उत्तराखण्डः केदारनाथ धाम में मोदी की जनसभा से उठा सियासी तूफान, विरोधी दलों ने उठाये ये गंभीर सवाल
देहरादून। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ धाम पहुंचे। जहां उन्होंने गोवर्धन पूजा के अवसर पर बाबा केदार की पूजा-अर्चना एवं जलाभिषेक किया। इस दौरान उन्होंने लगभग ₹400 करोड़ की योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने श्री शंकराचार्य जी के पुनर्निर्मित समाधि स्थल और नई प्रतिमा का अनावरण किया साथ ही तीर्थ पुरोहितों के आवास, सरस्वती व मन्दाकिनी नदी के तट पर बाढ़ सुरक्षा तथा घाटों का निर्माण, गरुड़ चट्टी के लिये मन्दाकिनी नदी पर पुल के निर्माण कार्यों का लोकार्पण किया।
लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के केदारनाथ धाम के दौरे ने प्रदेश में सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। प्रदेश की विपक्षी पार्टियों ने केदारनाथ धाम में जनसभा करना और पूर्जा अर्चना को लेकर प्रधानमंत्री के इस दौरे को लेकर गंभीर सवाल उठाये हैं।
परम्पराओं और मान्यताओं को रौंदने का आरोप
प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के नेता हरीश रावत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर उत्तराखण्ड की परम्पराओं और मान्यताओं को रौंदने का आरोप लगाया है। उन्होंने फेसबुक के जरिये कहा कि ’देश के आदरणीय प्रधानमंत्री जी के केदारनाथ आगमन का मैंने स्वागत किया था। मगर अब मैं निराश हूंँ, क्योंकि उन्होंने उत्तराखंड व आपदा पीड़ित उत्तराखंड के लिए और केदार क्षेत्र के भविष्य की योजनाओं के विषय में कोई स्वीकृतियां नहीं दी, कोई धन देने की घोषणा नहीं की। उल्टा हमारी परंपराओं व मान्यताओं को रौंदकर के चले गये, बड़े-बड़े नेता आए, महामहिम राष्ट्रपति जी भी आये, इंदिरा गांधी जी भी आयी, राहुल जी पैदल चलकर के आये, मुख्यमंत्री तो आते रहे हैं, मैं मुख्यमंत्री के तौर पर कई बार केदारनाथ गया, हर बार गर्भगृह में भगवान रुकेदारनाथ जी के सामने ध्यानस्थ भी रहा, लेकिन हमको उस क्षण की फोटो खींचने और सजीव प्रसारित करने की हिम्मत नहीं आयी। रावल जी और केदारनाथ मंदिर समिति ने जो लक्ष्मण रेखा खींची थी, हमने हमेशा उसका आदर किया, सबने उसका आदर किया।
लेकिन इस बार गर्भगृह से प्रधानमंत्री जी ने अपने को लाइव प्रसारित करवाया, फेसबुक लाइव व आज तक और दूसरे चौनलों में यह सब कुछ टेलीकास्ट हुआ। मंदिर के प्रांगण से राजनैतिक उद्देश्य को लेकर भाषण किया गया और उसको सरकारी संचार माध्यमों से प्रसारित किया गया। अब मैं अपने उन साथियों की सलाह के लिए उनको धन्यवाद देता हूंँ जिन्होंने मुझसे कहा कि आप उनके आगमन का स्वागत कर गलत कर रहे हो, वास्तव में गलती हो गई। गर्भगृह की मर्यादा भी टूटी, देवस्थान में राजनीति न हो उसकी भी मर्यादा टूट गई। मगर शिकायत करें तो किससे करें? उलटा उत्तराखंड को कुछ हासिल नहीं हुआ, न आपदा को लेकर उत्तराखंड को कोई सहायता दी गई और न केदारनाथ में रोपवे सहित किसी भी प्रकार की कोई निर्माण कार्य की स्वीकृतित प्रदान की गयी, केदार बाबा क्षमा करें।
अहंकार और चुनावी यात्रा से ज्यादा कुछ नहीः भाकपा माले
वहीं भाकपा माले ने परिस्थितिकीय रूप से संवदेनशील केदारनाथ में भीड़ जमा करने प्रकृति विरोधी बताया। भाकमाले के नेता इंद्रेश मैखुरी ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा चुनावी लाभ के लिए किसी भी सीमा को लांघने को तैयार है।
उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि ’केदारनाथ जैसे परिस्थितिकीय रूप से संवेदनशील स्थान पर भीड़ जमा करके जनसभा करना न केवल हास्यास्पद है बल्कि अपने आप में एक प्रकृति विरोधी कृत्य है। परंतु अपने चुनावी लाभ के लिए भाजपा किसी भी सीमा को लांघने को तैयार है। जिस तरह से प्रधानमंत्री जैसे देश के सर्वाेच्च पद पर बैठे व्यक्ति से बाढ़ निर्माण, तटबंध और पुल जैसे मामूली कार्यों को उपलब्धि के तौर पर प्रचारित करवाया गया, वह भाजपा की चुनावी व्यग्रता को प्रदर्शित करता है। यह बात भाकपा माले के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने कही है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री का भाषण तो सरकारी सूचना विभाग के प्रदेश भर में लगे विज्ञापन में वर्णित उपलब्धियों का मौखिक वर्णन मात्र था। केदारनाथ में दिये गए भाषणों में केवल दो ही व्यक्तियों का महिमागान हो रहा था- आदि शंकराचार्य और नरेंद्र मोदी, वह और कुछ नहीं भाजपाई अंहकार का प्रकटीकरण और प्रदर्शन था। उन्होंने कहा कि 2013 की आपदा का वर्णन प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दोनों ने अपने भाषणों में किया।
लेकिन यह विडंबना है कि उस आपदा के बाद हुई तबाही के लिए जिम्मेदार समझी गयी जिन सात जल विद्युत परियोजनाओं को उच्चतम न्यायालय ने बंद कर दिया था, उन्हें केंद्र सरकार पुनः शुरू करवाने की कोशिश कर रही है। यह निरंतर सिद्ध हो रहा है कि जिस बेतरतीब और अवैज्ञानिक तरीके से चार धाम सड़क परियोजना का निर्माण चल रहा है, वह उत्तराखंड के लिए विनाशकारी सिद्ध हो रहा है। एक तरफ 2013 का नाम लेकर सहानुभूति बटोरने की कोशिश और दूसरी तरफ तबाही की परियोजना को उपलब्धि के तौर पर प्रचारित करना, यह दोहरापन नहीं तो क्या है !
