केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद; योगी, त्रिवेंद्र भी रहे मौजूद
केदारनाथ/देहरादून: सोमवार सुबह 8.30 बजे केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। भारी बर्फबारी के बीच, पूरे विधि-विधान के साथ कपाट बंद हुए। ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग से मशहूर केदारनाथ धाम सोमवार को भैयादूज के मौके पर बंद हुए। इस मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी मौजूद रहे।
इसके बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी उत्सव मूर्ति शीतकालीन गद्दीस्थल को प्रस्थान करेगी। प्रथम पड़ाव रामपुर पहुंचेगा, 17 नवंबर को विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी, 18 नवंबर को उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचेगी।
सोमवार को प्रात: तीन बजे मंदिर खुला जिसके बाद श्रद्धालु गणों ने दर्शन किए। इसके पश्चात मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग ने बाबा की समाधि पूजा संपन्न की तथा साढे छ: बजे भगवान भैरवनाथ जी को साक्षीमानकर गर्भगृह को बंद किया गया। तथा साढ़े आठ बजे सभा मंडप तथा मुख्य द्वार को बंद कर दिया गया। इस यात्रा वर्ष एक लाख पैंतीस हजार से अधिक श्रद्धालु भगवान केदारनाथ धाम के दर्शन को पहुंचे।
शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी, मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड के औद्योगिक सलाहकार डॉ के.एस. पंवार, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग मनुज गोयल, देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.डी. सिंह, एसपी रूद्रप्रयाग नवनीत भुल्लर, प्रशासनिक/ मंदिर अधिकारी युद्धवीर पुष्पवान, भैरवनाथ जी के पश्वा अरविंद शुक्ला, सुभाष सेमवाल सहित तीर्थ पुरोहित एवं हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे।
देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि इस यात्रा वर्ष एक लाख पैंतीस हजार श्रद्धालुओं ने भगवान केदारनाथ के दर्शन किये।
उल्लेखनीय है कि श्री गंगोत्री धाम के कपाट 15 नवंबर शीतकाल के लिए बंद हो गये। श्री यमुनोत्री धाम के कपाट पूर्वाह्न 12 बजकर 15 मिनट पर बंद हो रहे । श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर को शायं 3 बजकर 35 मिनट पर बंद होंगे। द्वितीय केदार मद्महेश्वर जी के कपाट भी 19 नवंबर सुबह 7 बजे बंद हो रहे है। मद्महेश्वर मेला 22 नवंबर को आयोजित हो रहा है । तृतीय केदार तुंगनाथ जी के कपाट 4 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद हो गये हैं।