दिल्ली-एनसीआर के 55 फीसदी लोगों को नहीं पता कोरोना के लक्षण, शोध में हुआ खुलासा
कोरोना वायरस से बचाव के लिए कई महीनों से लगातार लोगों को जानकारियां दी जा रही हैं, लेकिन देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर के ज्यादातर लोगों को कोरोना के सभी लक्षणों के बारे में नहीं पता है। नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) के फोन सर्वे के अनुसार, करीब 55 फीसदी दिल्ली-एनसीआर के लोगों को नहीं पता है कि सांस लेने में परेशानी भी कोरोना के मुख्य तीन लक्षणों में से एक है। केवल 36.4 फीसदी लोग ही बता पाए कि बुखार, सर्दी, कफ और सांस लेने में परेशानी कोरोना वायरस के लक्षण हैं।
एनसीएईआर ने तीन से छह अप्रैल के बीच दिल्ली और एनसीआर के शहरी व ग्रामीण इलाकों से 1750 लोगों को चयनित कर उनसे फोन पर कुछ सवाल किए। नेशनल कैपिटल रीजन कोरोना वायरस टेलीफोन सर्वे (डीसीवीटीएस) में 94.9 फीसदी लोगों ने कोरोना वायरस को अत्यधिक खतरनाक बताया। 3.2 फीसदी इसे मामूली खतरनाक मानते हैं। 84.7 फीसदी लोग (ग्रामीण क्षेत्रों में 81.2 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 88.9 प्रतिशत) ने कोरोना वायरस का एक लक्षण बुखार होना बताया, जबकि 84.9 फीसदी लोगों ने माना कि कोरोना वायरस से खांसी होती है। केवल 44.6 फीसदी लोगों ने बताया कि कोरोना वायरस से सांस लेने में परेशानी हो सकती है। 55.4 फीसदी लोग इससे अनजान थे। 36.4 फीसदी लोग ही कोरोना के लक्षणों के बारे में जानकारी दे सके। एनसीएईआर के अनुसार, अप्रैल और मई में इस सर्वे का दूसरा और तीसरा चरण भी पूरा किया जाएगा। अभी इसका पहला चरण ही जारी किया गया है।
लॉकडाउन का असर किसानों पर ज्यादा
सर्वे में ये भी सामने आया कि लॉकडाउन का असर मजदूरों और किसानों पर सबसे ज्यादा पड़ रहा है। अभी किसानों के लिए खेती का उचित समय है। ऐसे में सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए उन्हें फसल काटने और मंडी तक ले जाना सबसे बड़ी मुश्किल लग रहा है। 74.5 फीसदी लोगों ने बताया कि उनकी आय और मजदूरी को अत्यधिक नुकसान हुआ है।
29.3 फीसदी घरों में जरूरी चीजों की कमी
सर्वे में ये भी सामने आया है कि दिल्ली-एनसीआर के 29.3 फीसदी घरों में आवश्यक सामान की कमी है। फोन सर्वे में ग्रामीण (32.6 प्रतिशत) और शहरी (25.3 प्रतिशत) परिवारों ने बताया कि उनके घरों में खाने, गैस और दवा की कमी झेल रहे हैं। 20.7 प्रतिशत लोगों ने सब्जियों और फलों की कमी के बारे में बताया। 14 फीसदी ने अनाज, 8.7 फीसदी ने दवा, 7.8 फीसदी परिवारों ने खाना पकाने के ईंधन और 6.5 फीसदी परिवारों ने बताया कि उन्हें दूध के लिए काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, लगभग नौ प्रतिशत परिवारों ने दवाओं की कमी के बारे में बताया है, यह आगे चलकर गंभीर स्वास्थ्य प्रभाव की ओर इशारा हो सकता है।