभा का समीकरण
सिंधिया के पार्टी छोड़ने के साथ ही उनके समर्थक विधायकों के इस्तीफा देने से मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार के अस्तित्व पर संकट बढ़ गया है। विधानसभा अध्यक्ष एन प्रजापति अगर 22 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लेते हैं तो कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ जाएगी। मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा में दो सीटें फिलहाल खाली हैं। ऐसे में 228 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास मामूली बहुमत है। यदि 22 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिये जाते हैं तो विधानसभा में सदस्यों की प्रभावी संख्या महज 206 रह जाएगी। उस स्थिति में बहुमत के लिये जादुई आंकड़ा सिर्फ 104 का रह जाएगा। ऐसे में, कांग्रेस के पास सिर्फ 92 विधायक रह जाएंगे, जबकि भाजपा के 107 विधायक हैं। कांग्रेस को चार निर्दलीयों, बसपा के दो और सपा के एक विधायक का समर्थन हासिल है। उनके समर्थन के बावजूद कांग्रेस बहुमत के आंकड़े से दूर हो जाएगी।