कोरोना संकट: उत्तराखंड में बनती है नए जमाने की संजीवनी ‘हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन’
देहरादून: ब्राजील के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को खत लिख कर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को रामायण की संजीवनी बूटी बताई और भारत से अपेक्षा करते हुये कहा कि जिस प्रकार हनुमानजी ने हिमालय से संजीवनी लाकर लक्ष्मणजी के प्राण बचाये उसी प्रकार भारत अपने दोस्त की संकट के समय मदद करेगा। ब्राजील के राष्ट्रपति की भांति अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी भारत से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की मांग की। संयोग देखिए जिस हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को ब्राजील के राष्ट्रपति ने संजीवनी बताया उसका उत्पादन उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर होता है। ऐसे में उत्तराखंड एक बार फिर इस संजीवनी से दुनिया को संकट से बचाने में मददगार होगा।
सेलाकुई में बनती है नए जमाने की संजीवनी
चीन से शुरू हुए कोरोना वायरस ने दुनिया के उन देशों को धराशायी कर दिया जो खुद को सुपर पॉवर समझते थे। कोरोना से लड़ने के लिए लगभग ये सभी देश भारत की ओर देख रहे हैं। इन देशों में से कई ने भारत से मदद की गुहार लगाई है जिसमे अमेरिका भी शामिल है। अमेरिका ने भारत से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवाई की मांग की है जो कोरोना में प्रभावी साबित हो रही है। अमेरिका वायरस से लड़ने के लिए जिस दवाई की मांग कर रहा है वह उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के सेलाकुई में बनती है। इस दवाई का उत्पादन भारी मात्रा में सेलाकुई स्थित सिडकुल में हो रहा है। कोरोना से लड़ने के लिए इस वक्त सबसे ज्यादा जरूरत दो दवाइयों की पड़ रही है। इनके नाम हैं- हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और कोलोगिन फॉस्फेक्ट लेरियागो टैबलेट। हालांकि लॉकडाउन के बाद देश की तमाम फैक्ट्री बंद हो गई थीं लेकिन जैसे ही देश को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और कोलोगिन फॉस्फेक्ट लेरियागो टैबलेट की अधिक जरूरत महसूस हुई, वैसे ही दवाई बनाने वाली कंपनियों को उत्पादन करने के लिए तुरंत आदेश दिए गए। इनमें सेलाकुई की कंपनी इप्का भी शामिल है।
बड़ी मात्रा में बन रही औषधि
कंपनी के प्लांट हेड गोविंद बजाज ने बताया कि कोरोना के चलते प्लांट को खोलने में स्टाफ की काफी दिक्कत आ रही है। सभी स्टाफ इस महामारी से घबराए हुए हैं। ऐसे में देहरादून पुलिस ने मदद की और न केवल सभी स्टाफ को समझाया बल्कि पुलिस ने उनके आने-जाने की भी अच्छी व्यवस्था की ताकि प्लांट में सभी कर्मचारी आसानी से आ सकें। अब देश की जरूरत को पूरा करने के लिए कंपनी के कर्मचारी दिन-रात शिफ्ट में काम कर रहे हैं। फिलहाल मांग को देखते हुए 300 कर्मचारी से काम लिया जा रहा है जो दिन-रात लगे हैं।
देश की जरूरत पूरा करने में जुटी हैं कम्पनियां
इप्का देहरादून के अलावा सिक्किम प्लांट में भी इस दवाई का उत्पादन कर रही है। प्लांट हेड गोविंद बजाज का कहना है कि इस संकट की घड़ी में सबसे पहले वे देश की जरूरत को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। गोविंद बजाज ने बताया कि पहले कोलोगिन फॉस्फेक्ट लेरियागो टैबलेट का उत्पादन हर महीने लगभग 2 करोड़ का किया जा रहा था लेकिन इस महीने जरूरत के साथ इसे बढ़ा कर 5 करोड़ किया गया है। इतना ही नहीं हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन हर महीने डेढ़ करोड़ टैबलेट बन रही थी, लेकिन अब इसे ढाई करोड़ किया गया है जिसे और बढ़ाया जा रहा है। गोविंद बजाज ने कहा है कि सरकार अगर हमसे ये कहती है कि उत्पादन बढ़ा कर दूसरे देश को भी दवाई उपलब्ध करवानी है, तो वो इस काम के लिए पीएम मोदी के साथ खड़े हैं।