सरकार की किसानों से जिद्द छोड़ने की अपील, जानें- कृषि कानून के लिए केंद्र ने अबतक क्या-क्या किया
नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आज 17वें दिन भी आंदोलन जारी है। 26 नवंबर से किसान इन कानून को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। वहीं सरकार ने साफ कर दिया है कि किसानों के हर सुक्षाव पर गौर करने और उनकी सलाह पर मौजूदा कृषि कानून में संशोधन करने लिए भी तैयार है लेकिन इससे रद्द नहीं किया जाएगा। किसानों ने आज दिल्ली को जोड़ने वाली सड़कों को जाम करने का फैसला किया है। किसानों ने छठे दौर की वार्ता बेनतीजा होने के बाद कहा था कि 12 और 14 दिसंबर को वो कुछ बड़ा करेंगे।
इन सबके बीच सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक सरकार ने कानून लाने से पहले और लाने के बाद भी किसान संगठनों और उनके प्रतिनिधियों से लगातार बातचीत की है ताकि कानून में जरूरत पड़ने पर सुधार किए जा सकें। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन कानूनों के बारे में जागरुकता फैलाने का काम अपने हाथों में लिया।
प्रधानमंत्री मोदी की बात करें तो वे इन सुधारों के बारे में 25 से भी अधिक बार बोल चुके हैं। यानी इस मुद्दे पर हर सप्ताह उन्होंने एक संबोधन किया है। इन सुधारों के बारे में उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से संबोधन में भी कहा और बिहार की चुनाव रैलियों में भी जहां जनता ने एनडीए को आशीर्वाद दिया।
सुधारों के ऐलान से पहले कृषि मंत्रालय ने विभिन्न विशेषज्ञों और पूर्व अधिकारियों से चर्चा की। मंत्रालय विभिन्न राज्यों के कृषि विभागों के संपर्क में रहा। मंत्रालय ने महत्वपूर्ण किसान संगठनों से चर्चा की और उनके फीडबैक के आधार पर एक अध्यादेश में बदलाव किया।
सुधारों के ऐलान के बाद कृषि मंत्री तोमर ने राज्यों के कृषि मंत्रियों, विभिन्न किसान संगठनों, राजनीतिक दलों, आढ़तिया समूहों और उद्योग समूहों से चर्चा की तथा कृषि विज्ञान केंद्रों के वर्कशॉप में हिस्सा लिया।
केंद्र सरकार ने किसानों से भी संपर्क किया और उन्हें वेबीनार तथा ट्रेनिंग के जरिए इन सुधारों के बारे में जानकारी दी। जून और नवंबर 2020 के बीच कुल 1,37,054 वेबीनार के जरिए 92,42,376 किसानों से संपर्क साधा गया। इनके अलावा अक्तूबर महीने में 2.23 करोड़ SMS संदेश भेजे गए। बिल लाने के बाद भी किसान संगठनों से बातचीत जारी रही।
14 अक्तूबर को केंद्रीय कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने पंजाब के 29 किसान संगठनों के साथ बैठक की। 13 नवंबर को नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल और सोम प्रकाश ने किसान संगठनों से चर्चा की। यह बैठक दो दिसंबर को भी हुई। तीन दिसंबर को भी कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के साथ चर्चा की गई। पांच दिसंबर को एक बार फिर तोमर, गोयल और सोम प्रकाश की पंजाब के किसान संगठनों के साथ बैठक हुई।