September 22, 2024

नगालैंड फायरिंग: लोगों में रोष, हॉर्नबिल उत्सव एक दिन के लिए रुका, एनएचआरसी ने दिया केंद्र और राज्य को नोटिस

नगालैंड के मोन जिले में सुरक्षा बलों द्वारा की गई कथित गोलीबारी में 14 आम नागरिकों की मौत ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया है। नागालैंड के प्रतिष्ठित हॉर्नबिल उत्सव के मुख्य स्थल किसामा में सुरम्य नगा विरासत गांव में सोमवार को वीराना पसरा रहा क्योंकि सरकार ने मोन जिले में आम नागरिकों को मार डाले जाने के खिलाफ एकजुटता दर्शाने के लिए निर्धारित कार्यक्रमों को रद्द कर दिया। वहीं इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने सोमवार को केंद्र और नगालैंड को नोटिस जारी किया।

आयोग ने एक बयान में कहा कि एनएचआरसी ने उन मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है, जिनमें बताया गया है कि मोन जिले में शनिवार शाम कुछ कोयला खदानकर्मी एक पिकअप वैन में सवार होकर लौट रहे थे और इसी दौरान सेना के जवानों की गोलीबारी में कई आम नागरिकों की मौत हो गई।

आयोग ने कहा कि खबरों में बताया गया कि सुरक्षा बल ने उग्रवादियों की गतिविधि की सूचना मिलने पर कार्रवाई की और इसी गलतफहमी में इलाके में अभियान चला रहे सैन्यकर्मियों ने वाहन पर कथित रूप से गोलीबारी की।

बयान के मुताबिक, आयोग ने रक्षा सचिव, केंद्रीय गृह सचिव, नगालैंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर छह सप्ताह के भीतर इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

इसके मुताबिक, रिपोर्ट में विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा की जा रही जांच की स्थिति, मृतकों के आश्रितों को उपलब्ध कराई गई राहत, घायलों के उपचार की स्थिति समेत मामले में दर्ज मुकदमों का विवरण मुहैया कराने की उम्मीद की गई है।

वहीं लोगों हॉर्नबिल उत्सव भी एक दिन के लिए रुक गया।बता दें कि वार्षिक दस-दिवसीय हॉर्नबिल उत्सव एक दिसंबर से शुरू हुआ जिसमें राज्य की विभिन्न जनजातियां अपनी परंपराओं का प्रदर्शन करती हैं। उत्सव में देश-विदेश से हजारों की संख्या में पर्यटक भाग ले रहे हैं। इसमें अमेरिका, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों के राजनयिकों ने भी हिस्सा लिया है।

मोन में आम नागरिकों की हत्या पर गुस्सा व्यक्त करते हुए, पूर्वी नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ईएनपीओ) के तहत छह जनजातियों और कुछ अन्य जनजातियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग नहीं लेने का निर्णय लिया। कोन्यक जनजाति का शीर्ष संगठन, कोन्यक यूनियन ने भी त्योहार से कदम पीछे हटाने का फैसला किया। मारे गए लोग इसी जनजाति से थे।

इसके बाद, लगभग सभी आदिवासी निकायों ने अगली सूचना तक उत्सव में भाग नहीं लेने का फैसला किया। बाद में, राज्य सरकार ने अधिसूचित किया कि कार्यक्रम सोमवार को नहीं होंगे। किसामा के आसपास का पूरा इलाका वीरान नजर आया और सिर्फ पुलिस कर्मी मौजूद रहे।


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