किसान आंदोलन का 61वां दिन, इजाजत के बाद ट्रैक्टर रैली की तैयारियों में जुटे किसान
किसानों के आंदोलन का आज 61वां दिन है। किसान आंदोलन को शुरू हुए दो महीने से ज्यादा पूरे हो गए। कड़ाके की सर्दी के बीच कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इस मसले के समाधान के लिए सरकार और किसान प्रतिनिधियों के बीच अबतक 12 दौर की बैठक हो चुकी है, लेकिन दूर-दूर तक कोई हल निकल नहीं दिख रहा है। सरकार कृषि कानून को डेढ़ साल के लिए स्थगित करने और इसमें संशोधन के लिए तैयार है लेकिन किसानों को कृषि कानूनों की वापसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। लिहाजा दोनों तरफ से गतिरोध बना हुआ है।
इस बीच दिल्ली पुलिस ने किसानों को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली की इजाजत दे दी है। दिल्ली पुलिस की ओर से मिली हरी झंडी के बाद किसान अब 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के दिन कल ट्रैक्टर मार्च निकाल सकेंगे। दिल्ली पुलिस ने रविवार को कहा कि किसान संगठनों के साथ कई दौर की वार्ता के बाद गणतंत्र दिवस पर उन्हें ट्रैक्टर रैली निकालने की अनुमति दे दी गई है। पुलिस ने कहा कि गणतंत्र दिवस परेड समाप्त हो जाने के बाद सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर से बैरिकेड हटा दिया जाएगा और किसानों को उनके ट्रैक्टरों के साथ दिल्ली के अंदर 100 किमी तक आने की इजाजत होगी। यह मार्च करीब 100 किलोमीटर लंबा होगा, इसको लेकर दिल्ली पुलिस-किसान संगठनों ने गाइडलाइंस जारी की है।
इससे पहले शुक्रवार को किसान प्रतिनिधियों और सरकार के बीच 12वें दौर की बैठक हुई। लेकिन दोनों पक्षों के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई। इस बैठक में सरकार की तरफ से किसान नेताओं को सख्त संदेश दिया। सरकार डेढ़ साल तक इन कानूनों पर रोक लगाने के प्रस्ताव पर अडिग रही तो किसानों ने कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े रहे। अब सरकार आगे बात करने से मना कर चुकी है। सरकार की तरफ से यह भी साफ कर दिया गया कि कानून में कोई कमी नहीं है। सरकार कानून पर बिंदुवार चर्चा ही कर सकती है लेकिन कानूनवापसी का कोई सवाल नहीं है।
आपको बता दें कि कड़ाके की सर्दी और गिरते पारे के साथ-साथ कोरोना के खतरों के बीच 26 नवंबर से बड़ी तादाद में किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं। लेकिन किसान और सरकार के बीच अबतक इस मसले पर अबतक कोई सहमति नहीं बन पाई है। बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारी किसान सिंधु, टिकरी, पलवल, गाजीपुर सहित कई बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इस आंदोलन की वजह से दिल्ली की कई सीमाएं सील हैं।