September 25, 2024

काशी-मथुरा विवाद मामले में जमीयत उलमा हिन्द ने भी खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

काशी-मथुरा जैसे मंदिर विवादों को लेकर हिन्दू पुजारी संगठन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट को चुनौती देने वाली याचिका का मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा हिंद ने विरोध किया है। जमीयत उलेमा की याचिका में कहा गया है कि कोर्ट हिन्दू पुजारियों के संगठन विश्वभद्र पुजारी पुरोहित महासंघ की याचिका पर नोटिस जारी न करें।

जमीयत ने कहा है कि हिन्दू पुजारी संगठन की याचिका पर नोटिस जारी करने से गलत संदेश जायेगा। खासतौर से अयोध्या विवाद के बाद अब मुस्लिम समुदाय के लोगों के मन में अपने पूजा स्थलों के संबंध में भय पैदा होगा, जिससे देश का धर्मनिरपेक्ष ताना बाना नष्ट होगा। जमीयत ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में पक्षकार बनाये जाने की मांग की है।

गौरतलब है कि विश्वभद्र पुजारी पुरोहित महासंघ ने प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट, 1991  की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। यह कानून 18 सितंबर, 1991 को पारित किया गया था। इस कानून के मुताबिक 15 अगस्त 1947 को देश की आजादी के समय धार्मिक स्थलों का जो स्वरूप था, उसे बदला नहीं जा सकता हालांकि, अयोध्या विवाद को इससे बाहर रखा गया था, क्योंकि उस पर कानूनी विवाद पहले से चल रहा था।

याचिकाकर्ता ने काशी विश्वनाथ एवं मथुरा मंदिर विवाद को लेकर कानूनी प्रक्रिया फिर से शुरू करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि इस अधिनियम को कभी चुनौती नहीं दी गई और न ही किसी अदालत ने न्यायिक तरीके से इस पर विचार किया। अयोध्या विवाद पर फैसले में भी उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने इस पर सिर्फ टिप्पणी की थी।


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