September 22, 2024

हाईकोर्ट का डंडा: श्रीदेव सुमन वि‍वि में परीक्षा कराने व शुल्क प्रकरण पर शासन ने पल्ला झाड़ा विवि देगा हाईकोर्ट में जवाब

देहरादून। गढ़वाल मंडल के श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में पाठ्यक्रम पूर्ण नहीं होने के बावजूद परीक्षा सम्पन्न करवाने व परीक्षा शुल्क लेने के मामले में दायर जनहित याचिका को लेकर शासन अपना पल्ला झाड़ दिया है। उक्त प्रकरण को लेकर सोमवार को शासन स्तर पर हुयी बैठक में निर्णय लिया गया है परीक्षा कराने और फीस लेने का निर्णय विश्वविद्यालय का है। जिसके बाद उच्च शिक्षा विभाग अब इस संबंध में विवि को पत्र जारी कर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहने जा रहा है।

विभागीय सूत्रों की माने तो विवि की कार्यप्रणाली से शासन में बैठे अधिकारी भी परेशान है। कुछ दिन पूर्व कुलपति पीपी ध्यानी द्वारा उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ धन सिंह रावत से विवि के कुलसचिव सुधीर बुडाकोटी को हटाने का अनुरोध किया गया था। विवि कुलपति का तर्क था कि कुलसचिव लंबे समय से श्रीदेव सुमन विवि से नदारद है। ऐसे में उच्च शिक्षा मंत्री द्वारा विवि की व्यवस्थाओं को देखते हुए तत्काल श्रीदेव सुमन वितिव के कुलसचिव को मंत्रालय में अटैच कर दिया गया था। लेकिन बावजूद इसके भी विवि की व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है। वहीं एक याचिका के मामले में कोर्ट ने सरकार को एक सप्ताह के अंदर प्रत्यावेदन निस्तारित करने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद शासन ने निर्णय लिया है कि उक्त प्रकरण के लिए लिये विवि ही जिम्मेदार है।

क्या है प्रकरण

मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ में शुक्रवार को कोटद्वार महाविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष हिमांशु बहुखंडी व अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। मामले के अनुसार याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय से संबद्ध काॅलेजों में लाक डाउन के चलते पढ़ाई पूरी नहीं हो पायी है जिसके चलते पाठ्यक्रम पूरा नहीं हो पाया है। विश्वविद्यालय इसके बावजूद परीक्षा संचालित करने पर तुला है। विश्वविद्यालय की ओर से परीक्षा के लिये परीक्षा शुल्क वसूला जा रहा है। जबकि पूर्व में ही सरकार की ओर से निर्देश जारी किये गये है कि कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं वसूला जायेगा। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि जब पाठ्यक्रम पूरा नहीं हुआ तो परीक्षा कैसे ली जा रही है। सरकार की ओर से कहा गया कि स्नातक व स्नातकोत्तर कक्षाओं के अंतिम वर्ष के छात्रों की ही परीक्षा ली जा रही है।शेष कक्षाओं के छात्रों को छमाही परीक्षा के आधार पर अगली कक्षा में प्रमोशन देने का निर्णय लिया गया है। श्री नेगी ने बताया कि अदालत ने सरकार को निर्देश दिये कि याचिकाकर्ता के प्रत्यावेदन को एक सप्ताह में निस्तारित करे।


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