किसान आंदोलन: करनाल में जिला मुख्यालय के बाहर किसानों का धरना, इंटरनेट और बल्क मैसेज सर्विस पर रोक
करनाल में किसान और प्रशासन आमने सामने आ गए हैं और दोनों में कोई भी पक्ष झुकने को तैयार नहीं है। किसान और प्रशासन के बीच कल तीन दौर की वार्ता बेनतीजा रही जिसके बाद किसानों ने मिनी सचिवालय पर डेरा डाल दिया है। इतनी ही नहीं प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली बॉर्डर की तरह करनाल में भी मोर्चा लगाने की तैयारी है।
इधर किसान नेता राकेश टिकैत का ने कहा है कि जो होगा वो सरकार की जिम्मेदारी है। किसान लाठीचार्ज का आदेश देने वाले अधिकारी आयुष सिन्हा पर कड़ी कार्रवाई चाहते हैं 28 अगस्त को किसानों पर लाठियां बरसाई गई थीं। करनाल को छोड़कर चार जिलों में इंटरनेट और SMS सेवा बहाल कर दी गई है।
राकेश टिकैत ने कहा है कि अब मिनी सचिवालय के गेट पर पहुंच गए हैं। अब यहीं धरना शुरू होगा। हम अंदर नही जाएंगे, लेकिन जब तक सरकार नहीं मानती है तब तक बैठे रहेंगे। वहीं, गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा जो कहा था वो कर दिया। कृषि कानून वापस नहीं हुए तो सरकार भी जाएगी और इनके परिवार भी।
वहीं करनाल में लाठीचार्ज के विरोध में किसानों की तरफ से किए जा रहे लघु सचिवालय के घेराव के बीच कांग्रेस ने सवाल किया कि आखिर सरकार किसानों के साथ बात क्यों नहीं करती है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों का अपमान कर रही है। कांग्रेस ने कहा कि किसानों को बुलाकर सरकार को बात करनी चाहिए।