September 21, 2024

उत्तराखंड के सरकारी स्कूल, निजी स्कूलों को दे रहे टक्कर

देहरादून: अभिभावक यही चाहते हैं कि उनके बच्चों को गुणात्मक शिक्षा मिले और वे जिंदगी में सफलता हासिल करें। यही वजह है कि उनका झुकाव निजी स्कूलों की तरफ रहता है। आमतौर पर एक धारणा बनी हुई है की निजी स्कूलों में अच्छी व्यवस्था रहती है और सरकारी स्कूलों में बदइंतजामी रहती है। इस वजह से वहां शिक्षण कार्य प्रभावित रहता है। लेकिन यदि आपसे कहा जाये कि उत्तराखण्ड में कई सरकारी विद्यालय ऐसे भी हैं जो निजी स्कूलों से भी बेहतर हैं, तो क्या आप यकीन करेंगे।

जी हां, त्रिवेन्द्र सरकार के प्रोत्साहन और सटीक दिशा-निर्देशन से उत्तराखण्ड में सरकारी स्कूलों की सूरत बदलने लगी है। शिक्षकों पर स्कूल की दशा सुधारने का जुनून सवार हुआ तो बड़े पैमाने पर सरकारी स्कूलों का कायाकल्प हो गया। दृढ़ इच्छाशक्ति के धनी ऐसे शिक्षकों ने दिल्ली से आकर सूबे की शिक्षा व्यवस्था को बदहाल बताने वाले आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया की हरकत पर भी हैरानी जताई है।

आइए! जानते हैं उन प्रेरणादायी स्कूलों के बारे में जो गुणवत्ता शिक्षा की रोशनाई के बावजूद कहीं रोशनी में नहीं आते। उनकी पीड़ा है कि देखने वालों को खामियां दिखती हैं खूबियां नहीं।

रूद्रप्रयाग जनपद के अंतर्गत विकास खंड अगस्तमुनि के प्राथमिक विद्यालय कोट तल्ली में आसपास के कई गांवों के बच्चे पढ़ते हैं। यहां शिक्षकों ने स्कूल प्रार्थना से पढ़ाई के टाइम टेबल व मध्याहृन भोजन की व्यवस्थाओं को ऐसा व्यवस्थित किया कि हर कोई उनकी तारीफ करता है। यहां बच्चों की तादाद भी अच्छी खासी है।

चमोली जनपद के राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय चोपता का नाम भी तब सुना गया जब वहां के शिक्षकों ने स्वयं अपने स्कूल की व्यवस्थाओं के बारे में सोशल मीडिया पर शेयर किया। उनका कहना है कि दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसौदिया हमारी शिक्षा व्यवस्था पर अनुचित सवाल उठा रहे हैं। दिल्ली जैसे राज्य के उप मुख्यमंत्री को यह छोटी हरकत शोभा नहीं देती। वह फक्र से कहते हैं कि हमने अपने स्कूल में शिक्षा की गुणवत्ता के साथ सारी व्यवस्थाओं को बेहतर किया है।

जनपद उधम सिंह नगर का आदित्यनाथ झा राजकीय इंटर कालेज रूद्रपुर। इस विद्यालय के नाम कई रिकार्ड हैं। यहां के बच्चे प्रदेश की मेरिट सूची में भी स्थान बनाते हैं और कई बच्चे देश के उच्च पदों पर भी हैं। इस स्कूल के सामने कोई निजी स्कूल भी टिक नहीं सकता। सोशल मीडिया पर जब यहां के शिक्षकों ने खुद को एक्पोज किया तो सरकारी सिस्टम भी खुद पर इतराने लगा है।

टिहरी जनपद का उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बादशाहीथौल भी उन स्कूलों में शुमार है जिसकी शिक्षा व्यवस्था और पुख्ता इंतजामों का डंका प्रदेश में बोलता है। यहां के शिक्षकों को भी यह बात अखर रही है कि दिल्ली के शिक्षा मंत्री ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को बदहाल बता कर निष्ठावान शिक्षकों का भी मखौल उड़ाया है।


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