विपक्ष के भारी हंगामे के बीच लोकसभा में चुनाव सुधार बिल पेश
आज विपक्ष के भारी हंगामे के बीच लोकसभा में चुनाव सुधार बिल पेश कर दिया गया है। सबसे खास बात यह रही कि टीएमसी ने इसका समर्थन कर दिया। इससे पहले एआईएमआईए के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने आधार को वोटर आईडी से जोड़ने की सरकार की योजना का विरोध करते हुए इस संबंध में लोकसभा में नोटिस दिया था। ओवैसी ने इसे प्राइवेसी के मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन बताया। उन्होंने लोकसभा सचिवालय को भेजे अपने नोटिस में कहा है कि यह सदन व्यक्ति के मूलभूत अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। इस बिल में आधार को आवश्यक कर दिया गया जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे केवल कल्याणकारी योजनाओं तक सीमित रखा है।
ओवैसी ने अपने नोटिस में पुट्टास्वामी वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया के केस का भी हवाला दिया। उन्होंने चिट्ठी में लिखा है कि किसी व्यक्ति की सुरक्षा और प्राइवेसी को इस प्रक्रिया से नुकसान पहुंच सकता है।
Submitted notice to oppose Election Laws (Amendment), Bill 2021 which proposes to link AADHAAR to electoral roll enrolment. pic.twitter.com/dSEq7jhQKA
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 20, 2021
आपको बता दें कि केंद्रीय कैबिनेट ने चुनाव संबंधित विधेयक को मंजूरी दे दी है। इस विधेयक में आधार को वोटर आईडी से लिंक करने की योजना है। सूत्रों के मुताबिक आधार कार्ड को वोटर आईडी से जोड़ने का फैसला स्वैच्छिक होगा। सरकार ने चुनाव आयोग की सिफारिश के आधार पर ही यह फैसला किया है। आयोग का मत है कि आधार को वोटर आईडी से जोड़ने से चुनावों में धांधली रोकी जा सकेगी।
चुनाव आयोग की मांग है कि नए वोटर आईडी के अप्लाई करने वाले व्यक्ति के लिए आधार की जानकारी अनिवार्य कर देना चाहिए। आयोग का मत है कि आधार और वोटर आईडी एक दूसरे से लिंक होने पर काफी परेशानियां अपने आप खत्म हो जाएंगी। सबसे बड़ी समस्या यह है कि वर्तमान वोटर लिस्ट में कई नाम बार-बार आ जाते हैं।
प्रस्तावित बिल देश के युवाओं को हर साल चार अलग-अलग तारीखों पर खुद को वोटर के तौर पर रजिस्टर करने की इजाजत भी देगा। यानी वोटर बनने के लिए अब साल में चार तारीखों को कटऑफ माना जाएगा। अब तक हर साल पहली जनवरी या उससे पहले 18 साल के होने वाले युवाओं को ही वोटर के तौर पर रजिस्टर किए जाने की इजाजत है।