September 22, 2024

योगी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार पर मायावती ने साधा निशाना, बताया मतदाताओं को लुभाने की कोशिश

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने सोमवार को उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार पर अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले कैबिनेट में नए मंत्रियों को शामिल किए जाने पर कटाक्ष किया। मायावती ने ट्विटर पर कहा कि राज्य सरकार नए मंत्रियों को कैबिनेट में लाकर जाति के आधार पर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है।

उन्‍होंने कहा, ”जबकि इनके समाज के विकास व उत्थान के लिए अभी तक वर्तमान भाजपा सरकार ने कोई भी ठोस कदम नहीं उठाये हैं बल्कि इनके हितों में बीएसपी की रही सरकार ने जो भी कार्य शुरू किये थे, उन्हें भी अधिकांश बन्द कर दिया गया है। इनके इस दोहरे चाल-चरित्र से इन वर्गों को सावधान रहने की सलाह।”

मायावती ने ट्वीट करते हुए कहा, ” केन्द्र व यूपी सरकार की किसान-विरोधी नीतियों से पूरा किसान समाज काफी दुःखी व त्रस्त है, लेकिन अब चुनाव से पहले अपनी फेस सेविंग के लिए गन्ना का समर्थन मूल्य थोड़ा बढ़ाना खेती-किसानी की मूल समस्या का सही समाधान नहीं। ऐसे में किसान इनके किसी भी बहकावे में आने वाला नहीं है।”

नए मंत्रियों के शामिल होने से राज्य में अधिकतम 60 मंत्री होने की संवैधानिक सीमा समाप्त हो गई है। 2019 के बाद उत्तर प्रदेश में मंत्रिपरिषद का यह दूसरा विस्तार है।

सात नए मंत्रियों में केवल जितिन प्रसाद ब्राह्मण समुदाय से हैं। विशेषज्ञों ने कहा है कि प्रसाद को मंत्रिमंडल में नवीनतम ब्राह्मण मंत्री के रूप में शामिल करना राज्य में समुदाय को लुभाने के भाजपा के प्रयासों का एक हिस्सा है। वर्तमान कैबिनेट में उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, श्रीकांत शर्मा, राम नरेश अग्निहोत्री, सतीश चंद्र सहित कई ब्राह्मण नेता हैं।

MoS संजीव कुमार उत्तर प्रदेश में एकमात्र अनुसूचित जनजाति (ST) विधायक हैं जो सोनभद्र जिले से ओबरा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। छत्रपाल सिंह गंगवार (कुर्मी), संगीता बलवंत (बिंद) और धर्मवीर सिंह (प्रजापति) पिछड़ी जातियों से हैं। मंत्री पल्टू राम और दिनेश खटीक अनुसूचित जाति (एससी) के हैं।


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