September 22, 2024

एक्सक्लूसिव-कोरोना संकटः भाड़े के कर्मचारियों की सुध लो सरकार, उधारी में कब तक कटेगी जिंदगी

देहरादूनः लगता है सरकार को अपने भाड़े के कर्मचारियों की कोई परवाह नहीं है। सरकार की बेरूखी देखिए कि संकट के समय भी उसका लापरवाही वाला रवैया बरकरार है। भाड़े के ये वही कर्मचारी हैं जो आधी-अधूरी पगार (सैलरी) में विभागों का काम पूरे दमखम के साथ करते हैं। लेकिन इसके बावजूद भी सरकार इनके साथ सौतेला व्यवाहार करने से बाज नहीं आती। बिडंबना देखिए कि एक ओर राज्य सरकार ने ऐलान करती है कि प्राइवेट सेक्टर में कोई भी संस्थान अपने कर्मचारियों को न तो निकालेगा और न ही उनकी तनख्वाह काटेगी।

अगर कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कड़े कानून अमल में लाये जायेंगे। लेकिन गजब देखिए कि खुद सरकार ने अपने छोटे और भाड़े के कर्मचारियों को महीनों से तनख्वाह नहीं दी। ऐसे में सवाल उठाता है क्या सरकार इसे भी उसी चश्मे से देखेगी जिस चश्मे से देखकर वह प्राइवेट सेक्टर को हड़का रही है। अगर ऐसा है तो सरकार को अपने निकम्मे और निठल्ले अधिकारी पर मुकदमें दर्ज करने होंगे।

कोरोना संकट में तो वेतन दो सरका

राज्य सरकार भले ही कह रही हो कि उसने अपने कर्मचारियों का वेतन निर्गत कर दिया है। लेकिन हकीकत ये है कि कई विभागों में उपनल, आउट सोर्स और डेलीवेज पर रखे कर्मचारियों को महीनों से तनख्वाह ही नहीं मिली है। इन सैकड़ों कर्मचारियों को लाॅकडाउन से पहले के कई महीनों का वेतन नहीं मिल पाया है जिससे इन कर्मचारियों के सामने आर्थिक संकट गहराने लगा है। कई कर्मचारियों का कहना है कि एक ओर प्रधानमंत्री की उस अपील से उनकी आस बंधी थी जिसमें उन्होंने वेतन दिये जाने की बात कही। लेकिन प्रदेश में डबल इंजन की सरकार होने के बाद भी महीनों से वेतन नहीं आना अवसाद में ले जाता है। वहीं विभिन्न काॅलेजों में लगे गेस्ट फैकल्टी का भी यही हाल है। उनके सामने संकट यह है कि उन्हें प्रत्येक वादन के हिसाब से तनख्वाह मिली है लेकिन लाॅक डाउन के चलते काॅलेज बंद है ऐसे में उन्हें भी वेतन नहीं मिला है। लिहाजा उनके सामने भी आर्थिक संकट के बादल छाये हुए हैं।

उद्यान विभाग की अंधेरगर्दी

भाड़े के कर्मचारियों को वेतन देने में सबसे फिसड्डी उद्यान विभाग है। विभाग में इतनी अधेरगर्दी है कि यहां उपनल और आटस सोर्स कर्मचारियों को सितंबर माह से वेतन नहीं मिला। विभागीय मंत्री भी इतने अबोध हैं कि उन्हेें इसका कोई बोध ही नहीं है कि विभाग ने कर्मचारियों को 6 माह से वेतन ही नहीं दिया गया है। वहीं विभाग के अंतर्गत औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय में आउट सोर्स कर्मचारियों को भी पिछले तीन महीनों से वेतन नहीं दिया गया। विश्वविद्यालय के तहत खाद्य विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी संस्थान, माजरी ग्रांट और पर्वतीय कृषि महाविद्यालय चिरबटिाया रूद्रप्रयाग में तैनात उपनल कर्मियों के सामने जब आर्थिक संकट गहराया तो उन्होंने सामुहिक रूप से कुलपति को पत्र भेज कर पिछले महीनों का वेतन मांगा है।

डाॅ अजीत कुमार कर्नाटक , कुलपति, उत्तराखंड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय

