September 22, 2024

गैरसैण कमिश्नरीः संस्कृति का नया ‘प्रयाग’ बनाना था कमिश्नरी का फैसलाः त्रिवेन्द्र रावत

देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण कमिश्नरी को स्थगित किए जाने के कैबिनेट के फैसले को नई सरकार की अपनी सोच करार दिया। उन्होंने कहा कि हमारे समय में सरकार द्वारा कमिश्नरी बनाने का निर्णय ग्रीष्मकालीन राजधानी परिक्षेत्र के सुनियोजित विकास और भविष्य की सोच के साथ लिया गया था। हम चाहते थे कि गैरसैंण कमिश्नरी कुमाऊं और गढ़वाल की मिली जुली संस्कृति नया ‘प्रयाग’ बने। पूर्व सीएम ने गैरसैण ममिश्नरी पर खुलकर अपनी बात रखी।

डिफेंस कालोनी स्थित आवास पर शनिवार को मीडिया कर्मियों के सवाल के जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने बताया कि गैरसैंण को कमिश्नरी घोषित करने से पहले उन्होंने वहां के विधायकों की राय भी ली। उन्होंने बताया कि उन्हें इस बात की पहले से आशंका थी कि इस तरह के सवाल भी उठेंगे लिहाजा विधायकों से इस बारे में रायशुमारी करने के बाद ही ये फैसला लिया गया था।

गैरसैंण को कमिश्नरी के सवाल पर सभी विधायकों ने कहा कि किसी को किसी तरह की आपत्ति नहीं होनी चाहिए। क्योंकि गैरसैंण उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी है। गैरसैंण के भावी विकास की दृष्टि से भी यह जरूरी था।

गैरसैंण राजधानी परिक्षेत्र के सुनियोजित विकास के लिए उन्होंने 10 साल के लिए 25 हजार करोड़ का रोडमैप बनाया था। उस पर काम भी शुरू हो गया है। गैरसैंण भराड़ीसैंण में नियमित रूप से विधानसभा सत्र होंगे, वहां पर कानून व्यवस्था बनाने, प्रदेश की जनता की मांगों के त्वरित निस्तारण और राजधानी परिक्षेत्र के सुनियोजित विकास के लिए वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस के नियमित रूप से वहां बैठने के लिए गैरसैंण को कमिश्नरी बनाने की सोच थी। सोच यही थी कि धीरे-धीरे राजधानी परिक्षेत्र का सुनियोजित और तेजी से विकास हो सके।

उन्होंने कहा कि हां, कुछ लोगों का कहना था कि कमिश्नरी में पिथौरागढ़ को शामिल करना चाहिए था, इस पर हमने विचार करने की बात कही थी। जहां तक गढ़वाल और कुमाऊं की अलग-अलग संस्कृति का सवाल है, निश्चित तौर पर अल्मोड़ा को कुमाऊं का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक केंद्र के रूप में जाना जाता है।

संस्कृति गंगा की तरह है कि जो भी उसमें मिलता है वह कभी अपना रूप नहीं बदलती है। बल्कि उसे आत्मसात कर लेती है। गंगा में जितने भी संगम मिलते हैं वह गंगा ही रहती है।

इसी तरह से संस्कृति होती है। जहां तक कैबिनेट और सरकार का कमिश्नरी को स्थगित करने का फैसला है, उस पर वह कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। यह सरकार की अपनी सोच और निर्णय है। हां, उनकी सोच भविष्य की एक ऐसी सोच थी जिसमें गैरसैंण को गढ़वाल और कुमाऊं की एक वृहद सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित करने की थी। जिसमें समूचे उत्तराखंड की झलक देश-दुनिया को दिखाई दे।


WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com