November 25, 2024

पहाड़ों पर बड़ी मात्रा में विस्फोट! दुबारा बुलाई जा रही है तपोवन जैसी तबाही

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सौरभ गुसाई की रिपोर्ट

गौचर। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन केंद्र सरकार की एक महत्वकांक्षी योजना है। भारतीय रेलवे की ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना देश की सबसे चुनौतीपूर्ण परियोजना भी है। 16216 करोड़ की लागत से तैयार हो रही 125 किमी लंबी इस रेल परियोजना की 105 किमी रेल लाइन 17 सुरंगों के भीतर से गुजरेगी। देश में अब तक की सबसे लंबी (14.08 किमी) रेल सुरंग भी इसी परियोजना पर तैयार हो रही है।

शुरुवात में इस परियोजना में सुरंग निर्माण के लिए टीबीएम यानी टनल बोरिंग मसीनों के इस्तेमाल होने की बात कही गई थी। जो कि हिमालय शृंखलाओं की सुरक्षा के मध्यनजर एक अहम निर्णय माना जा रहा था। यही एक कारण था कि पूरी ऑल वेदर रोड में भी कहीं विस्फोटकों ले इस्तेमाल पर पूर्णतः रोक थी और पूरा निर्माण ड्रिल मसीनों की सहायता से लगभग अंतिम चरण में चल रहा है। यहां तक कि उत्तराखंड में नई ग्रामीण सड़कों के निर्माण में भी विस्फोटकों के इस्तेमाल पर पुर्णतः प्रतिबंध है।

परन्तु ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाइन के निर्माण में यह नियम लागू नहीं है और लगातार विस्फोटकों के इस्तेमाल से किसी बड़ी आपदा को निमंत्रण दिया जा रहा है। विदित हो कि बीती फरवरी में तपोवन में ऋषिगंगा हैड्रोप्रोजेक्ट में आई तबाई को अभी कोई नहीं भूल पाया है। जिसमें 38 लोगों की मृत्यु हुई और 168 लोग अभी भी लापता हैं। इस आपदा का भी एक बड़ा कारण सुरंग बनाने में भारी मात्रा में इस्तेमाल किये जाने वाले विस्फोटकों को माना गया।

स्थानीय निवासी और कई पर्यावरणविद कह चुके हैं कि जिस तरह सुरंग के अंदर लगातार अनियंत्रित विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया उससे ग्लेशियर कच्चे पड़ गए और अचानक से टूट कर ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों के रास्ते तबाही मचाते हुए आगे बढ़े। अब ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाइन के आस पास के गावों पर भी यही खतरा मंडराने लगा है। चमोली जिले में इस रेल लाइन का अंतिम स्टेशन होगा और यहीं एक अंतिम सुरंग पिछले साल भर से ज्यादा वक्त से खोदी जा रही है।

hjस्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इस सुरंग को खोदने के लिए टीबीएम का इस्तेमाल होने की बात रेलवे विकास निगम द्वारा बताई गई थी। इसीलिए अलकनंदा नदी पर टीबीएम मशीन और अन्य भारी निर्माण सामग्री और मशीनों को ले जाने के लिए एक बड़े पुल का निर्माण भी किया गया था। परन्तु न पुल का निर्माण कार्य आकतक पूरा हो पाया है और न टीबीएम मशीन आई। एक काम जरूर बड़ी जोर शोर पर जरूर शुरू हो गया है वह है मानकों के विपरीत बेरोकटोक विस्फोटकों का इस्तेमाल।

यह पर्यावरण पर कितना असर डालेगा और भविष्य में आपदा को लाने में कितना योगदान देगा, यह सोचकर स्थानीय ग्रामीण सहमे हुए हैं। सुरंग निर्माण साइट के सबसे निकट भट्टनगर गाँव के एक बुजुर्ग गोविंद सिंह खत्री सुरंग निर्माण की ओर टकटकी लगाए हुए एक स्थान पर बैठे हैं। पूछने पर उन्होंने अपना दर्द बयां कर दिया कि सरकार ने उन्हीं की खेतिहर भूमि अधिगृहित कर रेलवे का निर्माण शुरू किया है और आज यही हमारे और आने वाली पीढ़ी के जीवन पर संकट की तरह हमें दिखाई दे रहा है।

उनका मानना है कि रेलवे मानकों के अनुरूप कार्य न करके दिन रात विस्फोटों से सुरंग का काम कर रही है जिससे भविष्य में किसी बड़े खतरे की आशंका से उनको भय सता रहा है। उन्होंने तो यह कहते हुए अपना घर भी दिखा दिया जिसमें बड़े धमाकों से उनके घर पर आई दरारों से तो वर्तमान में जीना डरावना लग रहा है तो भविष्य तो कोई ही जान सकता है। एक-एक कर जब अन्य ग्रामीणों के घर देखे तो सभी घरों में दरारें पड़ी हुई थी।

