ममता के लिए त्रिपुरा क्यों है अहम, इन दो दिग्गजों से टीएमसी को बड़ी आस
बंगाल फतह करने के बाद ममता देश के विभिन्न राज्यों में पांव पसारने के लिए जुटी हुई हैं। इन राज्यों में त्रिपुरा सबसे महत्वपूर्ण है और पार्टी इन दिनों अपनी पूरी ताकत यहां झोंक रही है। हालांकि भाजपा शासित सूबे में अपनी सियासी गतिविधियां तेज करने में फिलहाल पार्टी को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। तृणमूल कांग्रेस द्वारा भेजी गयी एक टीम को भाजपा शासित त्रिपुरा में ‘रोक लिये जाने’ के कुछ दिन बाद अब पार्टी के सांसद डेरेक ओब्रायन और काकोली घोष दस्तीदार गुरुवार को वहां जायेंगे।
त्रिपुरा में 2023 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में यह राज्य तृणमूल कांग्रेस के लिए एक कठिन परीक्षा साबित होने की संभावना है क्योंकि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के बाद पार्टी अपना जनाधार बढ़ाने की जुगत में लगी है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘ हमने लोगों को प्रारंभिक जायजा करने के लिए त्रिपुरा भेजा। मंगलवार रात को उन्हें नोटिस मिला कि उनके विरूद्ध आपराधिक जांच शुरू की गयी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ एक टीम पहले से वहां है। जब वह टीम लौटकर आएगी, तब मैं अभिषेक बनर्जी, डेरेक ओब्रायन और अन्य को भेजूंगी। ’’
तृणमूल के सूत्रों के मुताबिक, पार्टी अन्य राज्यों में अपनी चुनावी संभावनाओं की समीक्षा कर रही है और कोरोना वायरस की स्थिति सामान्य हो जाने के बाद कुछ गठबंधन होने की संभावना है।उन्होंने संकेत दिया कि टीएमसी कांग्रेस त्रिपुरा में ‘ चुनाव जीतने’ या मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरने की तैयारी में जुटी है।
ममता बनर्जी ने इस पूर्वोत्तर राज्य की भाजपा सरकार पर टीएमसी की टीम के सदस्यों को एक होटल में रोककर रखने और उनके विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करवाने का आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु और कानून मंत्री मोलोय घटक अगरतला में हैं। पार्टी नेताओं ने कहा कि टीएमसी की टीम चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की कंपनी आई-पीएसी के प्रतिनिधियों के साथ त्रिपुरा में सर्वेक्षण करने के लिए है।
बता दें कि त्रिपुरा में 2016 में कांग्रेस के 6 विधायकों के साथ अपने साथ आने के बाद टीएमसी मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरी थी मवर मुकुल राय के तृणमूल छोड़कर भाजपा में आने के बाद इस पूर्वोत्तर राज्य में तृणमूल की संभावनाओं को एक बड़ा झटका लगा। राज्य में 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 36 सीटें जीती और आईपीएएफटी ने 8 तथा माकपा ने 16 सीटें हासिल की। जबकि तृणमूल को एक भी सीट नहीं मिली।
मगर स्थितियां अब अलग हैं। पश्चिम बंगाल में शानदार जीत के बाद टीएमसी ने त्रिपुरा में अपनी पुरानी स्थिति बहाल करने का निर्णय लिया है। पार्टी को आस है कि मुकुल राय के वापस आने और किशोर के मार्गदर्शन से 2023 के त्रिपुरा के चुनाव में उसे फायदा मिलेगा।