September 22, 2024

भारत में रहस्यमयी बीमारी का शिकार हुए अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के जासूस! ‘हवाना सिंड्रोम’ के लक्षण दिखे

अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के एक जासूस में रहस्यमयी बीमारी हवाना सिंड्रोम के लक्षण दिखे हैं. वह इस महीने सीआईए के डायरेक्‍टर विलियम बर्न्‍स के साथ भारत दौरे पर आए थे. अमेरिका पहुंचते ही उन्हें इलाज की जरूरत पड़ी. अधिकारी की पहचान से जुड़ी कोई जानकारी नहीं दी गई है लेकिन तबीयत बिगड़ने के बाद उनका इलाज किया गया. इस बात की जानकारी सोमवार को स्थानीय मीडिया ने दी. बीते महीने भी ये सिंड्रोम चर्चा में था.

अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस जब वियतनाम में थीं, तब उनकी 24 अगस्त की सिंगापुर यात्रा में इसी बीमारी की वजह से तीन घंटे की देरी हुई थी. उनकी यात्रा से कुछ दिन पहले वियतनाम में इसके दो अलग-अलग मामले सामने आए थे. इसलिए उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यात्रा का समय बदला गया . बीते पांच साल से रहस्यमयी बनी इस बीमारी का पहला मामला साल 2016 में कैरिबियाई देश क्यूबा की राजधानी हवाना से सामने आया था. जिसके बाद इसका नाम हवाना सिंड्रोम पड़ा. इसका शिकार अमेरिकी दूतावास के लिए काम करने वाले जासूस और राजदूत बने थे.

सीआईए के प्रवक्ता ने क्या कहा?

सीआईए के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि एजेंसी ऐसे मामलों और अधिकारियों पर कोई टिप्पणी नहीं करती है (Havana Syndrome Case in CIA Officer). उन्होंने कहा, ‘अगर कोई असामान्य घटना होती भी है, तो हमारे पास उसके लिए प्रोटोकॉल हैं. जिसमें उचित इलाज दिया जाना शामिल है.’ ताजा मामले की बात करें, तो मीडिया रिपोर्ट्स से पता चला है कि बर्न्स के साथ आए एक खुफिया अधिकारी का अमेरिका लौटते ही तुरंत इलाज किया गया. बर्न्स का कहना है कि ऐसी ‘मजबूत संभावना है कि सिंड्रोम जानबूझकर फैलाया जा रहा है और इसके लिए रूस जिम्मेदार हो सकता है.’

अब तक कितने मामले मिले हैं?

आंकड़ों के अनुसार, हवाना सिंड्रोम से 200 अमेरिकी अधिकारी और उनके परिवार के सदस्य संक्रमित हो चुके हैं. इस बीमारी से संक्रमित होने की जानकारी जर्मनी, ऑस्ट्रिया, रूस और चीन सहित दूसरे देशों में काम करने वाले अमेरिकी अधिकारियों ने दी है (Havana Syndrome Symptoms). इस बीमारी की मौजूदगी पर भी कई बार सवाल उठे हैं क्योंकि इसके मामले अमेरिका या फिर कनाडा के अधिकारियों में ही देखने को मिलते हैं. बीते साल दिसंबर महीने में नेशनल अकैडमिक्स ऑफ साइंस (एनएएस) में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया था कि इस सिंड्रोम के लिए रेडियोफ्रीक्वेंसी एनर्जी सबसे ज्यादा जिम्मेदार है. वहीं बीमारी के लक्षणों की बात करें, तो इससे पीड़ित व्यक्ति में मतली, सुनाई ना देना, याददाश्त कमजोर होना, चक्कर आना और टिनिटस जैसे लक्षण दिखते हैं.


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