September 22, 2024

124 A: जिस धारा को खत्म करना चाहती थी, राजस्थान में उसी के सहारे कांग्रेस

राजस्थान का सियासी दंगल अब कानूनी रूप ले चुका है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच का दंगल अब विधायकों की खरीद-फरोख्त में जांच तक पहुंच गया है. इस मामले में कुछ ऑडियो सामने आए हैं, जिसमें दावा किया जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और बागी विधायक भंवरलाल के बीच बात हो रही है जो पैसों की लेनदेन पर चर्चा कर रहे हैं. इसी पर एक्शन लेते हुए अब FIR दर्ज की गई है, जिसमें राजद्रोह का आरोप है. कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में इन्हीं धाराओं को खत्म करने का वादा किया था, लेकिन अब उसी के राज में फिर इनका इस्तेमाल बढ़ रहा है.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, विधायकों की खरीद फरोख्त को लेकर कुछ ऑडियो सामने आए. कांग्रेस की ओर से इस मामले में मोदी सरकार में मंत्री और राजस्थान से बीजेपी नेता गजेंद्र सिंह शेखावत पर आरोप लगाया गया. इस मामले में कांग्रेस ने राजस्थान के SOG के सामने शिकायत दर्ज कराई और अब इस पूरे प्रकरण में दो FIR दर्ज हुई हैं. SOG की ओर से इस मामले में सेक्शन 124ए (राजद्रोह) और 120बी (साजिश रचने) में दो मामले दर्ज कर लिए हैं. ऑडियो क्लिप के सत्यता की जांच की जा रही है, ये FIR तीन लोगों पर दर्ज की गई है.

कभी कांग्रेस ने किया था खत्म करने का वादा

दरअसल, कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अपना जो घोषणापत्र जारी किया था, उसमें 124A को खत्म करने की बात कही थी. कांग्रेस का कहना था कि इस धारा का वक्त-वक्त पर दुरुपयोग किया गया है, ऐसे में इसे खत्म किया जाएगा. लेकिन अब जब राजस्थान में कांग्रेस की सरकार पर संकट सामने आया, तो सरकार की ओर से सबसे पहले इन्हीं धाराओं का इस्तेमाल किया जा रहा है. कांग्रेस की ओर से धारा का इस्तेमाल भी नेताओं और मंत्रियों पर किया जा रहा है, जिनपर इस साजिश में शामिल होने का आरोप है.

ipc-124_08_555_040319082914_071720020855.webpलोकसभा चुनाव में कांग्रेस का घोषणापत्र

क्या है धारा 124 ए?

आपको बता दें कि भारतीय दंड संहिता यानी इंडियन पीनल कोड (IPC) की धारा 124A को ही राजद्रोह का कानून कहा गया है. कोई व्यक्ति देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधि को सार्वजनिक रूप से अंजाम देता है तो वह 124A के अधीन आता है. इसमें राज यानी सरकार के खिलाफ साजिश रचने को भी शामिल किया गया है, जबकि कुछ ऐसा बोलना-लिखना-छापना-कार्टून बनाना भी जो देश की अखंडता को तोड़ने की क्षमता रखता हो.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

राजस्थान सरकार ने जिस तरह ये एक्शन लिया है उसपर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में वकील रीता कोहली कहती हैं, ‘’..ये पूरी तरह से राजनीतिक एक्शन है.. 124A को तभी लगा सकते हैं जब किसी का बयान या तो पब्लिक को भड़काए या फिर हिंसा पैदा करने की शंका हो. अब राजस्थान में जैसे इसे लगाया गया है ये सिर्फ राजनीतिक है, सरकार ये कहना चाह रही है कि उनके खिलाफ कोई कुछ ना बोले. ऐसा बिल्कुल 1870 में अंग्रेजों के वक्त ही हुआ था.’’

रीता कोहली के मुताबिक, ‘’जिस तरह से मामला दर्ज किया गया है, वो सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन्स का भी उल्लंघन करता है. क्योंकि अदालत वक्त-वक्त पर 124A को लेकर गाइडलाइन्स बदलती रही है. ऐसे में कई जगह देखा गया है कि सरकार स्थानीय स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे कानूनों का इस्तेमाल करती है. अब अगर राज्य की पुलिस जा रही है तो वह पूछताछ कर सकती हैं…क्योंकि FIR में नाम लिया गया है. लेकिन ये भी राजनीतिक एक्शन दिखेगा.’’

कहां-कहां लग चुकी है ये धारा

आपको बता दें कि भड़काऊ बयानों के कारण चर्चा में आए जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के छात्र शरजील इमाम पर भी इन्हीं धाराओं का इस्तेमाल किया गया था. एक वायरल वीडियो में शरजील इमाम ने असम को देश से अलग करने की बात की थी, जिसके बाद करीब पांच राज्यों में उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज हुआ था. इस मामले में शरजील इमाम की गिरफ्तारी हो चुकी है और उनपर UAPA के तहत एक्शन लिया जा रहा है.

पिछले कुछ वक्त में ये धारा चर्चा में रही है, JNU में नारेबाजी के मामले में कन्हैया कुमार, गुजरात में पाटीदार आंदोलन करने वाले हार्दिक पटेल, 2012 में कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी जैसे चर्चित नाम इस धारा का शिकार हो चुके हैं और जेल की सलाखों के पीछे जा चुके हैं. इनके अलावा हाल ही में दिल्ली दंगों के मामले में JNU छात्र उमर खालिद और अन्य चार छात्रों पर UAPA के तहत एक्शन हुआ और राजद्रोह की धारा लगाई गई.


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