इंग्लैंड में फंसे भारतीय बोले- स्वास्थ्य सेवाओं पर भरोसा नहीं, हमें बचाए मोदी सरकार
50 से अधिक भारतीय नागरिक जिनमें ज्यादातर छात्र हैं, लंदन के भारतीय उच्चायोग में फंसे हैं. इन लोगों ने भारत वापस लौटने की मांग उठाई है. किंग्स्टन यूनिवर्सिटी लंदन की एक छात्रा गायत्री ने ‘इंडिया टुडे’ को बताया कि जब वह भारत जाने के लिए गैटविक एयरपोर्ट पहुंची तो उन्हें प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई और कहा गया कि वे उच्चायोग से इसके लिए पत्र लेकर आएं. इसके लिए उन्हें उच्चायोग आना पड़ा. उनकी तरह कई लोग फिलहाल उच्चायोग पहुंच चुके हैं.
एक और छात्र हबीब मुस्तफा जो इस समूह का हिस्सा हैं, वे भी उच्चायोग (एचसीआई) के अंदर हैं. उन्होंने कहा, हम एचसीआई में हैं हमें भोजन भी दिया गया जिसकी हम सराहना करते हैं लेकिन हम कहीं भी आवास के लिए नहीं जा सकते क्योंकि हमारे पास सुविधाएं नहीं हैं. उन्होंने आगे कहा कि सभी लोग वायरस के प्रकोप को देखते हुए बाहर के रेस्तरां का खाना खाने से डरते हैं और कोई जोखिम नहीं लेना चाहते.
दूसरी ओर एचसीआई अधिकारियों का कहना है कि 20 मार्च को 60 के करीब छात्र आए जिन्होंने ट्रैवल एडवाइजरी और कर्फ्यू के बावजूद भारत जाने को कहा. परिस्थितियों को देखते हुए एचसीआई के अधिकारियों ने उन्हें समझाया और उन्हें एचसीआई में सब्सिडी रेट पर रहने और खाने का सुझाव दिया. अंततः आधे से ज्यादा लोग यहां से चले गए लेकिन कुछ लोग अभी भी यहीं हैं जो एक दूसरे की सेहत को खतरा पहुंचा सकते हैं. ताजा ट्रैवल एडवाइजरी के मुताबिक, भारतीय पासपोर्ट होल्डर को भारत आने की मनाही है. यह 18 मार्च से प्रभावी है. यूरोपीय संघ के देशों, यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन के देशों, तुर्की और यूके के नागरिकों का भारत में प्रवेश वर्जित है.
एचसीआई में ठहरी एक छात्रा गायत्री से जब पूछा गया कि फिलहाल भारत जाना उनके लिए और उनके परिजनों के लिए ठीक नहीं है, इस पर उन्होंने कहा- हम भारत में बिना किसी शर्त क्वारनटीन में रहने के लिए तैयार हैं. हम भारत में खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं क्योंकि हमारे साथ अच्छा बर्ताव होता है. यूके में जिस तरह से हर दिन मामले बढ़ रहे हैं, उससे भय का माहौल है. लोगों में डर इस बात का भी है कि यूके में अभी सामुदायिक जांच की कोई सुविधा नहीं है. जिन लोगों में हल्के लक्षण देखे जा रहे हैं उन्हें कोरोना हेल्पलाइन पर फोन न करने की सलाह दी जा रही है. बल्कि जब तक मामला अति गंभीर न हो, उन्हें सेल्फ आइसोलेशन में रहने की नसीहत दी जा रही है.
यूके में पहली बार ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ (भीड़-भाड़ से दूर रहना) का ऐलान हुआ है. इसे 20 मार्च को शुरू किया गया है. प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के ऐलान के बाद सभी पब, क्लब, रेस्तरां, जिम और थिएटर बंद कर दिए गए हैं. यूरोप अभी कोरोना वायरस का केंद्रबिंदु (एपीसेंटर) बना हुआ है जहां खतरा सबसे ज्यादा है.
एचसीआई ने ‘इंडिया टुडे’ को यह भी बताया कि जिन लोगों के वीजा की अवधि खत्म हो गई है, उनके मामलों पर भी सकारात्मक रूप से विचार किया जा रहा है. एचसीआई ने आगे कहा कि वे उन भारतीयों के भोजन और आवास की व्यवस्था करने में भी मदद कर रहे हैं जो मुश्किल स्थिति में हैं. उच्चायोग के अंदर रहने वाले छात्र हालांकि यूके में खुद को “सुरक्षित” महसूस नहीं करते हैं क्योंकि उन्हें स्वास्थ्य और अस्पताल की स्थिति पर ज्यादा भरोसा नहीं है. उन्हें लगता है कि “भारतीय डॉक्टर उनकी मदद कर सकते हैं” अगर वे बीमार पड़ जाते हैं और इस तरह से कर्फ्यू और यात्रा प्रतिबंध के बावजूद वे भारत वापस जाना चाहते हैं.