September 22, 2024

राहत पैकेज के जरिए क्या सरकार प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों पर कब्जा करेगी? गवर्नमेंट ने दिए सभी सवालों के जवाब

15 सितंबर, 2021 को केंद्र सरकार ने देश की प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों की आर्थिक सेहत को सुधराने के लिए राहत पैकेज  का ऐलान किया था. इसके बाद वोडाफोन-आइडिया  ने सरकार को पैसा चुकाने की जगह कंपनी में हिस्सेदारी ऑफर की है. इन्हीं खबरों का असर कंपनियों के शेयरों पर भी दिखा है. इसी के चलते वोडाफोन आइडिया के शेयर में भारी गिरावट आई थी. इन्हीं सब मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार ने राहत पैकेज से जुड़े कुछ सवालों के जवाब जारी किए है. आइए इससे जुड़ी सभी बातों के बारे में जानते हैं…

सवाल- क्या सरकार किसी टेलीकॉम कंपनी पर कब्जा करने के लिए भुगतान कर रही है. 

जवाब- सरकार का कहना है कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. किसी टीएसपी के शेयरों के अधिग्रहण को लेकर सरकार कुछ भी भुगतान नहीं कर रही है. 15 सितंबर 2021 को घोषित दूरसंचार सुधार पैकेज के अनुसार कुछ टीएसपी द्वारा कुछ भुगतान जो कंपनियों को करना है. उसके विकल्प के तौर पर उस रकम को इक्विटी यानी हिस्सेदारी में बदला गया है.

जवाब- टेलीकॉम कंपनियां लंबे समय से कानूनी झगड़े के दौर से गुजर रही है. नतीजतन सभी टेलीकॉम कंपनियों पर बड़ी मात्रा में पैसों की देनदारियां हैं. इन बड़ी रकम को चुकाने में कंपनियां असमर्थ थी. इसीलिए सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों के लिए राहत पैकेज का ऐलान किया.

इन सुधारों के तहत टीएसपी को सरकार के लिए कुछ निश्चित ब्याज देनदारियों को सरकार के पक्ष में इक्विटी/वरीयता शेयरों में बदलने का विकल्प दिया गया था.

जबकि कुछ कंपनियों ने अपनी देनदारियों को इक्विटी/वरीयता शेयरों में परिवर्तित नहीं करने का विकल्प चुना. तीन कंपनियों ने देनदारियों को इक्विटी/ वरीयता शेयरों में परिवर्तित करने के विकल्प का प्रयोग किया है. उन्होंने अपनी देनदारियों के बदले सरकार को इस विकल्प की पेशकश की है.

सवाल-सरकार टेलीकॉम कंपनियों शेयरों का अब क्या करेगी

जवाब-सरकार इन शेयरों को उचित समय पर बेच सकती है और देय राशि प्राप्त कर सकती है.

सवाल-क्या इससे ये तीनों कंपनियां सरकारी हो जाएंगी

जवाब-नहीं. ये तीनों कंपनियां पीएसयू नहीं बनेंगी. इन तीनों कंपनियों को पेशेवर रूप से संचालित निजी कंपनियों के रूप में देखभाल करना जारी रहेगा.

सवाल-टेलीकॉम इंडस्ट्री और आम आदमी पर क्या होगा असर ?

जवाब- टेलीकॉम इंडस्ट्री को स्वस्थ और प्रतिस्पर्धी बने रहने की जरूरत है. महामारी के समय में सरकार के सुधार और सहयोग का मतलब है कि कंपनियां अपने व्यवसाय को बनाए रखने में सक्षम होंगी.

यह उस टेंशन को भी रोकेगा जहां बाजार में बहुत कम खिलाड़ी होंगे. प्रतिस्पर्धा की ऐसी संभावित कमी से कीमतें बढ़ेंगी और सेवाएं खराब हो सकती हैं. बाजार में पर्याप्त प्रतिस्पर्धा आम आदमी के हितों की रक्षा करती है.

देनदारियों को इक्विटी/वरीयता शेयरों में बदलने के साथ ही इस क्षेत्र को निवेश करने और बेहतर सेवाएं देने की क्षमता वापस मिल गई है. कंपनियां निवेश करने की क्षमता भी बरकरार रखती हैं, ताकि दूरसंचार सेवाएं दूर दराज क्षेत्रों तक पहुंच सकें.


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