कोरोना संकट: Exclusive: जब देश में प्रधानमंत्री राहत कोष है तो फिर पीएम-केयर्स फंड का औचित्य क्या…?

दस्तवेज ब्योरो: कोरोना वाइरस से लड़ने के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष के इतर पीएम-केयर्स फंड बनाने को लेकर केंद्र सरकार की जमकर आलोचना हो रही है। कई लोगों ने इसके पीछे भ्रष्टाचार होने की आशंका जताई है। लोगों के आरोप हैं जब देश में प्रधानमंत्री राहत कोष अस्तित्व है तो फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘पीएम-केयर्स फंड‘ में लोगों से दान करने की अपील क्यों कर रहे हैं। जबकि उन्हें प्रधानमंत्री राहत कोष में लोगों को दान करने की गुजारिश करनी चाहिए थी।

बीबीसी की एक रिपोर्ट में इस बात को लेकर आशंका जाहिर की गई है। बीबीसी ने लिखा है कि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए बने पीएम-केयर्स फंड पर खड़े हुए सवाल उठ रहे हैं और यह महज चंदा जुटाने के मकसद से बनाया गया ट्रस्ट है जो कि शायद नियंत्रक एवं लेखामहापरिक्षक यानी कैग की परिधि से बाहर है। जिसके पैसों का कोई ऑडिट नहीं हो पाएगा।

बीबीसी का दावा है लोग सवाल कर रहे हैं कि जब सालों से सरकारी पीएम रिलीफ़ फंड या प्रधानमंत्री राहत कोष मौजूद है तो फिर एक नए फंड कि ज़रूरत क्यों आन पड़ी? कई लोग नए कोष यानी पीएम-केयर को ‘घोटाला’ क़रार दे रहे हैं तो कुछ जगहों पर कहा जा रहा है कि नया फंड इसलिए बनाया गया क्योंकि शायद ये नियंत्रक एंव महालेखा परीक्षक या कैग की परिधि से बाहर होगा जिसकी वजह से कोष से किए गए ख़र्च और उनके इस्तेमाल पर किसी की नज़र नहीं रहेगी।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने या सरकारी तंत्र से जुड़े पब्लिसिटी विभाग ने इस संबंध में अब तक किसी तरह का कोई बयान नहीं दिया है। हालांकि बीजेपी नेता नलिन कोहली ने इस मसले पर कहा है कि, “इस मुद्दे पर राजनीति करने की कोई ज़रूरत नहीं है। सरकार अलग-अलग उद्देश्य से बहुत सारे फंड शुरू करती है और इसकी रिपोर्ट नियंत्रक और महालेखापरीक्षक को की जाती है। सब कुछ नियमों के तहत की होता है।”
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं

कांग्रेस सासंद शशि थरूर ने पूछा है कि प्रधानमंत्री की कैची शब्दावली को लेकर ख़ास दिलचस्पी को देखते हुए सीधे तौर पर प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष या पीएमएनआरएफ़ का नाम बदलकर पीएम-केयर किया जा सकता था। लेकिन एक नए ट्रस्ट की शुरुआत की गई है जिसके नियमों और ख़र्चों को लेकर किसी तरह की स्पष्टता नहीं है।
राष्ट्रीय आपदा के समय भी एक व्यक्ति विशेष की लहर

जाने-माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने इसे राष्ट्रीय आपदा के समय भी एक व्यक्ति विशेष की लहर बनाने की कोशिश जैसा बताया है। इस असाधारण क़दम के लिए आपको जनता को जवाब देना चाहिए। साकते गोखले ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री राहत कोष में अभी भी 3800 करोड़ रुपये मौजूद हैं और उन्होंने आरटीआई के ज़रिये प्रधानमंत्री कार्यालय से पीएम-केयर के संबंध में जानकारी मांगी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को ट्वीट के ज़रिये अपील करके कहा कि Coronavirus (covid 19) जैसी आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और आपात राहत कोष (पीएम-केयर्स फंड) की स्थापना की जा रही है और लोग उसमें दान करें। प्रधानमंत्री ने ट्वीट में कहा कि इस कोष का इस्तेमाल भविष्य में आनेवाली दिक्क़त की घड़ियों में भी किया जाएगा। ट्वीट में फंड से जुड़ी हुई सूचनाएं की लिंक भी मौजूद थी। लेकिन सवाल ये कि इस कोष के गठन की जरूर क्यों पड़ी जब पहले से ही प्रधानमंत्री राहत कोष अस्तित्व में है। क्या इस कोष से भविष्य में ऐसी आपदा से नहीं लड़ जा सकता।
प्रधानंत्री कार्यालय से जुड़ी वेबसाइट www.pmindia.gov.in पर फंड से संबंधित जानकारी में कहा गया है कि प्रधानमंत्री पीएम-केयर ट्रस्ट के अध्यक्ष होंगे और इसके सदस्यों में विदेश मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री शामिल हैं। मगर जहां एक तरफ़ फंड पर सवाल खड़े हो रहे हैं वहीं फिल्म और उद्योग जगत से जुड़ी शख्सियतों और आम लोग बढ़ चढ़कर पीएम-केयर में दान दे रहे हैं।
अभिनेता अक्षय कुमार ने इस फंड में 25 करोड़ रुपयों का दान दिया है. तो उद्योगपति गौतम अडानी की तरफ़ से दान-राशि 100 करोड़ रुपये हैं।