कर्मचारियों का वेतन समय पर दिया जाता है। बजट के कारण यह स्थिति पैदा हुयी है। लेकिन कोरोना वायरस कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए कोई रास्ता निकाला जायेगा। इस संबंध में जल्द संबंधित अधिकारियों से वार्ता की जायेगी। हमारी कोशिस है कि सबसे पहले उपनल कर्मचारियों का वेतन जारी किया जाय। इस संकट की घडी में हम विवि के सभी कर्मचारियों के साथ खडे है।

कुलपति दो विश्वविद्यालयों जिम्मेदारी ढो रहे

कर्मचारियों का आरोप है कि कुलपति दो विश्वविद्यालयों जिम्मेदारी ढो रहे हैं। जब से उन्हें दून विश्वविद्यालय का प्रभार सौंपा उन्होंने अपने मूल विश्वविद्यालय की ओर झांकने की जहमत नहीं उठाई। वह देहरादून में डटे हैं। वहीं विभागीय मंत्री का भी यही हाल है। विभाग मंत्री को खबर ही नहीं हैं कि उनके विभाग में आउटसोर्स और उपनल के माध्यम से लगे भड़े के कर्मचारियों की समस्याएं क्या है। उपनल कर्मचारियों का कहना है कि उनके माने आर्थिक संकट गहरा गया है। लिहाजा उन्हें भी कोरोना वाइरस (कोविड-19) के तहत अनुपालन में लाई जा रही गाइड लाइन के तहत जल्द वेतन दिया जाय।

सुबोध उनियाल, कैबिनेट मंत्री उत्तराखंड सरकार

सभी कर्मचरियों का वेतन जारी करने का आदेश जारी किया जा चुका है। कोरोना संकट को ध्यान में रखते हुए संबंधित अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया गया है कि किसी भी प्रकार से नियमित और आउर्सोस कर्मचारियों का उत्पीडन नहीं किया जायेगा। दस्तावेज डाॅट इन न्यूज पोर्टल के माध्यम से मामला संज्ञान में आया है। इस प्रकरण का तत्काल निदान किया जायेगा।

गेस्ट फैकल्टी पर संशय

उच्च शिक्षा विभाग में विभिन्न काॅलेजों में लगाये गये अतिथि प्राध्यापकों की सैलरी को लेकर विभाग निर्णय की स्थिति में नहीं है। दअरसल काॅलेजों में पठन-पाठन की व्यवस्था को सुचारू बनाये रखने के लिए विभाग ने गेस्ट फैकल्टियों की नियुक्ति की थी। जिन्हें 11 माह की अवधि या फिर स्थाई नियुक्ति होने तक रखा गया था। लेकिन इनमें से वर्ष 2017-18 में लगे कई फैकल्टी की 11 माह की अवधि 21 मार्च 2020 को पूरी हो चुकी है लेकिन विभाग लाॅकडाउन के चलते इन्हें हटा नहीं सकता लिहाजा इनके वेतन को लेकर विभाग के सामने संकट पैदा हो गया है। वहीं उच्च शिक्षा निदेशक डाॅ0 अशोक कुमार ने इस समस्या से प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को अवगत करा दिया है। जिस पर जल्द कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी। वहीं विभागीय मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिये हैं कि किसी भी सूरत में कर्मचारियों को वेतन दिया जाय।

अन्य विभागों के भी हाल खराब

प्रदेश में लगभग सभी विभागों में तैनात आउट सोर्स और उपनल कर्मचारियों की यही दशा है। स्वास्थ्य विभाग, आईटी, वन विभाग, जल संस्थान, शिक्षा विभाग, आपदा प्रबंधन, स्वजल, ऊर्जा निगम, कृषि विभाग आदि सभी विभागों में कार्यरत आउट सोर्स कर्मचारियों को पिछले कई महीनों से वेतन नहीं दिया गया है। जबकि एक अनुमान के तहत इनकी संख्या लगभग 10 हजार के आस-पास है। यह वही कड़ी है जो विभिन्न विभागों के लिए किसी आॅक्सीजन से कम नहीं है। कोरोना संकट के चलते इन लोगों के सामने भूखे मरने की नौबत आ चुकी है लेकिन सरकार है कि उसको इनकी कोई सुध नहीं है। अगर ऐसा ही चलता रहा है तो कोरोना संकट से निपटने के बाद यही कर्मचारी आंदोलन की राह पकड़ने के लिए मजबूर हो जायेंगे।


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