नवरात्र के अवसर पर सीएम ने किया मातृ शक्ति का सम्मान, सायरा बानो को राज्य मंत्री के दर्जे से नवाजा।
देहरादून। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नवरात्र के शुभ अवसर पर महिलाओं को राज्य महिला आयोग में अलग-अलग दायित्वों से नवाजकर तोहफा दिया है। राज्य महिला आयोग में तीन महिलाओं को उपाध्यक्ष के दायित्व के साथ ही राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया है। आयोग में लंबे समय से तीन उपाध्यक्षों के पद रिक्त चल रहे थे। अब मुख्यमंत्री ने मंगलवार को इन तीनों पदों पर मनोनयन को मंजूरी दे दी है। इनमें सबसे अहम तीन तलाक के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर आवाज उठाने वाली काशीपुर की महिला सायराबानो को महिला आयोग में उपाध्यक्ष (प्रथम), रानीखेत की ज्योति शाह को उपाध्यक्ष (द्वितीय) और चमोली की पुष्पा पासवान को उपाध्यक्ष (तृतीय) बनाया गया है। राज्य महिला आयोग में उपाध्यक्ष के तीनों पद काफी समय से रिक्त चल रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य महिला आयोग में उपाध्यक्ष के रिक्त पदों का दायित्व सौंपे जाने से राज्य में महिलाओं से सम्बन्धित मामलों एवं समस्याओं के समाधान में मदद मिलेगी। आपको बता दें कि तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक लंबी लड़ाई लड़ने वाली काशीपुर की सायरा बानो को इंसाफ तो मिल ही गया था और केंद्र सरकार के अथक प्रयासों के बाद राज्यसभा में तीन तलाक का बिल पारित होने से याचिकाकर्ता सायरा बेहद प्रफुल्लित भी हुई थी। लेकिन आज का दिन उनके जीवन में सुनहरे इतिहास के रूप में दर्ज हो गया, जब उन्हें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राज्य मंत्री के दर्जे से नवाजा।
कौन हैं सायरा बानो?
सायरा बानो तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ने के कारण राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आई थी। गत वर्ष संसद से तीन तलाक पर रोक का बिल पारित होने पर भी सायरा बानो की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्रशंसा की थी। सायरा बानो ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर ट्रिपल तलाक और निकाह हलाला के चलन की संवैधानिकता को चुनौती दी थी। साथ ही, उनकी याचिका में मुस्लिमों में प्रचलित बहुविवाह प्रथा को भी गलत बताते हुए उसे खत्म करनी की मांग की गई थी।
अर्जी में सायरा ने कहा था कि तीन तलाक संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। बानो ने कुमायूं यूनिवर्सिटी से समाजशास्त्र में एमए किया है। 2001 में उनकी शादी हुई। 10 अक्टूबर 2015 को उनके पति ने तलाक दे दिया था। तलाक के बाद वह अपने पैरंट्स के साथ रह रही हैं।
स्पीड पोस्ट भेजकर पति ने दिया था तलाक!
सायरा का विवाह प्रयागराज से हुआ था। पति ने स्पीड पोस्ट भेजकर उसे तलाक दिया था। इसके खिलाफ उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और फैसला सायरा के हक में आया। इस दौरान पिता, भाई समेत पूरा परिवार सायरा की जंग में शामिल रहा। सायरा हलाला और बहुर्विवाह प्रथा को भी प्रगतिशील समाज के लिए घातक मानती हैं। विधेयक पारित कराने के लिए सायरा ने मोदी सरकार को शुक्रिया अदा किया था।
तीन “तलाक” बिल पारित होने के बाद उनकी पहली प्रतिक्रिया थी कि सही मायनों में रूढ़िवादी बेड़ियों में कैद मुस्लिम महिलाओं को अब आजादी मिली है। तीन तलाक पर कानून बन जाने से यह प्रथा स्वतः ही समाप्त हो जाएगी। सायरा ने कहा था कि कानून बनने के बाद अब कोई ई-मेल, व्हाट्सअप, मोबाइल, मैसेज या चिठ्ठी से तलाक नहीं दे सकेगा। जैसा उसके साथ गुजर चुका है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा अल्पसंख्यक समाज को दर्जा राज्य मंत्री के रूप में प्रतिनिधित्व देने से उत्तराखंड में मुस्लिम समाज में भाजपा की पकड़ मजबूत हुई है। वहीं त्रिवेंद्र सिंह रावत के प्रति अल्पसंख्यक समाज की जनता का स्नेह व समर्पण बढ़ा है। आपको बता दें कि हाल ही में सायराबानों ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। जब सायरा से पूछा गया कि क्या वह चुनाव लड़ेंगी तो उनका कहना था, वह चुनाव लड़ने के मकसद से बीजेपी में नहीं आई हैं लेकिन अगर बीजेपी उन्हें टिकट देगी तो वह इनकार नहीं करेंगी। सायरा ने कहा, ‘मेरी पार्टी मुझसे जो कहेगी वह मैं करूंगी।’