चीन अब भारतीय जमीन पर नहीं ठोक सकेगा दावा, सेना ने बनाया ये खास प्लान
भारत और चीन के बीच बीते साल अप्रैल के तीसरे सप्ताह से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी तनाव धीरे-धीरे कम होती जा रही है। पिछले दिनों दोनों देशों के बीच पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों से सैनिकों को हटाने पर सहमति बनी। इसके बाद भारत और चीन की ओर से इन इलाकों से अपने बंकर, तंबू हटाने की जानकारी भी दी गई। दोनों देशों के बीच डिसएंगेजमेंट और डि-एस्कलेशन पर जोर दी जा रही है। हालांकि चीन की चालबाजी पर पूरी तरह से भरोसा करना भारत के लिए मुमकिन नहीं है।
दरअसल चालबाज चीन की विस्तारवादी नीति पुरानी है और राष्ट्रपति जिनपिंग भी इस योजना को ही आगे बढ़ा रहे हैं। ऐसे में चीन के साथ संबंधों को लेकर भारत का हर मोर्चे पर सर्तक रहना जरूरी है। इसी कड़ी में भारतीय सेना ने उत्तरी सीमाओं पर उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में विस्तारवादी चीन की घुसपैठ की कोशिशों पर लगाम लगाने के लिए पर्वतारोहण अभियान, स्कीइंग अभियान और शोध-अध्ययन शुरू करने की योजना बनाई है।
भारतीय सेना लद्दाख के संवेदनशील माने जाने वाले काराकोरम र्दे से उत्तराखंड में लिपुलेख र्दे तक एरमेक्स-21 नामक बड़े स्की अभियान का आयोजन करेगी। यह स्कीइंग अभियान लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्रों के क्षेत्रों को कवर करेगा। इसके साथ ही जम्मू एवं कश्मीर में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी स्कीइंग अभियान चलाया जाएगा।
भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक ‘सेना, नागरिक और विदेशी व्यक्ति भी विभिन्न आगामी स्कीइंग अभियानों में हिस्सा लेंगे।’ स्कीइंग अभियान में हिस्सा लेने वाले लोग 14,000 फीट से लेकर 19,000 फीट की ऊंचाई वाली पर्वतीय चोटियों, ग्लेशियर और कई दर्रो से होकर गुजरेंगे। इसमें 80 से 90 दिनों में विशेष रूप से प्रशिक्षित पर्वतारोही लगभग 1,500 किमी की दूरी तय करेंगे।
यह कदम ऐसे समय पर सामने आया है, जब भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में विवादित पैंगोंग झील पर तैनात सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पर सहमत हुए हैं। भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास कई स्थानों पर 10 महीने से अधिक समय से गतिरोध बना हुआ है। पिछले साल मई की शुरुआत में चीनी घुसपैठ बढ़ गई थी और दोनों देशों की सेना कई स्थानों पर आमने-सामने आ गई थी।