मध्य प्रदेश में आज नहीं हो पाया फ्लोर टेस्ट, विधानसभा की कार्यवाही 10 दिन के लिए स्थगित
मध्य प्रदेश में बदलते सियासी घटनाक्रम के बीच अब नया मोड़ आ गया है। राज्यपाल के निर्देश के बावजूद फ्लोर टेस्ट नहीं हो पाया और उनके अभिभाषण के तुरंत बाद विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई। राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में विधायकों से संविधान के मर्यादा के अनुरूप दायित्व निभाने की नसीहत दी थी, जिसके बाद स्पीकर ने सदन की कार्यवाही दस दिन तक स्थगित करने का फैसला लिया।
विधानसभा की कार्यवाही स्थगित होने से पहले क्या बोले राज्यपाल
राज्यपाल लालजी टंडन ने अपने अभिभाषण में कहा कि सभी सदस्यों को शुभकामना के साथ सलाह देना चाहता हूं कि प्रदेश की जो स्थिति है, उसमें अपना दायित्व शांतिपूर्ण तरीके से निभाएं। लालजी टंडन ने जैसे ही अपनी बात पूरी की तो विधानसभा में हंगामा हुआ। तबीयत खराब होने की वजह से राज्यपाल ने अपना पूरा भाषण नहीं पढ़ा, वह सिर्फ अभिभाषण की पहली और आखिरी लाइन ही पढ़ पाए।
आधी रात को कमलनाथ ने की थी राज्यपाल से मुलाकात
इससे पहले विधानसभा सचिवालय की तरफ से रविवार रात जारी की गई कार्यसूची में फ्लोर टेस्ट का कोई जिक्र नहीं किया गया था। हालांकि देर रात राज्यपाल लालजी टंडन ने सरकार को दूसरा पत्र जारी कर दिया, जिसमें सरकार को विश्वास मत के दौरान हाथ उठाकर मत विभाजन कराने का आदेश दिया गया था। इन सबके बीच मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने देर रात 12.20 बजे राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात भी की थी।
बहुमत परीक्षण पर स्पीकर देंगे जवाब
कमलनाथ से पहले बीजेपी के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात की। वहीं, जब बहुमत परीक्षण को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ से सवाल किया गया तो उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि बहुमत परीक्षण पर स्पीकर जवाब देंगे। शिवराज ने कमलनाथ के बयान पर तुरंत जवाब दिया और कहा कि कमलनाथ सरकार अल्पमत में है।
विधानसभा की कार्यसूची में फ्लोर टेस्ट का जिक्र नहीं
बीती रात मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल से मुलाकात के बाद कहा कि फ्लोर टेस्ट पर स्पीकर फैसला लेंगे। उन्होंने कहा कि वे पहले ही राज्यपाल को लिखित सूचना दे चुके हैं कि उनकी सरकार फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार है, लेकिन बंधक बनाए गए विधायकों को पहले छोड़ा जाए। विधानसभा में फ्लोर टेस्ट पर सस्पेंस इसलिए है क्योंकि स्पीकर की ओर से विधानसभा के कार्यक्रम की जो लिस्ट जारी की गई है उसमें राज्यपाल के अभिभाषण के बाद फ्लोर टेस्ट का जिक्र नहीं किया गया है।
रात ढाई बजे भोपाल पहुंचे बीजेपी विधायक, कांग्रेस वाले बेंगलुरु में
इस बीच बीजेपी विधायक देर रात 2.30 बजे भोपाल पहुंचे, सभी विधायकों ने एक सुर में कहा कि कमलनाथ सरकार का जाना तय है। हालांकि कांग्रेस के बागी विधायक अभी तक बेंगलुरु में ही हैं। बागी विधायकों ने भोपाल पहुंचने के लिए सुरक्षा की मांग की है। 22 बागियों में से सिर्फ 6 के इस्तीफे मंजूर किए गए हैं यानी बाकी 16 से कमलनाथ को उम्मीद है। बता दें कि रविवार को कैबिनेट की बैठक से निकलते वक्त मुख्यमंत्री ने ऑल इज वेल का दावा भी किया।
विधायकों का कराया गया कोरोना टेस्ट
जयपुर से आए कांग्रेस के विधायकों का कोरोना टेस्ट कराया गया। बताया गया था कि कांग्रेस के दो विधायकों में कोरोना जैसे लक्षण दिखे जिसके बाद विधायकों की थर्मल स्क्रीनिंग की गई। इसी के बाद से कांग्रेस सभी विधायकों का कोरोना टेस्ट कराने की मांग कर रही है। जानकारी के मुताबिक कांग्रेस की योजना है कि इस बहाने बागी होकर बीजेपी के खेमे में पहुंचे विधायकों से संपर्क साधा जा सकेगा।
अदालत का रुख कर सकती है बीजेपी
फ्लोर टेस्ट पर जारी सस्पेंस के बीच केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान और नरेन्द्र सिंह तोमर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल से मिले। बताया जा रहा है कि अगर स्पीकर बहुमत परीक्षण नहीं करवाते हैं तो बीजेपी अदालत का रुख कर सकती है। वहीं, कांग्रेस और बीजेपी ने व्हीप जारी कर विधायकों को सदन में रहने का आदेश दिया है।
22 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे
मध्य प्रदेश होली से एक दिन पहले 9 मार्च को सियासी उठापटक तेज हो गई थी। राज्य के कद्दावर कांग्रेसी नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक 22 कांग्रेस विधायक अचानक भोपाल से कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु चले गए। इन 22 विधायकों में से 6 कमलनाथ सरकार में मंत्री भी थे। इस सभी विधायकों ने अपने इस्तीफे स्पीकर को सौंप दिए हैं। स्पीकर ने 6 मंत्रियों का इस्तीफा तो स्वीकार कर लिया है, लेकिन 16 विधायकों का इस्तीफा अभी उन्होंने स्वीकार नहीं किया है।
कमलनाथ सरकार कैसे बचा सकती है सरकार
एमपी के सियासी उठापटक के बीच अब दो स्थितियां बन गई है। मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल सीटें हैं 230, दो विधायकों के निधन की वजह से ये संख्या घटकर 228 रह गई है। कांग्रेस के 6 बागी विधायकों का इस्तीफा मंजूर हो चुका है। इसलिए सदन रह गया 222 सदस्यों का। इस लिहाज से बहुमत साबित करने के लिए 112 विधायकों के समर्थन की जरूरत है।
6 विधायकों को इस्तीफा मंजूर होने के बाद अभी कांग्रेस के पास 108 विधायक हैं यानि बहुमत से चार कम और बीजेपी के पास 107 विधायक हैं यानि बहुमत से 5 कम। ऐसे में किंग मेकर होंगे गैर बीजेपी गैर कांग्रेस विधायक, जिसमें दो बहुजन समाजवादी पार्टी, एक समाजवादी पार्टी और चार निर्दलीय हैं। अगर कमलनाथ सरकार बेंगलुरु में रुके 16 विधायकों का समर्थन हासिल कर लेती है तो निर्दलीय और एसपी, बीएसपी विधायकों के समर्थन के बाद सरकार बच सकती है।