September 22, 2024

हिन्दी पखवाड़ाः एसजीआरआर विवि में हिन्दी को विश्वस्तरीय पहचान दिलाने का लिया गया संकल्प

देहरादून। गुरु राम राय विश्वविद्यालय में शुक्रवार को हिंदी सप्ताह के उपलक्ष्य में हिंदी विभाग द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय कुलपति सहित समस्त शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक कर्मचारियों ने प्रतिभाग किया तथा हिंदी को विश्वस्तरीय पहचान दिलाने का संकल्प लिया।

विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री महंत देवेंद्र दास जी महाराज ने प्रेषित अपने शुभकामना संदेश में कहा कि हिंदी हमारी मातृभाषा है इसलिए हमें इसे पूरा सम्मान देना होगा। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी के साथ-साथ हमें नई पीढ़ी को हिंदी से भी जोड़ना जरूरी है ताकि हम अपनी जड़ों से जुड़ें रहें।

कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्जवलन के साथ सरस्वती वंदना से हुई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि आज हमें हिंदी दिवस मनाने की आवश्यकता पड़ रही है यह चिंता का विषय है। उनका कहना था कि आज हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा तो मिल गया लेकिन आज भी यह राजकाज की भाषा नहीं बन पाई है। उन्होंने आशा जताई कि नवीन शिक्षा नीति में हिंदी और स्थानीय भाषा को उचित सम्मान मिल सकेगा।

अति विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद एचएनबी चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हेमचंद्र पांडे ने कहा कि आज हमारी सामान्य बोलचाल की हिंदी भाषा अपभ्रंश हो गई है क्योंकि विशुद्ध हिंदी संवाद का माध्यम नहीं बन पाई है। हमें सोचना होगा कि राष्ट्र भाषा होने पर भी हमें क्यों हिंदी पखवाड़ा मनाना पड़ रहा है। हमें इसे केवल औपचारिकता के तौर पर न लेकर अपने व्यावहारिक जीवन में उतारना होगा।

इस मौके पर एसजीआरआर विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. यू. एस. रावत ने कहा कि हमें अपनी भाषा और संस्कृति के संरक्षण के प्रयास करने होंगे। विश्वविद्यालय परिसर अनवरत रूप से हिंदी और स्थानीय भाषा के प्रचार-प्रसार से संबंधित कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमें हिंदी भाषा को आत्मसात करना होगा तभी इसके विकास का संकल्प पूरा होगा। उन्होंने बताया कि पूरे उत्तर भारत में मेडिकल शिक्षा संस्थानों में श्री गुरू राम राय मेडिकल कॉलेज ने 18 वां स्थान प्राप्त किया है, जोकि सभी के लिए गर्व की बात है। कुलाधिपति श्री महंत देवेन्द्र दास जी महाराज के कुशल निर्देशन में विश्वविद्यालय और नए कीर्तिमान स्थापित करेगा। इसके साथ ही विश्वविद्यालय 12 बी एवं नैक में बेहतर ग्रेडिंग प्राप्त करने के लिए प्रयासरत है।

विश्वविद्यालय गर्वर्निंग बॉडी के सदस्य प्रो. एस.एस.रावत ने कहा कि हमें हिंदी के विकास के लिए इसे अपने नित जीवन में उतारना होगा। उन्होंने आह्वान किया कि हिंदी को एक समृद्ध भाषा के रूप में पहचान दिलाने की मुहिम में शिक्षकों तथा छात्रों को अपने-अपने स्तर पर प्रयास करने होंगे।

कार्यक्रम में दून विश्वविद्यालय के डीन, मैनेजमेंट प्रो.एस.सी. पुरोहित ने कहा कि हिंदी भाषा हमारी और सभ्यता और संस्कृति की पहचान है। इसलिए इसका संरक्षण हम सबका दायित्व है।

दरबार साहिब के प्रतिनिधि के रूप में मौजूद डी.पी. मंमगाई ने कहा कि भारत के भविष्य का निर्माण उसकी कक्षाओं में गुरूजनों के निर्देश में होता है। हमें हिंदी को कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक एक भाषा के रूप में पहचान दिलानी है।
कार्यक्रम के समापन अवसर पर कुलपति महोदय ने मौजूद अतिथियों को स्मृति चिन्ह और शॉल भेंट करके सम्मानित किया। इस मौके पर छात्रों द्वारा सामूहिक गीत, सांस्कृतिक प्रस्तुति एवं योगाभ्यास का भी प्रदर्शन किया गया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के समस्त शिक्षकों और कर्मचारियों ने हिंदी के प्रचार-प्रसार का संकल्प भी लिया। इस दौरान कोरोना प्रोटोकॉल्स का पूरी तरीके से पालन किया गया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ .एस.पी. रयाल ने किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय समन्वयक डॉ. आर.के सिंह, मुख्य नियंता मनोज तिवारी,. प्रो. हर्ष डोभाल, प्रो. सरस्वती काला, प्रो. मनीषा सिंह, प्रो. अरूण कुमार, प्रो. आशीष कुलश्रेष्ठ, डॉ. अनिल थपलियाल, डॉ. कल्पना थपलियाल, डॉ. प्रिया पांडे, डॉ. अनुजा रोहिला, डा० मोईनुद्दीन चिश्ती सहित समस्त शिक्षक स्टॉफ और कर्मचारी मौजूद थे।

‘स्मृति वृक्ष‘ का विमोचन

एसजीआरआर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. यू.एस.रावत द्वारा अपनी स्मृतियों पर आधारित पुस्तक ‘स्मृति वृक्ष‘ का विमोचन किया गया। जिसमें उन्होंने विभिन्न कार्यकालों के दौरान किए गए कार्यों एवं अपने जीवन के तमाम संघर्षों और अनुभवों को साझा करने की कोशिश की है। उन्होंने बताया कि अभी यह पुस्तक का पहला अंक है आगे दो अंक और प्रकाशित होंगे। डॉं. रावत की अब तक 8 पुस्तकें और 57 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। साथ ही उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय सम्मानों से अंलकृत किया गया है।


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