September 22, 2024

रिजर्व बैंक की रिपोर्ट: कोरोना के दूसरे वेब से इकोनॉमी को 2 लाख करोड़ का झटका

कोविड-19 की दूसरी लहर भी देश की अर्थव्यवस्था  के लिए बेहद कठिन रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक ने अनुमान लगाया है कि कोरोना के दूसरे वेब से इकोनॉमी को 2 लाख करोड़ रुपए का झटका लग सकता है. केंद्रीय के मुताबिक, दूसरी लहर के परिणामस्वरूप चालू वित्त वर्ष के दौरान उत्पादन में 2 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है. आर्थिक उत्पादन के नुकसान का जीडीपी के साथ सीधा संबंध नहीं हो सकता है, लेकिन अर्थव्यवस्था में कुछ नुकसान की ओर इशारा करता है.

आरबीआई सहित कई एजेंसियों ने पहले ही ग्रोथ अनुमानों को घटा दिया है. आरबीआई ने इस महीने मॉनेटिरी पॉलिसी में जीडीपी के अनुमान घटा था. केंद्रीय बैंक ने मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए जीडीपी की विकास दर संशोधित करते हुए उसे 9.5 फीसदी कर दिया है. इसके पहले जीडीपी की विकास दर 10.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था. रिपोर्ट में कहा गया कि प्रोजेक्शन का अंदाजा इस तथ्य पर लगाया गया कि जीडीपी पहली तिमाही में 18.5 फीसदी की दर से बढ़ेगी.

रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान लोगों के बैंक जमा और हाथ में रखी नकदी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. यह बताता है कि महामारी के कारण इलाज पर खर्च से लोगों का अच्छा-खासा पैसा निकला है. इसमें कहा गया है, लोगों के पास नकदी भी अप्रैल 2021 में उल्लेखनीय रूप से कम हुई है और 1.7 फीसदी रही, जबकि एक साल पहले इसी माह में इसमें 3.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी. इसका मतलब है कि कोविड-19 महामारी के कारण इलाज पर लोगों का काफी पैसा खर्च हुआ है.

आरबीआई के डिप्टी गर्वरनर एमडी पात्रा की अगुवाई में तैयार की गई रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) के मुताबिक हर्ड इम्यूनिटि बनने और रिकवरी मोमेंटम प्राप्त करने के लिए सिंतबर 2021 तक 70 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाए जाने का लक्ष्य है. इसके लिए 113 करोड़ डोज की जरूरत होगी. सर्वे के मुताबिक, इस हर्ड इम्यनिटि के लक्ष्य को हासिल करने के लिए रोजाना 93 लाख वैक्सीन लगानी होगी.

महामारी की दूसरी लहर से निपटने में लगी है भारतीय अर्थव्यवस्था

भारतीय अर्थव्यवस्था अभी भी महामारी की दूसरी लहर से निपटने में लगी है. हालांकि सतर्क रुख के साथ उम्मीद अब लौट रही है. लेख में यह साफ किया गया है कि ये लेखकों के अपने विचार हैं और कोई जरूरी नहीं है कि आरबीआई के विचारों को प्रतिबिंबित करे.

इसके अनुसार सकल आपूर्ति स्थिति से जुड़ी कई पहलुओं में स्थिति बेहतर है. इसमें कृषि और संपर्क रहित सेवाएं (डिजिटल सेवाएं) शामिल हैं जो महामारी के बीच अपना काम पहले की तरह कर रही हैं. वहीं औद्योगिक उत्पादन और निर्यात बढ़ा है.

आने वाले समय में कोविड-19 टीकाकरण की गति और पैमाना आर्थिक पुनरूद्धार के रास्ते को तय करेगा. अर्थव्यवस्था में महामारी तथा पहले से मौजूद चक्रीय और संरचनात्मक बाधाओं से पार पाने की जरूरी क्षमता और मजबूती है.


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