September 22, 2024

अमेरिकी विशेषज्ञ का दावा, भारत में अगले महीने पीक पर होगा ओमिक्रॉन, रोज आएंगे 5 लाख केस

वैश्विक महामारी कोरोना और कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन का कहर एक बार फिर दुनिया भर के देशों में बढ़ गया है। भारत में भी अब एक दिन में एक लाख से उपर के कोरोना के नए केस आने लगे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो भारत में कोरोना की तीसरी लहर की शुरुआत हो गई है। जानकारों के मुताबिक भारत में कोरोना की तीसरी लहर फरवरी के मध्य मे होगा। इस दौरान एक दिन नें  भारत में प्रतिदिन पांच लाख से ज्यादा कोरोना केस सामने आएंगे।

अमेरिका के वाशिंगटन में स्वास्थ्य मेट्रिक्स और मूल्यांकन संस्थान  के निदेशक और स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉक्टर क्रिस्टोफर मूरे का कहना है कि भारत देश में डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन कम गंभीर होगा।  डॉक्टर मूरे का कहना है कि ‘आप ओमिक्रॉन की लहर में प्रवेश कर रहे हैं, दुनिया के बाकी कई देशों की तरह, और हमें इस बात की आशंका है कि पीक के दौरान भारत में रोजाना बड़ी संख्या में मामले आएंगे, जितने मामले डेल्टा की लहर में सामने आए, ये उससे अधिक होंगे लेकिन ओमिक्रॉन बहुत कम गंभीर है।’

साथ ही उन्होंने कहा कि ‘तब बहुत मामले आएंगे और रिकॉर्ड स्तर पर होंगे। लेकिन बीमारी कम गंभीर रहेगी। अभी हम मॉडल्स पर काम कर रहे हैं, जिन्हें बाद में जारी किया जाएगा, हमें लगता है कि पीक के समय पांच लाख मामले भी आ सकते हैं, जो अगले महीने देखने को मिल सकता है।’

डॉक्टर मूरे का आगे कहना है कि ‘हमें दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों से पता चला है कि टीकाकरण के चलते बीमारी की गंभीर स्थिति से बचने में मदद मिलती है, इससे मौत या फिर अस्पताल में भर्ती होने का खतरा भी कम होता है  इसलिए हमें लगता है कि भारत में भी ओमिक्रॉन के बहुत मामले आएंगे, लेकिन डेल्टा की लहर के मुकाबले अस्पतालों में कम लोग भर्ती होंगे और कम मौत दर्ज होंगी।’

कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन पर डॉक्टर मूरे का कहना है कि, ‘हमें लगता है कि संक्रमण के 85.2 फीसदी मामलों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देंगे। ये बिना लक्षण वाले मामले होंगे लेकिन इनमें भी हमें लगता है कि कई लोग अस्पताल में भर्ती हो सकते हैं और मौत हो सकती हैं। हम अब भी कई लोगों को अस्पताल में भर्ती होते देख रहे हैं और मौत के मामलों की बात करें, तो इसका आंकड़ा कम ही रहेगा। ऐसे में भारत में डेल्टा लहर से तुलना करें, तो अस्पतालों में लोगों के भर्ती होने की दर एक चौथाई होगी और डेल्टा की लहर के मुकाबले मौत भी कम होंगी।’


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