September 22, 2024

बस कुछ दिन और…….. सितंबर तक आ जाएगी कोरोना वैक्सीन की 1 करोड़ डोज!

कोरोना से निपटने के लिए पूरी दुनिया बेकरार है ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन सबसे असरदार होगी। हर कोई सबसे पहले कोरोना की वैक्सीन खोज कर मुसीबत में पड़ी दुनिया का सुपरहीरो बनने के ख्वाब देख रहा है। ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन सबसे असरदार होगी। सुपर पॉवर अमेरिका ब्रिटेन ,इजरायल,चीन,और भारत जैसे बड़े और ताकतवर देश लगातार कोशिश कर रहे हैं कि कोरोना की काट मिल जाए। लेकिन असल जंग चल रही है अमेरिका और ब्रिटेन में।

अमेरिका रेमडेसिविर वैक्सीन के जरिए इस जंग को जीत लेना चाहता है ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन सबसे असरदार होगी। जिसका ट्रायल अब बिल्कुल अंतिम दौर में हैं तो वहीं बिट्रेन की ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी में चल रही दवा की खोज को सबसे ज्यादा गति मिली है उस करार के बाद जो हुआ है। दुनिया की बड़ी फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनका और ऑक्सफोर्ड ने किया है दवा बनाने का सबसे बड़ा करार।कोरोना की दवा को लेकर हुई डील 1 हजार 68 करोड़ का है जिसको लेकर समझौते पर दस्तखत भी हो चुके हैं। दावा है कि 4 महीने में 10 करोड़ दवा के डोज बनाएगी ‘एस्ट्राजेनका’।

यहां खास बात ये है कि ब्रिटेन की सरकार ने इस दवा की रिसर्च के लिए एक भारी भरकम ग्रांट मंजूर की थी और इसीलिए तेजी से रिजल्ट भी आ रहे हैं। जाहिर है अगर ये दवा बनती है तो सबसे पहले इसका फायदा ब्रिटेन को ही होगा और इसीलिए इस करार में ये शर्त रखी गई है कि पहली खेप की 3 करोड़ डोज़ेज़ पहले ब्रिटेन को दी जाएगी, लेकिन एस्ट्रजेनका जैसी बड़ी कंपनी के पास इसे बनाने की जिम्मेदारी का एक फायदा ये होगी कि ये तेजी से दुनिया के दूसरे मुल्कों के लिए भी मुहैया होगी।

शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि ‘छह बंदरों को कोरोना वायरस की भारी डोज़ देने से पहले, उन्हें यह टीका लगाया गया था। हमने पाया कि कुछ बंदरों के शरीर में इस टीके से 14 दिनों में एंटीबॉडी विकसित हो गईं और कुछ को 28 दिन लगे। ‘शोधकर्ताओं के अनुसार, “कोरोना वायरस के संपर्क में आने के बाद, इस वैक्सीन ने उन बंदरों के फ़ेफड़ों को नुक़सान से बचाया।

वायरस को  लंदन स्कूल ऑफ़ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसन के एक प्रोफ़ेसर, डॉक्टर स्टीफ़न इवांस ने कहा कि ‘बंदरों पर शोध के बाद जो नतीजे आए हैं, वो निश्चित रूप से एक अच्छी ख़बर है।’  उन्होंने कहा, “यह ऑक्सफ़ोर्ड वैक्सीन के लिए एक बड़ी बाधा की तरह था जिसे उन्होंने बहुत अच्छी तरह से पार कर लिया है।” शरीर में ख़ुद की कॉपियाँ बनाने और बढ़ने से रोका। टीका विकसित करने की प्रक्रिया में उसका बंदरों पर सफल होना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन वैज्ञानिकों की जानकारी के अनुसार कई टीके जो लैब में बंदरों की रक्षा कर पाते हैं, वो अंतत: मनुष्यों की रक्षा करने में विफल रहते हैं।

खास बात ये है कि इस पूरे ट्रायल के दौरान अभी तक कोई साइड इफेक्ट नहीं दिखे हैं। जो बड़ी राहत की बात है। 13 मई तक इस ट्रायल में करीब 1 हजार लोगों को वैक्सीन दी गई। ट्रायल के लिए सभी लोग स्वेच्छा से सामने आए अभी तक किसी मे भी कोई साइड इफेक्ट नजर नहीं आया। पूरे रिजल्ट आने में बस एक महीने की देरी है।

ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में कोरोना ड्रग ट्रायल दो मोर्चों पर एकसाथ चल रहा है। आप भी इस ख़बर को ज़रूर समझिये क्योंकि, कोरोना महामारी से हम तभी बचेंगे, जब इसकी वैक्सीन बनेगी और वैक्सीन के लिए ड्रग ट्रायल बेहद ज़रूरी है।

  • ब्रिटेन में कोरोना की 2 वैक्सीन पर ट्रायल चल रहा है।
  • एक ट्रायल ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन पर है।
  • दूसरा ट्रायल इंपीरियल कॉलेज की देखरेख में हो रहा है।
  • जून तक वैक्सीन के ड्रग ट्रायल के नतीजे आ सकते हैं।
  • ब्रिटेन ने कोरोना पर 21 नए रिसर्च प्रॉजेक्ट शुरू किए हैं।
  • ब्रिटेन की सरकार ने 1.4 करोड़ पाउंड की राशि दी है।
  • ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी 10 लाख वैक्सीन की डोज़ तैयार करेगी।
  • कोरोना वैक्सीन के 7 निर्माताओं में 3 ब्रिटेन में हैं।
  • 2 उत्पादन यूनिट यूरोप में हैं और एक चीन में है।
  • कोरोना वैक्सीन की एक उत्पादन यूनिट भारत में है।
  • सितंबर 2020 तक 7 यूनिट 1 करोड़ डोज़ तैयार करेंगी।
  • ब्रिटेन में क्लीनिकल के बाद वॉलंटियर्स ट्रायल जारी है।

ऑक्सफफर्ड के मुताबिक उनकी वैक्सीन पहले ही डोज़ में असरदार होगी।वैक्सीरन को बनाने के लिए सबसे सटीक तकनीक का प्रयोग हुआ है। ऑक्सफोर्ड की वैक्सीबन दमदार रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करती है। वैक्सीन वाली टीम संभावित संक्रामक बीमारी पर काम कर रही थी। ये टीम लास्साट बुखार और मर्स पर रिसर्च कर रही थी।

ये दोनों ही बीमारी कारोना फैमिली के वायरस से होती हैं। इसी वजह से कोविड-19 की वैक्सीहन में काफ़ी मदद मिली। वैक्सीन को तैयार करने का प्रोटोकॉल 12 से 18 महीने का होता है। ब्रिटेन ने वैक्सीन को लेकर एक टास्क फोर्स तैयार की है। 7 देशों में 70 से ज़्यादा कंपनियां वैक्सीन पर काम कर रही हैं। कई देशों की रिसर्च टीमें कोरोना वैक्सीयन की पड़ताल में जुटी हैं।

कोरोना से बेहाल दुनिया अब मिलकर कोरोना को ख़त्म करने की राह पर बहुत तेज़ी से बढ़ रही है। आप हौसला रखिए, क्योंकि इंसानों पर ड्रग ट्रायल और वैक्सीन के उत्पादन के साथ ही कोरोना के ख़ात्मे की उम्मीदें बुलंदी पर हैं।


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