संसद में गूंजेगा लालू यादव का सुरक्षा मामला व FRDI बिल, TMC ने किया प्रदर्शन
नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान मंगलवार को राज्यसभा में कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने दागी नेताओं पर स्पेशल कोर्ट के गठन का मुद्दा उठाया। शर्मा ने कहा कि सरकार विशेष अदालतों के गठन के लिए समुचित फंड का इंतजाम करना सुनिश्चित करे ताकि जब तक ट्रायल न हो जाए तब तक लोग लंबे समय तक के लिए जेल में कैदी बन कर न रहे। वहीं लोकसभा में आज लालू यादव के सुरक्षा में कटौती का मामला और एफआरडीआई बिल का मुद्दा उठाया जाएगा। इसी क्रम में जहां बिल की वापसी को लेकर तृणमूल कांग्रेस के तमाम नेताओं द्वारा संसद के बाहर प्रदर्शन किया जा रहा है वहीं राजद सांसद जेपी यादव ने लालू यादव की सुरक्षा मामले को लेकर स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दे दिया है।
दागी नेताओं के लिए स्पेशल कोर्ट पर कांग्रेस का हंगामा
कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आज़ाद ने कहा, ‘कानून सभी के लिए होना चाहिए, विधायिका को अकेले नहीं रहना चाहिए।’ इसके बाद पीएम मोदी की टिप्पणी की निंदा करते हुए कांग्रेस सांसद ने कहा, देश के लिए भरोसेमंद डॉ. मनमोहन सिंह की ईमानदारी पर सवाल उठाया गया तो उन्हें सदन में आकर स्पष्ट करना होगा। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने किसानों की खुदकुशी का मामला उठाते हुए इसे रोके जाने के लिए वित्तीय मदद की मांग की। उन्होंने कहा कि मामले का समाधान इसी साल हो जाना चाहिए। जिसके जवाब में कांग्रेस की ओर से शोर-शराबे के बीच केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ‘मामले के समाधान के लिए मैं विपक्ष के नेताओं समेत अपने सभी सहयोगियों को आमंत्रित करुंगा।
तृणमूल कांग्रेस के तमाम नेताओं ने संसद में महात्मा गांधी की मूर्ति के पास विरोध प्रदर्शन किया। इन्होंने मांग रखी है कि फिनांशल रिज्योलूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस विधेयक को वापस लिया जाए। इस साल अगस्त में संसद में पेश किया गया वित्तीय संकल्प और जमा बीमा (एफआरडीआई) विधेयक 2017 सुर्खियां बना हुआ है और इसकी वजह इसका विवादास्पद बेल-इन क्लॉज है।
एफआरडीआई बिल का उद्देश्य वित्तीय संस्थानों जैसे कि बैंक, बीमा कंपनियों, गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवाओं (एनबीएफसी) कंपनियों और स्टॉक एक्सचेंज जैसे संस्थानों की दिवालिया होने के मामले में देखरेख के लिए एक ढांचा तैयार करना है। गौरतलब है कि इस बिल को सबसे पहले इस साल अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया था।
जानें, एफआरडीआई बिल क्या है-
यह विधेयक रेजोल्यूशन कार्पोरेशन की स्थापना की सुविधा प्रदान करता है जो कि मौजूदा जमा बीमा एवं क्रेडिट गारंटी निगम की जगह लेगा। इसे वित्तीय कंपनियों की निगरानी, विफलता के जोखिम की आशंका, सुधारात्मक कार्रवाई करने और विफलता के मामले में उन्हें हल करने का जिम्मा दिया जाएगा। इतना ही नहीं कार्पोरेशन को एक निश्चित अवधि तक बीमा सुरक्षा प्रदान करने का जिम्मा भी दिया गया है, हालांकि इस अवधि का निर्धारण किया जाना अभी बाकी है। इसके साथ ही कार्पोरेशन के पास यह जिम्मा भी होगा कि वो फेल्योर होने की आशंका के आधार पर कंपनियों को लो, मॉडरेट, मैटीरियल, इमीनेंट और क्रिटिकल में वर्गीकृत करे। कंपनी के गंभीर स्थिति में आते ही यह कंपनी के प्रबंधन का जिम्मा अपने हाथ में ले लेगी।
इस विधेयक के काम-
एफआरडीआई विधेयक, केंद्र सरकार की ओर से सभी वित्तीय कंपनियों (बैंकों, बीमा कंपनियों और अन्य वित्तीय मध्यस्थों) के व्यवस्थित समाधान के लिए एक बड़ा और अधिक व्यापक दृष्टिकोण का हिस्सा है। दिवाला और दिवालियापन संहिता के साथ आया यह विधेयक एक बीमार कंपनी के सुधार या पुनरुद्धार के लिए प्रक्रिया को तैयार करता है।