September 22, 2024

गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्‍तान के इस कदम से भड़के पीएम मोदी, दिया ये आदेश

दुनिया कोरोन से लड़ रही है और ऐसे समय में पाकिस्तान फिर नए तिकड़म में जुटा है। अब पाकिस्‍तान गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव कराने की तैयारी में है, इसके लिए वहां कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश भी दिया है। हालांकि पाकिस्‍तान के इस कदम पर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया है। भारत ने साफ-साफ कह दिया कि गिलगित-बाल्टिस्तान जम्मू-कश्मीर का हिस्सा है, जिस पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है।

इस्लामाबाद में बैठे हुक्कमरानों और रावलपिंडी में बैठे आर्मी जनरलों को कोरोना से मरता पाकिस्तान नहीं दिख रहा। मुल्क में मरते लोगों को बचाने की जल्दबाजी नहीं है। जल्दबाजी दिख रही है तो अवैध कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव कराने की। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सरकार को गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव कराने और इससे जुड़े कानून में संशोधन का आदेश दिया था, जिस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कड़ी आपत्ति जताई है।

पाकिस्तान इसे फौरन खाली कर दे…

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, पाकिस्तान को साफ बता दिया है कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और गिलगित-बाल्टिस्तान कानूनी तौर पर भारत का हिस्सा हैं। अवैध कब्जे वाले इस हिस्से पर पाकिस्तान सरकार या वहां की अदालतें कोई फैसला नहीं ले सकतीं। भारत इन हरकतों को कभी सहन नहीं करेगा। दिल्ली ने इस्लामाबाद से साफ-साफ कह दिया कि गिलगित-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान चुनाव नहीं करा सकता है। क्योंकि गिलगित-बाल्टिस्तान भारत का अभिन्न हिस्सा है, लिहाजा पाकिस्तान इसे फौरन खाली कर दे।

मतलब, गिलगित-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान की एक मिनट भी मौजूदगी अब भारत को बर्दाश्त नहीं है। क्योंकि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के इस हिस्से पर धोखा से और गैर-कानूनी तरीके से कब्जा बनाए हुए है। कुदरत के इस शानदार हिस्से पर पाकिस्तान अवैध रुप से कब्जा जमाए बैठा है। गिलगित-बाल्टिस्तान भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य का हिस्सा है। मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर को लेकर पहले भी कई मौकों पर अपना इरादा साफ कर चुकी है।

पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान के बड़े हिस्से को चीन के हाथों गिरवी रख चुका है। यहां के लोगों पर बेहिसाब अत्याचार कर रहा है। इस इलाके के लोग बार-बार पाकिस्तान से आजादी के लिए आवाज बुलंद कर चुके हैं। लेकिन पाकिस्तानी फौज ने गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों की आवाज को बूटों तक दबा दिया है। गिलगित-बाल्टिस्तान का ये खुबसूरत इलाका कभी जम्मू-कश्मीर रियासत का हिस्सा हुआ करता था। पहले इसे उत्तरी इलाका यानी नार्दन एरियाज कहा जाता था। इसके उत्तर में चीन और अफगानिस्तान, पश्चिम में पाकिस्तान का खैबर पख्तूनख्वाह और पूर्व में भारत है। अपने इसी भूगोल की वजह से ये इलाका भारत, चीन और पाकिस्तान तीनों के लिए सामरिक तौर पर बहुत अहम बन जाता है।

गिलगित-बाल्टिस्तान में रहने वाले लाखों लोग पाकिस्तान से आजादी चाहते हैं। एक ऐसी साजिश के तहत गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों के साथ धोखा हुआ, जिसमें अंग्रेज भी शामिल थे।

  • बात अगस्त 1947 की है। भारत आजाद की खुली हवा में सांस ले रहा था। अंग्रेजों ने इस इलाके की लीज खत्म कर महाराजा हरि सिंह को जानकारी दे दी थी। हरि सिह को गिलिगित स्काउट के कमांडर कर्नल मिर्जा हसन खान के विद्रोह का सामना करना पड़ा। कर्नल मिर्जा हसन को अंग्रेजों का पूरा साथ मिल रहा था। पाकिस्तान के गर्वनर जनरल मोहम्मद अली जिन्ना की पहले से ही गिलगित पर पैनी नजर थी।
  • 2 नवंबर, 1947 को कर्नल मिर्जा हसन ने गिलगित-बाल्टिस्तान की आजादी का ऐलान कर दिया। ब्रिटेश अफसर मेजर ब्राउन ने इस क्षेत्र के हेडक्वाटर पर पाकिस्तान का झंडा फहरा दिया। इससे ठीक दो दिन पहले 31 अक्टूबर को महाराजा हरि सिंह ने अपनी जम्मू-कश्मीर रियासत के भारत में विलय को मंजूरी दी थी।
  • 21 दिन बाद पाकिस्तान इस गिलगित-बाल्टिस्तान में घुसा और अपने फौजियों के दम पर इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया।
  • अप्रैल 1949 तक गिलगिट-बाल्टिस्तान के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का हिस्सा माना जाता रहा है। लेकिन पाकिस्तान ने बहुत चालाकी से एक और बड़ी साजिश रची और इस क्षेत्र को PoK से अलग कर दिया।
  • 2018 में एक आदेश के जरिए पाकिस्तान ने 2009 के एंपावर एंड सेल्फ गवर्नेंस ऑर्डर को बदल दिया। इसमें गिलगित-बाल्टिस्तान के लिए राज्यपाल, विधानसभा और मुख्यमंत्री का प्रावधान था। गिलगित-बाल्टिस्तान काउंसिल भी बनाई गयी।

लेकिन बड़ा सच ये है कि पाकिस्तान में चाहे आर्मी का शासन रहा हो या फिर लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गयी सरकार, इस्लामाबाद और रावलपिडी में बैठे शासकों की गिलगिट-बाल्टिस्तान को पैरों से कुचलने वाली नीति रही।


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