कोरोना महामारी में बढ़ा डिप्रेशन, अध्ययन में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
कोरोना महामारी से बचाव के लिए भारत में पिछले 5 माह से लॅाकडाउन चल रहा था, इसके कारण लोगों के काम करने के तरीके में काफी बदलाव आया है, यह बदलाव सिर्फ उनके काम करने के तरीकों पर हीं नही बल्कि उनके जीवनशैली पर भी अपना पूरा प्रभाव डाल रहा है। इस महामारी ने लोगों के लाइफस्टाइल को पूरी तरह बदल दिया है। जहां यह महामारी सभी के लिए परिवार के साथ समय बिताने का मौका लाई तो वहीं कई सारे लोग इसकी वजह से अवसाद का शिकार हो गए।
जीओब्यूआईआई स्वास्थ्य देखभाल मंच के द्वारा 10 हजार भारतीयों के ऊपर एक अध्ययन किया गया। अध्ययन से पता चला कि, 43 प्रतिशत भारतीय लॅाकडाउन के कारण डिप्रेशन का शिकार हो रहे है।
इस अध्ययन से ये भी पता चला कि 26 प्रतिशत लोग हल्के डिप्रेशन का शिकार है, जबकि 11 प्रतिशत लोग में काफी हद तक डिप्रेशन के शुरुआती लक्षण देखने को मिले, वहीं 6 प्रतिशत लोग बुरी तरह से इसका शिकार हो चुके हैं।
इस अध्ययन के मुताबिक अवसाद का कारण लाइफस्टाइल में बदलाव और इस महामारी के बारे में ज्यादा सोचना है। पिछले 5 माह से लोगों के सोने, खाने की आदतों मे काफी बदलाव आया है, घर पर रहने की वजह से काम पर ध्यान लागने की क्षमता मे काफी कमी आई है, इसके साथ ही लोगों ने काम करने की उर्जा में भी कमी महसूस की है।
जीओब्यूआईआई के संस्थापक और सीईओ विशाल गोंडल का कहना है कि ”हमारे अध्ययन से संकेत मिलता है कि देश भर में लोगों की बढ़ती संख्या कोरोनो वायरस के प्रसार और परिणाम स्वरूप लॉकडाउन के कारण उत्पन्न मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों से निपट रही है। बढ़ते अनिश्चितता उच्च तनाव सूचकांक का आधार है जिसे संतुलित आहार, जीवन शैली में बदलाव और उचित नींद के पैटर्न के साथ नियंत्रित किया जा सकता है”
अध्ययन में ये भी बताया गया है कि बहुत ज्यादा तनाव स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक होता है। क्योंकि यह आगे चल कर डिप्रेशन का कारण बन जाता है। अध्ययन में रोजाना व्यायाम और मेडिटेशन करने की सलाह दी गई है क्योंकि इससे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार आता हैं।