शामली में मौलाना साद के फार्म हाउस पर दिल्ली क्राइम ब्रांच का छापा, जांच पड़ताल जारी
उत्तर प्रदेश के शामली जनपद में मौलाना साद के कस्बा कांधला में स्थित फार्म हाउस पर गुरुवार को दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम ने छापा मारा। टीम ने फार्म हाउस में पहुंचकर वहां काम करने वाले लोगों से जानकारी ली और देखा कि यहां कोई जमाती तो नहीं है। इस दौरान किसी अन्य व्यक्ति को अंदर नहीं जाने दिया गया।
करीब एक घंटे से पुलिस और खुफिया टीम फार्म हाउस में मौजूद है। इस टीम में छह सदस्य हैं।
बता दें कि कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज और उसके अमीर मौलाना साद सुर्खियों में हैं। तब्लीगी जमात निकालने की शुरुआत ही शामली जिले के कांधला कस्बे के रहने वाले मौलाना इलियास ने की थी। वह साद के परदादा थे। पहली जमात भी कांधला के लोगों की निकली थी, इसके बाद यह दुनिया भर में फैलती चली गई।
तब्लीगी जमात यानी अल्लाह, कुरान और हदीस की बात दूसरों तक पहुंचाने वाला समूह, इसका सबसे बड़ा मरकज निजामुद्दीन दिल्ली और इस मरकज के अमीर मौलाना साद कांधलवी सुर्खियों में हैं।
दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज से निकलकर देश भर में फैले जमातियों ने कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या तीन गुणा बढ़ा दी, जिससे निजामुद्दीन मरकज और वहां के अमीर मौलाना साद निशाने पर आ गए। एफआईआर हो चुकी है, दिल्ली क्राइम ब्रांच मौलाना साद को तलाश रही है। इससे कोरोना को हराने के लिए शुरू की गई मुहिम के लिए नई चुनौतियां बढ़ गई हैं। मौलाना साद के साथ कई विवाद जुड़े हैं।
इसलिए निशाने पर है जमात और मौलाना साद
- कोरोना पर एडवाइजरी नहीं मानी, लॉकडाउन के बावजूद निजामुद्दीन मरकज में पांच हजार लोगों का जलसा किया और वहां से देशभर में जमात निकाली। जमात में शामिल संक्रमित लोग जहां- जहां गए वहां भी संक्रमण फैला।
- मौलाना साद का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह मिलना-जुलना बरकरार रखने, साथ बैठकर खाना खाने और मस्जिदों में नमाज पढ़ने को कह रहे हैं। एडवाइजरी और सामाजिक दूरी बनाए रखने को एक साजिश बता रहे हैं।
- जमात में बड़ी संख्या में विदेशी भी शामिल है। जो टूरिस्ट वीजा पर आए और धार्मिक प्रचार करने लगे। इनकी कोई सूचना पुलिस प्रशासन को नहीं दी गई और न ही स्वास्थ्य जांच कराई गई। कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन किया गया।
- जमात में शामिल पॉजिटिव व संदिग्धों को क्वारंटीन किया गया तो सहयोग नहीं किया। उल्टे उन्होंने देखभाल करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों से अभद्रता की और बेजा मांगे रखीं। हालात यहां तक पहुंचे कि सरकार को सख्ती करनी पड़ी।