September 22, 2024

एक साल में देश में सबसे ज्यादा अर्धसैनिक बल के जवानों की मौत छत्तीसगढ़ में, दूसरे नंबर पर इस राज्य का नाम दर्ज

हिंदुस्तान में हर साल अलग-अलग कारणों से केंद्रीय अर्धसैनिक बल (पैरा-मिलिट्री फोर्से) या सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स के जवानों की मौत होना कोई नई बात नहीं है. इन जवानों की मौत किन किन कारणों से होती है महत्वपूर्ण यह ज्यादा है. वो भी तब जब किसी एक ही साल में 36 जवान आत्महत्या कर लें. कारण चाहे उसके आगे-पीछे जो भी रहे हों. कारण-निवारण पर चर्चा कभी भी की जा सकती है. फिलहाल यह आंकड़े हैं राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के. इन बलो की श्रेणी में सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, शस्त्र सीमा बल, आसाम राइफल्स, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड आदि आते हैं. उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक इन सभी केंद्रीय सुरक्षा बलों में एक अनुमान के मुताबिक (1 जनवरी 2019 तक) करीब 9 लाख 23 हजार 800 जवान-अफसर तैनात थे.

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो यानी ने इन सभी बलों में काल के ग्रास बने यानी मरने वाले जवानों का सालाना लेखा-जोखा इकट्ठा किया. आंकड़ों को एकत्रित करने के दौरान एनसीआरबी ने इन केंद्रीय सुरक्षा बलों में मरने वाले बहादुरों के मरने का कारण के क्रमवार आंकड़े भी जुटाए. इन्हीं आंकड़ों से खुलासा हुआ कि हिंदुस्तान के इन केंद्रीय सुरक्षा बलों में, एक साल के भीतर (सन् 2019 में) 104 जवानों की मौत हुई थी. इन सभी बलों में जवानों-अफसरों की मौत के आंकड़ों को जुटाने के वक्त एनसीआरबी ने दो श्रेणी बनाई थीं.

एक वर्ष में 104 जवानों की हुई मौत

पहली श्रेणी में हादसों में हुई मौत और दूसरी श्रेणी में आत्महत्या संबंधी मौतों के आंकड़ों को शामिल किया गया था. इस तरह के आंकड़े जुटाने की यह प्रक्रिया एनसीआरबी द्वारा सन् 2014 से अमल में लाई गई. सभी बलों, राज्य, केंद्र शासित राज्यों से संबंधित आंकड़ों को जुटाने के बाद (सन् 2019 में) इन दो श्रेणियों में मारे गए अर्धसैनिक बलों की मौत की कुल संख्या एक साल में 104 निकल कर सामने आई. इनमें जब मौत के आंकड़ों को श्रेणीवार क्रमबद्ध किया गया तो पता चला कि, इन 104 जवानों-अफसरों में सबसे ज्यादा मरने वालों की संख्या-62 (कुल मौतों का 59.6 फीसदी) सिर्फ ‘Deaths due to Other Causes’ (अन्य कारणों से मौत) की श्रेणी में दर्ज की गई.

इसी तरह दूसरे नंबर पर Deaths due to Road/Railway Accidents (रेल व सड़क हादसों में मौत) श्रेणी रही. इस श्रेणी में एक साल में 24 जवानों की मौत हुई थी. जोकि एक साल में हुई जवानों की कुल मौत (104) का 23.1 फीसदी रहा. जबकि साल 2019 में (करीब एक साल में) Action/Operation/Encounters इत्यादि में केंद्रीय सुरक्षा बलों के मरने वाले जवानों की संख्या 14 रही. जोकि उस साल हुई कुल मौत का 13.5 फीसदी रहा था. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों से जाहिर है कि, इस एक साल की अवधि में जो 104 जवानों की मौत हुई, उनमें से 8 की मौत के कारणों का कभी पता ही नहीं लग सका.

सन् 2019 में CAPF के 36 जवानों ने की आत्महत्या

14 जवानों की मौत उनके पारिवारिक कारणों के चलते हुईं थीं. जबकि एक जवान की मौत समाज में उसकी छबि खराब होने के चलते हुई थी. इसी तरह शादी से संबंधित किसी मुद्दे को लेकर एक जवान की मृत्यु हो गई. इस अवधि में 3 अर्धसैनिक बल जवानों की मौत नौकरी से संबंधित कारणों के चलते हुई थी. नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के द्वारा एकत्रित सन् 2019 के आंकड़ों में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली संख्या है सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेज के 36 जवानों के द्वारा आत्महत्या कर लिया जाना.

इन 36 जवानों की मौत के पीछे वजह अलग अलग रही. इस श्रेणी की मौत के आंकड़ों पर नजर डालने से पता चलता है कि, 36 में से 14 जवान (38.9 फीसदी) पारिवारिक विवादों/समस्याओं के चलते आत्महत्या के शिकार बने थे. जबकि 3 जवानों ने नौकरी संबंधी (Service Related Issues) परेशानियों के चलते आत्महत्या जैसा घातक रास्ता अख्तियार किया था.  एक साल में 36 केंद्रीय अर्धसैनिक बल के जवानों द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामलों की तह तक जाने पर और भी जानकारी निकल कर सामने आती है.

छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा जवानों की मौत

सन् 2019 में ऐसे बलों के जवानों द्वारा आत्महत्या करने की संख्या तमिलनाडु में 4 रही. अरूणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, नागालैण्ड, त्रिपुरा, दिल्ली (सभी में 3-3 जवान) यह संख्या दर्ज की गई. इस श्रेणी में मरने वाले पैरा-मिलिट्री फोर्सेज के सबसे ज्यादा जवानों की संख्या सन् 2019 में, राजस्थान में 5 रही थी. हालांकि इन 5 में से 4 जवानों ने पारिवारिक परेशानियों के चलते आत्महत्या का रास्ता चुना था.

NCRB के आंकड़े ही इस तथ्य की तस्दीक करते हैं कि, सन् 2019 में केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स के जिन 14 जवानों की मौत मुठभेड़ों के दौरान हुई, उनमें सबसे ज्यादा शहीद होने वाले जवानों का अनुपात पूरे देश में छत्तीसगढ़ (57.1 फीसदी) इलाके में रहा. जबकि जम्मू-कश्मीर घाटी में इस श्रेणी में शहीद होने वाले जवानों की संख्या-6 (42.9 फीसदी) रही. इन आंकड़ों को इकट्ठा करने वाले वर्ष के दौरान ‘Deaths due to Other Causes’ श्रेणी में होने वाली 62 में से 10 मौत सिर्फ राजस्थान राज्य में ही दर्ज की गईं थीं. जबकि 16 मौत इस श्रेणी में जम्मू कश्मीर राज्य से होने के आंकड़े जुटाए गए.


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