राजपथ पर दिखी भारत की आन-बान-शान की तस्वीर
देश के 72वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर ऐतिहासिक विजय चौक पर देश की आन-बान-शान का शानदार नजारा देखा गया जहां भारत की अनूठी एकता में पिरोई विविधताओं वाली विरासत, आधुनिक युग की उसकी उपलब्धियां, भविष्य के भारत का खाका और देश की सुरक्षा करने की फौज की क्षमता का प्रदर्शन हुआ। राजपथ पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अन्य नेताओं के साथ भव्य परेड देखा। कोविड-19 कारण उत्पन्न परिस्थिति के मद्देनजर इस बार गणतंत्र दिवस समारोह में कोई विदेशी शासनाध्यक्ष मुख्य अतिथि के रूप में नहीं थे। कोरोना वायरस महामारी के कारण इस बार गणतंत्र दिवस समारोह इस मायने में भी अन्य वर्षों की तुलना में अलग रहा कि परेड के पथ की दूरी कम कर दी गई। हर साल की तरह विजय चौक से शुरू होकर परेड के लाल किले की बजाए इंडिया गेट के पास नेशनल स्टेडियम में सम्पन्न करने का पथ निर्धारित किया गया ।
लड़ाकू विमानों के हैरतअंगेज कारनामे
परेड के दौरान गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस.जयशंकर समेत मोदी सरकार के ज्यादातर मंत्री मौजूद रहे। भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा सहित कई अन्य नेता भी मौजूद थे । सलामी मंच पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मौजूदगी में राजपथ पर भारत की संस्कृति के रंगों और रक्षा क्षेत्र की ताकत का प्रदर्शन किया गया । अत्याधुनिक हथियारों, मिसाइलों, लड़ाकू विमानों एवं जहाजों और भारतीय सैनिकों के दस्तों ने किसी भी चुनौती से निपट सकने की देश की ताकत का अहसास कराया । सबसे अंत में रोमांच से भर देने वाले युद्धक विमानों को राजपथ के उपर से हैरतअंगेज कारनामों के साथ उड़ान भरते देखा गया। इन विमानों की ताकत के साथ ही वायुसेना के पायलटों का हुनर और जांबाज़ी का अहसास हुआ ।
21 तोपों की सलामी के साथ परेड शुरू हुई
करीब 10 बजे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तिरंगा फहराया और राष्ट्रगान की धुन के बीच 21 तोपों की सलामी के साथ परेड शुरू हुई। आज की परेड के परेड कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल विजय कुमार मिश्रा थे। परेड में बांग्लादेश सशस्त्र सेना के 122 जवानों के मार्चिंग दस्ते ने हिस्सा लिया । बांग्लादेश की इस टुकड़ी का नेतृत्व कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल अबू मोहम्मद शाहनूर ने किया । इस वर्ष भारत और बांग्लादेश के बीच राजनयिक संबंधों के पचास साल पूरे हो रहे हैं। राजपथ पर परेड की खासियत हाल ही में फ्रांस से आए राफेल विमान के हैरतअंगेज करतब और आकाश में वायु सेना की शक्ति का प्रदर्शन रही। पारंपरिक कुर्ता पाजामा और जैकेट पहने प्रधानमंत्री इंडिया गेट पर स्थित राष्ट्रीय समर स्मारक पहुंचे और देश के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत सहित तीनों सेनाओं के प्रमुख भी उपस्थित थे। प्रधानमंत्री ने शहीदों के स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की और उनके सम्मान में दो मिनट का मौन रखा। उन्होंने आगंतुक पुस्तिका पर संदेश भी लिखा।
राफेल विमान ने ब्रह्मास्त्र आकृति का निर्माण किया
भारतीय वायु सेना में शामिल किए गए चिनूक और अपाचे युद्धक हेलीकॉप्टर के साथ एमआई-17 हेलीकाप्टर गणतंत्र दिवस की भव्य सैन्य परेड में आकर्षण का मुख्य केंद्र रहे। चिनूक दूरदराज के स्थानों तक व्यापक स्तर पर सामग्री को पहुंचा सकता है। अपाचे हवा से हवा और हवा से जमीन पर मार करने वाली मारक क्षमता वाला हेलीकॉप्टर है जो दुश्मनों पर कहर ढा सकता है। गणतंत्र दिवस परेड के दौरान हर्कुलियस, जगुआर, सुखोई विमानों ने अद्भुत प्रदर्शन कर उपस्थित लोगों का मन मोह लिया । राफेल विमान के साथ जगुआर और मिग विमानों ने आकाश में एकलब्य आकृति का निर्माण किया । राफेल विमान ने ब्रह्मास्त्र आकृति का निर्माण भी किया। परेड में सुखोई 30 एमकेआई, मिग 29, सी 17 ग्लोबमास्टर, सी 130जे विमानों ने भी हिस्सा लिया। इसमें ब्रह्मोस मिसाइल, पिनाका प्रणाली का भी प्रदर्शन किया गया । कई स्कूलों के बच्चों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किये ।
मोदी ने उपस्थित दर्शकों का अभिवादन किया
गणतंत्र दिवस परेड समाप्त होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने उपस्थित दर्शकों का अभिवादन किया और कुछ दूर तक पैदल चले। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह के मद्देनजर बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई थी जिसके तहत हजारों सशस्त्र कर्मी कड़ी निगरानी कर रहे थे। अत्याधुनिक रक्षा प्रणालियों के विकास को प्रदर्शित करता रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) एक बार फिर गणतंत्र दिवस परेड 2021 के लिए दो महत्वपूर्ण झाँकियाँ लेकर आया है। वर्ष की प्रमुख उपलब्धियों का प्रदर्शन करते हुए, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट-एलसीए नेवी का उडान भरना और विमान वाहक पोत पर उतारना शामिल है। परेड में उत्तर प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, त्रिपुरा, दिल्ली, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश सहित कई राज्यों की सांस्कृतिक विविधिता एवं उपलब्धियों की झांकी प्रस्तुत की गई ।