गढ़वाल सचिव ने कहा कि प्रधानमंत्री ने फिर “पहाड़ के पानी और पहाड़ के जवानी को पहाड़ के काम लाने ”के जुमले को उछाला। हकीकत यह है कि भाजपा सरकार का बना पलायन आयोग ही यह बता रहा है कि उत्तराखंड में सर्वाधिक पलायन का कारण बेरोजगारी है। प्रधानमंत्री जी ने नचिकेता का उदाहरण देते हुए यम से भी सवाल पूछने का उल्लेख किया, परंतु वे स्वयं प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करते ताकि सवालों का सामना नहीं करना पड़े और तमाम ऐसे विरोधी लोग जेलों में बंद हैं, जिन्होंने उनकी सरकार को असहज करने वाले सवाल पूछने की हिमाकत की।
यह आश्चर्यजनक है कि केदारनाथ में हुई इस जनसभा में किसी ने उस देवस्थानम बोर्ड का नाम भी नहीं लिया जिसके खिलाफ महीनों से तीर्थ पुरोहित और अन्य हक-हकूकधारी लामबंद हैं।
आम आदमी पार्टी ने उठाये सवाल
वहीं प्रदेश में अपनी सियासी जमीं तैयार कर रही आम आदमी पार्टी ने भी प्रधानमंत्री के केदारनाथ दौरे पर गंभीर सवाल उठाये हैं। आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री चेहरा कर्नल कोठियाल ने भी सोशल मीडिया के जरिये कहा कि ‘आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूं तो धार्मिक यात्रा पर आए थे लेकिन श्री केदारनाथ धाम के प्रांगण से दिए गए उनके भाषण से ऐसा लगा मानो वे चुनावी यात्रा पर आए हों, लिहाजा उनसे कुछ सीधे सवाल बनते हैं।
जिन तीर्थ पुरोहितों के समर्पण को आपने अपने भाषण में सराहा, उनके अधिकारों, हक-हकूकों पर चोट करने वाले देवस्थानम बोर्ड को लेकर आपने एक शब्द भी नहीं कहा। उत्तराखंड की जनता को उम्मीद थी की विश्व भर के हिंदुओं की आस्था को ध्यान में रखते हुए वर्षों पुरानी परंपरा को ठेस पहुंचाने वाले इस देवस्थानम बोर्ड को आप रद्द करेंगे लेकिन आपकी चुप्पी ने सभी को निराश किया है।
आज आपके स्वागत में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी आए थे, जिन्होंने देवस्थानम बोर्ड को ऐतिहासिक निर्णय बताते हुए उसका विरोध कर रहे तीर्थ-पुरोहितों को स्वार्थी कहा। हमारे तीर्थ-पुरोहितों के लिए ऐसे अपमानजनक शब्द कहने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत की यह भाषा क्या भाजपा की आधिकारिक लाइन है ? अगर नहीं, तो आपने त्रिवेंद्र सिंह रावत को इस अपमानजनक बयान देने पर कोई ‘नसीहत’ क्यों नहीं दी ?
देवस्थानम बोर्ड के विरोध की मुख्य वजह ‘परंपराओं की रक्षा’ है। आज पहली बार केदरनाथ धाम में मंदिर परिसर के गर्भगृह के अंदर के दृष्यों को कैमरे के जरिए लाइव दिखाकर हजारों साल पुरानी परंपरा तोड़ी गई। क्या धामी सरकार के देवस्थानम बोर्ड द्वारा किया गया यह अपराध आपको स्वीकार्य है ?
कुछ दिन पहले ही प्रदेश के मुख्यमंत्री धामी ने बताया था कि उत्तराखंड में आई आपदा के चलते 7000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इस बयान के बाद दो बार देश के गृहमंत्री अमित शाह और अब आप उत्तराखंड आकर वापस लौट गए लेकिन राहत पैकेज का ऐलान करना तो दूर, आपने इस आपदा का जिक्र करना तक मुनासिब क्यों नहीं समझा ?
आज अपने भाषण में आपने वही सारी चुनावी बातें दोहराईं जो पांच साल पहले विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान रैलियों में कही थीं। तब भी आपने पहाड़ के पानी और जवानी को पहाड़ के काम में लाने का भरोसा दिलाया था। आज पांच साल बाद भी आप इसी नारे को दोहराकर चले गए। पांच साल में भाजपा सरकार ने इस नारे को सार्थक करने के लिए क्या-क्या काम किए ?
अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी क्यों नहीं बता पाए कि पांच साल पहले उत्तराखंड की जनता से भाजपा ने रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, पलायन आदि को लेकर जो-जो चुनावी वादे किए थे, धरातल पर उन वादों की हकीकत क्या है?