2020 में देश में दोगुने हुए सांप्रदायिक और धार्मिक दंगे, एससी-एसटी के खिलाफ अपराध में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश टॉप पर, देखें आंकड़े
देश में साल 2020 में 2019 के मुकाबले दोगुने दंगों के मामले दर्ज किए गए. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2020 में सांप्रदायिक या धार्मिक दंगों के मामले 2019 की तुलना में लगभग दोगुने हो गए, वो भी तब जब पूरा देश कोविड-19 महामारी से संबंधति प्रतिबंधों की वजह से बेहद सीमित रहा और बाहरी गतिविधियां न के बराबर जारी रही थीं.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने अपनी सालाना रिपोर्ट में बताया कि देश में 2020 में सांप्रदायिक और धार्मिक दंगों के 857 मामले दर्ज किए गए. जबकि 2019 में ऐसे मामलों की संख्या राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को मिलकार 438 थी, वहीं, 2018 में ऐसे मामलों की संख्या 512 थी.
तीन महीने लगा था संपूर्ण लॉकडाउन
रिपोर्ट में NCRB ने कहा कि कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान 25 मार्च, 2020 से 31 मई 2020 तक देश में पूर्ण लॉकडाउन लागू था और इस अवधि में सार्वजनिक स्थलों पर आवाजाही ‘बेहद सीमित’ थी. देश में पिछले साल जनवरी और फरवरी में संशोधित नागरिकता कानून को लेकर कई प्रदर्शन हुए और उत्तरपूर्वी दिल्ली में दंगे हुए.
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में एससी, एसटी के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध के केस
एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अपराध के मामलों में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई. इन समुदायों के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में दर्ज किए गए.
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल अनुसूचित जाति के लोगों के खिलाफ हुए अपराधों के संबंध में 50,291 मामले दर्ज किए गए जोकि 2019 (45,961 मामले) में दर्ज मामलों से 9.4 फीसदी अधिक रहा. NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2020 के दौरान एससी के खिलाफ हुए अपराध या अत्याचार में सबसे अधिक हिस्सा ‘मामूली रूप से चोट पहुंचाने’ का रहा और ऐसे 16,543 मामले दर्ज किए गए.
वहीं, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम के तहत 4,273 मामले जबकि ‘आपराधिक धमकी’ के 3,788 मामले सामने आए. आंकड़ों के मुताबिक, 3,372 अन्य मामले बलात्कार के लिए, शील भंग करने के इरादे से महिलाओं पर हमले के 3,373, हत्या के 855 और हत्या के प्रयास के 1,119 मामले दर्ज किए गए. इसके मुताबिक, अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अपराध करने के लिए कुल 8,272 मामले दर्ज किए गए जोकि 2019 (7,570 मामले) की तुलना में 9.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत कार्यरत NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2020 के दौरान अनुसूचित जनजाति के खिलाफ हुए अपराध या अत्याचार में सबसे अधिक हिस्सा ‘मामूली रूप से चोट पहुंचाने’ का रहा और ऐसे 2,247 मामले दर्ज किए गए. इसके बाद बलात्कार के 1,137 मामलों के अलावा महिलाओं पर शील भंग करने के इरादे से हमले के 885 मामले सामने आए.
एससी समुदाय के खिलाफ अपराध के मामले में बिहार दूसरे नंबर पर
राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2020 में एससी समुदाय के खिलाफ अपराध के सबसे अधिक 12,714 मामले उत्तर प्रदेश से और इसके बाद बिहार से 7,368 मामले जबकि राजस्थान से 7,017 तथा मध्य प्रदेश से 6,899 मामले सामने आए. वहीं, वर्ष 2020 में एसटी समुदाय के खिलाफ सबसे अधिक अपराध के 2,401 मामले मध्य प्रदेश में जबकि 1,878 मामले राजस्थान में दर्ज किए गए.
दिल्ली में वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यादा केस
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार 2020 में दिल्ली में वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अपराध के 906 मामले दर्ज किए गए जो देश के 19 महानगरों में सबसे ज्यादा हैं. दिल्ली में वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अपराध 2019 की तुलना में 2020 में हालांकि कम हुए. 2019 में यहां ऐसे 1,076 मामले दर्ज किए गए थे.
पिछले साल मुंबई में वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अपराध के 844 मामले दर्ज किए गए जबकि अहमदाबाद में 709, चेन्नई में 321, बेंगलुरु में 210, हैदराबाद में 170 और जयपुर में 157 मामले दर्ज किए गए. आंकड़ों के अनुसार गाजियाबाद, कानपुर और पटना में ऐसा कोई मामला दर्ज नहीं किया गया.
जुटाए गए 19 महानगरों के आंकड़े
NCRB केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करता है और उसने 20 लाख से अधिक आबादी वाले 19 शहरों को महानगरों के रूप में वर्गीकृत किया है. इनमें अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, कोयंबटूर, दिल्ली, गाजियाबाद, हैदराबाद, इंदौर, जयपुर, कानपुर, कोच्चि, कोलकाता, कोझिकोड, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, पटना, पुणे और सूरत शामिल हैं.
आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में दर्ज 906 मामलों में से 7 हत्या के थे जबकि 2 गैर इरादतन हत्या के और एक मामला हत्या के प्रयास का था. चेन्नई में पिछले साल हत्या के सबसे ज्यादा 15 मामले दर्ज किए गए जबकि मुंबई में 12 और बेंगलुरु में 10 मामले दर्ज किए गए.
साधारण चोट के सबसे ज्यादा 71 मामले इंदौर में दर्ज किए गए. इसके बाद चेन्नई में 64 और हैदराबाद में 42 मामले दर्ज किए गए. दिल्ली एकमात्र महानगर है जहां वरिष्ठ नागरिकों के साथ दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए. यहां चार ऐसे मामले दर्ज किए गए.