September 22, 2024

अखिलेश के गढ़ में ओवैसी की दस्तक, मस्जिद में नमाज पढ़ेंगे, मदरसे में पिएंगे चाय

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भले ही सवा साल का वक्त बाकी हो, लेकिन राजनीतिक दलों की सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पूर्वांचल में अपनी जमीन मजबूत की कवायद में मंगलवार को आजमगढ़ पहुंच रहे है. ओवैसी के पूर्वांचल के दौरे में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर भी मौजूद रहेंगे. 

मिशन यूपी 2022 की अभियान की शुरूआत के लिए असदुद्दीन ओवैसी ने जिस तरह से सपा प्रमुख अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ को चुना है. हालांकि, ओवैसी पूर्वांचल के इस दौर में कोई सभा नहीं करेंगे, लेकिन वाराणसी के बाबतपुर एयरपोर्ट से आजमगढ़ जाने के लिए जिस तरह से जौनपुर का रास्ता चुना है, उसके पीछे AIMIM की सियासी मंशा साफ झलक रही है.

बिहार चुनाव की तर्ज पर छोटे दल यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल में जातीय गणित को सुलझाने की कोशिश में हैं. यही वजह है कि ओमप्रकाश राजभर की अगुवाई में भागीदारी संकल्प मोर्चा में कई दलों के जुड़ने के बाद अब ओवैसी पूर्वांचल की सियासी तपिश नापने वाराणसी से जौनपुर, दीदारगंज, माहुल, आजमगढ़ होकर फूलपुर में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ संवाद करेंगे. 

मदरसा और मस्जिद में ओवैसी देंगे दस्तक

वाराणसी से जौनपुर के रास्ते आजमगढ़ जाने का जो रास्ता ओवैसी ने चुना है, वो पूरी तरह से यादव और मुस्लिम बहुल माना जाता है. ओवैसी का इस दौरान पार्टी कार्यकर्ता जगह-जगह उनका स्वागत करेंगे और माना जा रहा है कि दोपहर में जोहर की नमाज वह जौनपुर के मशहूर गुरैनी मदरसे की मस्जिद में पढ़ेंगे. ऐसे में जाहिर है कि नमाज के वक्त लोगों की भीड़ को राजनीतिक लिहाज से भी साधने से ओवैसी नहीं चूकेंगे. 

एआईएमआईएम के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने बताया कि पार्टी संगठन और कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए असदुद्दीन ओवैसी आजमगढ़ आ रहे हैं. इसीलिए कोई रैली और जनसभा नहीं रखी गई है, लेकिन पार्टी कार्यकर्ता रास्ते में जगह-जगह उनका स्वागत करेंगे. उन्होंने बताया कि  गुरैनी मदरसा के साथ-साथ मदरसा बैतुल उलूम सरायमीर जाएंगे,  वह मदरसे के नाजिमे आला मुफ्ती अहमदुल्लाह फूलपुरी से मुलाकात करेंगे. मदरसे में चाय पियेंगे और साथ ही असर की नमाज भी पढ़ेंगे. इस दौरान ओमप्रकाश राजभर साथ रहेंगे.

ओवैसी और अखिलेश एक साथ करेंगे लैंड 

दिलचस्प बात यह है कि ओवैसी पूर्वांचल दौरे के लिए जिस समय वाराणसी एयरपोर्ट पर उतरेंगे, उसी बीच सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी लैंड करेंगे. खास बात यह कि अखिलेश यादव भी जौनपुर जिले में रहेंगे. ओवैसी जौनपुर जिले से गुजर रहेंगे तो महज 40 किलोमीटर दूर निगोह स्थित श्रीराम डिग्री कॉलेज में सपा के पूर्व कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव की जयंती समारोह में लोगों को संबोधित कर रहेंगे. इस तरह से दोनों पार्टियां अपनी-अपनी सियासी ताकत जरूर दिखाने की कोशिश करेंगी.  इस दौरे से भविष्य की सियासत के साथ कई नए संकेत भी दे सकते हैं. 

ओवैसी-राजभर की केमिस्ट्री

ओवैसी बिहार के बाद अब यूपी के विधानसभा चुनाव की तैयारी कर चुकी है. पिछले महीने लखनऊ में ओम प्रकाश राजभर और एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी की मुलाकात हुई थी, जिसके बाद साफ हो गया था कि दोनों पार्टियां यूपी में एक साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरेंगी. राजभर यूपी में छोटे दलों को मिलाकर भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाने में जुटे हैं, जिनमें पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी, बाबू राम पाल की राष्ट्रीय उदय पार्टी, अनिल सिंह चौहान की जनता क्रांति पार्टी और प्रेमचन्द प्रजापति की राष्ट्रीय उपेक्षित समाज पार्टी शामिल है. इसके अलावा ओवैसी की AIMIM की एंट्री हुई है.  ओवैसी ने लखनऊ में इस बात को स्वीकार भी किया था. 

असदुद्दीन ओवैसी के साथ ओम प्रकाश राजभर के पूर्वांचल के एक दिवसीय दौरे को आगामी विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल में जातीय गणित को सुलझाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. आजमगढ़ में मुस्लिम मतदाता अच्छी खासी संख्या में है और राजभर समुदाय के वोट भी निर्णायक भूमिका में हैं. यही वजह रही कि ओवैसी ने यूपी में अपनी पार्टी की कमान शौकत अली को दे रखी है, जो आजमगढ़ के माहुल कस्बे के रहने वाले हैं तो गठबंधन के लिए राजभर से हाथ मिलाया है. 

सपा के लिए ओवैसी बनेंगे सिरदर्द

ओवैसी की यूपी दस्तक से सबसे बड़ी चिंता सपा जैसी पार्टी के लिए बढ़ गई है, जो पिछले दो दशकों से ज्यादा समय से मुस्लिम मतों  के बल पर सत्ता में आती रही है. बिहार में ओवैसी की पार्टी ने जिस तरह से मुस्लिम बहुल इलाके में पांच सीटें जीती हैं, उसे देखते हुए और यूपी में AIMIM की बढ़ती सक्रियता से खुद को सेकुलर कहने वाली पार्टियों को अब यह डर सताने लगा है कि सूबे के मुस्लिम समुदाय का झुकाव कहीं ओवैसी की एआईएमआईएम की तरफ हुआ तो उनकी सियासत खतरे में आ सकती है. ऐसा होने पर सबसे अधिक नुकसान सपा को हो सकता है, क्योंकि सूबे में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 20 फीसदी है, जो अभी तक मुख्य रूप से सपा के साथ है, लेकिन ओवैसी जिस तरह से अखिलेश यादव के गढ़ से बिगुल फूंकने जा रहे हैं, उसके चलते आगे भी जबरदस्त सियासी घमासान देखने को मिलेगा.  


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