पड़ोसी राकेश खत्री ने अपने नए घर से टपकी हुई टाइल की तरफ इशारा करते हुए कहा कि ये इन्हीं धमाकों का तोहफा है और एक एक कर उनकी दस से बारह टाइल नीचे गिर चुकी हैं। गाँव के ही युवा जनप्रतिनिधि हरीश नयाल जब अपना घर दिखाने ले गए तो उनके घर और पड़ोस में एक घर पर भी बड़ी बड़ी दरारें दिखाई पड़ी। नयाल बताते हैं कि वे कई बार निर्माणाधीन कंपनी की इस शिकायत को ले कर रेलवे विकास निगम के अधिकारियों के समक्ष जा चुके हैं। उनका कहना है कि सुरंग के ठीक सामने पहला उनका गाँव है। सुरंग से कभी रात को कभी सुबह चार बजे, तो दिन भर के आठ दस धमाके उनके जीवन पर बड़ा बुरा असर डाल रहे हैं।

इन धमाकों से जहां मकानों पर बुरा असर पड रहा है तो वहीं बच्चों बुजुर्गों सभी की मनोस्थिति पर भी बुरा असर पड़ रहा है। गाँव अलकनंदा नदी के बेहद करीब है और ऐसी छेड़छाड़ से तपोवन जैसी आपदा आने से उनके गांव को भी बहुत ज्यादा नुकसान की आशंका है।

जानकर बताते हैं कि निर्माण कम्पनियाँ नियमों और मानकों को हमेशा ताक पर रखती हैं। क्योंकि उन्हें पता है कि वे अपना कार्य कर दूसरे कार्य के लिए दूसरी जगह निकल जाएंगे परन्तु दुष्परिणाम स्थानीय लोग ही भूकतेंगे। बिस्फोटकों से काम तेजी से और कम खर्च में किया जाता है जो कम्पनियों को अच्छा लगता है परन्तु प्रकृति पर इसके बड़े लंबे और बुरे प्रभाव पडते हैं। कम्पनियाँ हमेशा वहां अपनी मनमानी करती हैं जहां लोग ज्यादा जागरूक नहीं होते हैं।

रेलवे की सुरंग जिस पहाड़ी पर खोदी जा रही है उस पर कई गांव हैं। रानों, बमोथ, सूगी, सरमोला जैसे गाँव तो बिल्कुल सुरंग से जुड़े हुए हैं। इन गावों पर धमाकों से ज्यादा कम्पन और नुकसान की आशंकाएं हैं। ग्रामीण परिवेश में प्राकृतिक जल श्रोत, खेत-खलियान,सिचाई की नहरें और मवेशी जीवन का एक अभिन्न अंग होते हैं। और यह धमाके इनपर बहुत असर डालेंगे इससे कोई इनकार नहीं कर सकता। गावों में प्राकृतिक जल श्रोत बहुत नाजुक होते हैं और वे कभी कभी किसी छोटे भूकंप के आने से अपना रास्ता बदल देते हैं। तो ये लगातार होते धमाके इन पर कितना असर डालेंगे यह आगे देखने को मिलेगा। ये लगातार होते धमाके आगे आने वाले समय में भूस्खलन और किसी छोटे भूकंप से बड़े नुकसान के लिए एक निमंत्रण के अलावा कुछ नहीं हैं। निर्माणाधीन कंपनी अभी तक अलकनंदा नदी पर उसी पुल को अपने भारी वाहनों और मसीनों के प्रयोग में ला रही है जो गौचर को इन तमाम गावों को जोड़ते हुए पोखरी तहसील मुख्यालय तक जोड़ता है। इससे छोटे पुराने पुल पर भी खतरा मंडराता चला जा रहा है।

muleshपूर्व पालिकाध्यक्ष गौचर मुकेश नेगी से जब पूछा गया कि इस ओर उनका ध्यान क्यों नहीं गया? और क्यों उन्होंने ग्रामीणों की समस्याओं की सुध नहीं ली? उनका कहना है कि वर्तमान में टनल के निर्माण में दो कम्पनियां काम कर रही हैं। एक मेघा कन्स्ट्रक्शन कम्पनी और दूसरी ड़ीबीएल और दोनों की अनियमितता की शिकायत वे कई बार रेलवे विकास निगम से कर चुके हैं। उनके पालिकाध्यक्ष के कार्यकाल में यह अनुबंध हुआ था कि सुरंग खोदने के लिए किसी भी विस्फोटक का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। परन्तु अब बिल्कुल उलट कार्य किया जा रहा है। न स्थानीय काश्तकारों से किये गए वायदे पूरे किए जा रहे हैं और न स्थानीय युवाओं को नौकरी में प्राथमिकता दी जा रही है।

मुकेश नेगी का साफ तौर पर कहना है कि यदि रेलवे विकास निगम और निर्माणधीन कंपनियां स्थानीय लोगों, काश्तकारों के साथ किये गए वायदे को नजरंदाज करेगी और मानकों को ताक पर रख कर निर्माण कार्य कर किसी बड़ी आपदा को न्यौता देने का कार्य करेंगे तो वे मजबूर हो जाएंगे कि लोकतांत्रिक तरीके इन सब के खिलाफ एक बड़े विरोध प्रदर्शन को आगे बढ़ने के लिए।