September 22, 2024

क्‍या नए कृषि कानूनों के आने के बाद खत्‍म हो जाएगी कृषि उपज बाजार समिति?

केंद्र सरकार ने जो नए कृषि कानून पारित किए हैं, उनका सबसे ज्‍यादा विरोध इस बात को लेकर हो रहा है कि इससे आने वाले समय में Agricultural Produce Market Committee (कृषि उपज बाजार समिति) खत्‍म हो जाएगी और किसानों को उद्योगपतियों व बड़ी कंपनियों के हवाले छोड़ दिया जाएगा।

Agricultural Produce Market Committee (कृषि उपज बाजार समिति)

1: क्‍या है APMC (कृषि उपज बाजार समिति)

यह प्रत्येक राज्य में किसानों को उनकी कृषि उपज बेचने के लिए सरकार द्वारा प्रदान कराए जाने वाला एक मंच है। हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि आजादी के बाद साहूकारों से किसानों को बचाने के लिए केंद्र सरकार के राज्‍य सरकारों को आग्रह के बाद इसे बनाया गया था।

2: APMC के फायदे:

A: यहां पर किसान अपनी फसल लेकर जाता है और उसको खरीदने के लिए आए व्‍यापारी बोली लगाकर उनकी फसल को खरीदते हैं। जो सबसे ज्‍यादा दाम देता है, उसे ही फसल बेची जाती है।
B: यहां पर बहुत सी दुकानें होती हैं और सब्‍जी व फल भी सस्‍ते दाम पर मिल जाते हैं। आम आदमी भी यहां पर जाकर खरीददारी कर सकते हैं।
C: APMC में आढ़ती होते हैं और वह कमीश्‍न एजेंट के तौर पर काम करते हैं। उसके पास सरकार से लाइसेंस होता है। ऐसे में यह आढ़ती किसानों को हर संभव मदद करता है। ज्‍यादातर प्रदेशों में अपने-अपने आढ़ती होते हैं और वह उसी के पास अपनी फसल लेकर जाते हैं।
D: यहां पर बिकने वाली फसल की रिकॉर्डिंग होती हैं और ऐसे में किसानों को भरोसा होता है कि उनके साथ धोखा नहीं होगा।
E: किसानों की फसल यहां पर MSP पर बिकती है। सरकार द्वारा तय किए गए MSP से कम कीमत पर किसानों से फसल नहीं खरीद सकते।

3: APMC के नुकसान:

A: किसानों की फसल खरीदने का एकाधिकार उसके ही पास है, जिससे यहां पर व्‍यापारी मिलकर एक गुट बना लेते हैं और तय कर लेते हैं कि इससे ज्‍यादा दाम नहीं देने हैं तो किसान अपनी फसल उसी दाम पर बेचने को मजबूर हो जाएगा।
B: इसमें किसान का खर्च बहुत ज्‍यादा आता है। किसान अपनी फसल को यहां पर ले जाने के बाद भी मार्किट फीस, आढ़ती का कमीशन, सामान तुलवाने और अपनी ऊपज को ले जाने तक का खर्च खुद वहन करना पड़ता है।
C: APMC में ज्‍यादातर वहीं लोग काबिज होते हैं, जोकि नेताओं के करीबी होते हैं। यहां पर सबसे ज्‍यादा लड़ाई एकाधिकार की होती है।

4: APMC का रिफॉर्म्स

साल 2003 में अटल बिहारी सरकार के समय में APMC में रिफॉर्म्स की तैयारी शुरू हुई। हालांकि उनके पास उस समय इतना ज्‍यादा बहुमत नहीं था कि वह इसको लेकर कड़े कदम उठा सके, इसलिए उन्‍होंने राज्‍यों से निवेदन किया। केंद्र सरकार ने 2003 में मॉडल APMC एक्‍ट बनाकर सभी राज्‍यों को भेजकर कहा कि आप अपना APMC एक्‍ट इस तरह से डिजाइन करो।

इसमें अलट सरकार ने कहा कि किसानों को दूसरे राज्‍यों या दूसरी APMC में फसल बेचने की छूट दी जाए। इसके साथ ही सरकार ने यह भी कहा कि कम से कम फल और सब्‍जियों को APMC से बाहर बेचने की अनुमति दी जाए। इसका फायदा यह हुआ कि 2015-16 आते-आते करीब 15 राज्‍यों ने इस बात को मान लिया था।

A: 
दिल्‍ली सरकार ने सब्‍जियों और फल को APMC से मुक्‍त कर दिया और किसान मंडी का एक कंसेप्‍ट आ गया।

B: कर्नाटक ने रायतु बाजार का कंसेप्‍ट शुरू कर दिया।

C: बिहार में 2006 से APMC की बाध्‍यता खत्‍म हो चुकी हैं और वहां पर यह एक्‍ट काम नहीं करता।

D: महाराष्‍ट्र के नेता किसान आंदोलन में बढ़-चढकर हिस्‍सा ले रहे हैं, लेकिन वहां कि विलास राव देशमुख सरकार ने करीब 18 प्राइवेट मार्केट का लाइसेंस निकाला और 1100 के करीब डायरेक्‍ट मार्केट लाइसेंस दिए। यह दोनों ही किसानों से सीधे फसल खरीद सकते हैं। इसको फसल खरीदने के लिए APMC के पास जाने की अनुमति नहीं है।

ऐसे में यह कहा जा सकता है कि नए कृषि कानूनों के आने से APMC खत्‍म नहीं होगा, बल्‍कि किसानों को अपनी फसल को बेचने के लिए अधिक प्‍लेटफॉर्म मिलेंगे।


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