September 22, 2024

तीसरे कैबिनेट विस्तार से CM योगी ने किन-किन जातीय समीकरणों को साधा, यहां जानिए

आखिरकार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से चार महीने पहले योगी सरकार ने तीसरा मंत्रिमंडल विस्तार कर लिया. नए मंत्रिमंडल विस्‍तार में बीजेपी की योगी सरकार ने जातीय समीकरण साधने से लेकर युवा चेहरों, महिलाओं और पार्टी के चेहरों को तरजीह दी है.

सत्‍ता में वापसी के प्रयास में लगी बीजेपी सरकार ने अपने तीसरे मंत्रिमंडल विस्‍तार के तहत सात मंत्रियों व चार एमएलसी के मनोनयन से नया दाव चला है.

गैर-यादव-गैर जाटव OBC और दलितों के जरिये वापसी की कोशिश

मंत्रिमंडल में अपनी पार्टी के चेहरों को शामिल कर पार्टी ने अपना संगठन और विधायक ही सर्वोपरि हैं का संदेश देने की कोशिश की गई है. वहीं यह भी संदेश दे दिया कि मिशन-2022 में बीजेपी गैर-यादव-गैर जाटव ओबीसी और दलितों के जरिये फिर सत्‍ता में वापसी की कोशिश करेगी. पार्टी ने वर्ष 2017 व 2019 में यही दाव चला था.

जातीय समीकरण साधने का प्रयास

योगी के तीसरे मंत्रिमंडल विस्‍तार में शामिल नए चेहरों में तीन ओबीसी हैं. दो अनुसूचित जाति और एक अनुसूचित जनजाति के हैं. जितिन प्रसाद मंत्रिमंडल में ब्राह्मण चेहरे के रूप में शामिल हुए हैं. पार्टी ने अपने गैर यादव-गैर जाटव समीकरण पर कायम रहते हुए. ओबीसी के साथ ही दलित जातियों को भी संदेश देने की कोशिश की है. ओम प्रकाश राजभर पूर्वांचल में बिंद जाति के नेताओं को अपने दल में खास तरजीह दे रहे थे. वहीं बसपा के समीकरण की गति को मध्यम करने के मकसद से अवध क्षेत्र के बलरामपुर से पल्टू राम और मेरठ के हस्तिनापुर से दिनेश खटीक को राज्यमंत्री बनाया गया है. पार्टी इसके जरिये एक तीर से दो निशाने लगाना चाहती है.

पश्चिम में वह चंद्रशेखर की आजाद पार्टी की रफ्तार थामने की कोशिश में है तो अवध में देवीपाटन से लेकर अयोध्या-अंबेडकरनगर में बसपा से जुड़े दलितों को संदेश देने की कोशिश है. वहीं बरेली से केंद्रीय मंत्री रहे संतोष गंगवार के हटने के मद्देनज़र ही बहेड़ी के छत्रपाल सिंह गंगवार को शामिल किया गया है. उनके जरिये रुलेहखंड में संदेश देने की कोशिश की गई है कि पार्टी के लिए ओबीसी वर्ग के कुर्मी समाज का भी महत्व बरकरार है.

पार्टी के युवा चहरों को दी तरजीह

बीजेपी ने अपने ही पार्टी के उन युवा चेहरों पर भरोसा जताया है जो पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं. पार्टी ने जिन सात मंत्रियों को शामिल किया है, उनमें मुख्य रूप से डा. संगीता बलवंत, संजय गौड़, पल्टू राम और दिनेश खटीक पहली बार विधानसभा पहुंचे थे. इन चारों की ही उम्र 43 से लेकर 49 वर्ष के बीच यानी औसतन 45 वर्ष है. छत्रपाल सिंह गंगवार को छोड़ दें तो बाकी छह मंत्रियों की औसत उम्र 49 वर्ष है. पार्टी ने यह संदेश देने की भी कोशिश की है कि उसके लिए अपना संगठन और अपना विधयक सर्वोपरि है.

निषाद समाज में शिक्षित लोगों को आगे आने का संदेश

निषाद समाज से मंत्रिमंडल में शामिल डा. संगीता बलवंत ऐसा चेहरा हैं जो न केवल मंत्रिमंडल में महिला और युवा हैं बल्कि निषाद समाज के शिक्षित वर्ग से हैं. वह न केवल छात्र जीवन से राजनीति से जुड़ी रहीं बल्कि वकालत के पेशे हैं. उन्हें शामिल कर पार्टी ने निषाद समाज में शिक्षित लोगों को आगे आने का ही संदेश देकर प्रेरित करने का प्रयास किया है.

क्षेत्रीय संतुलन बिठाने का प्रयास

पार्टी ने मंत्रिमंडल में प्रदेश के सभी क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है. नए मंत्रियों में बलरामपुर से लेकर मेरठ, आगरा और बरेली व पूर्वांलच को प्रतिनिधित्व देकर क्षेत्रीय संतुलन बिठाने का भी प्रयास किया गया है. विस्तार के बाद उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में मंत्रियों की अधिकतम संख्या 60 पहुंच गई है. मंत्रियों की अधिकतम संख्या विधानसभा के कुल सदस्यों का 15 फीसदी हो सकता है. उत्तर प्रदेश विधानसभा में कुल 403 सीटें हैं.


WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com