September 23, 2024

न उम्मीदवारों की सूची-न सीट शेयरिंग की सूचना, सपा के साइलेंट एक्शन के पीछे क्या रणनीति?

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण के नामांकन की प्रक्रिया चल रही है. बीजेपी ने 107 उम्मीदवारों की अपनी पहली लिस्ट सार्वजनिक रूप से जारी कर दी है और सहयोगी दलों के साथ सीट बंटवारे का भी सोमवार को ऐलान कर देगी. बसपा ने भी पहले चरण की सीटों के लिए कैंडिडेट के नामों का ऐलान कर दिया है तो कांग्रेस 125 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी कर चुकी है. वहीं, सपा ने सार्वजनिक रूप से कोई सूची अभी तक जारी नहीं की है, बल्कि प्रत्याशियों को सिंबल के लिए जरूर फॉर्म ए और बी दे रही है.

सपा ने इस बार के चुनाव में न तो अपने सहयोगी दलों के साथ किसी तरह का सीट बंटवारे का सार्वजनिक रूप से ऐलान किया है और न ही कैंडिडेट के नामों की कोई लिस्ट जारी की है. सपा के सहयोगी दल आरएलडी ने जरूर अभी तक 36 सीटों पर कैंडिडेट के नाम का ऐलान किया है, जिसमें 10 सीट पर सपा प्रत्याशी के नाम भी शामिल थे. हालांकि, इसके चलते कई सीटों पर सपा के सहयोगी दलों के साथ समीकरण भी गड़बड़ा रहे हैं. मथुरा की माठ सीट पर सपा और आरएलडी दोनों ने ही अपने-अपने नेता को चुनाव सिंबल दे रखा है.

सपा क्यों नहीं जारी कर रही कैंडिडेट सूची?

पहले चरण की सीटों के लिए सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के नाम का ऐलान पार्टी की तरफ से नहीं किया गया बल्कि आरएलडी ने अपने कैंडिडेटों के साथ उनके नाम की घोषणा की है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्या वजह है कि सपा प्रत्याशियों की सूची और सहयोगी दलों के साथ सीट बंटवारे की सार्वजनिक घोषणा से बच रही है.

समाजवादी पार्टी की यह सोची समझी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. सपा किसी तरह के सियासी विवाद से बचने के लिए टिकटों का ऐलान नहीं कर पा रही. बीती शाम मेरठ जिले की सरधना सीट से सपा ने अतुल प्रधान और हस्तिनापुर सीट से योगेश वर्मा का टिकट फाइनल किया है, लेकिन इसका भी ऐलान सपा ने नहीं किया. इन दोनों ही नेताओं के सपा सिंबल मिलने की चर्चा तब हुई जब दोनों के नाम के फॉर्म ए और बी सामने आए. </p>

रामगोपाल यादव दे रहे हैं सिंबल फॉर्म

सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव के जारिए कैंडिडेट को फॉर्म ए और बी जारी किए जा रहे हैं ताकि प्रत्याशी नामांकन कर सकें. सहारनपुर जिले की सीटों पर भी सपा ने जिन प्रत्याशियों के नाम पर मुहर लगाई है, उनके नाम का भी सार्वजनिक रूप से ऐलान नहीं किया गया बल्कि उन्हें भी फॉर्म ए और बी दिए गए हैं. उदाहारण के तौर पर सहारनपुर देहात से सपा ने आशु मलिक को प्रत्याशी बनाया है तो बेहट सीट से उमर अली खान को उम्मदीवार बनाया गया गया है.

दरअसल, इस बार के विधानसभा चुनाव में दूसरे दलों से नेताओं का समाजवादी पार्टी में जबरदस्त हुजूम आया है. सपा की हालत एक अनार और सौ बीमार वाली हो गई है. सपा के टिकट के लिए एक-एक सीट पर कम से कम दस बड़े नेताओं ने दावेदारी कर रखी है. ऐसे में सभी नेताओं को उम्मीद है कि पार्टी उन्हें टिकट देगी, लेकिन सपा को नए और पुराने नेताओं में बैलेंस बनाना पड़ रहा है.

कई दिग्गज नेताओं का सपा ने काटा टिकट

इमरान मसदू, मसूद अख्तर, कादिर राणा, गुड्डू पंडित, चौधरी विरेंद्र सिंह, हाजी शाहिद अखलाक जैसे नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टी छोड़कर सपा का दामन जरूर थामा, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल पाया. आखिर वक्त में अब इन सारे नेताओं के पास कोई सियासी विकल्प नहीं बचा, जिससे वो चुनावी मैदान में उतरकर किस्मत आजमा सकें.

सपा की रणनीति है कि पार्टी में जिन्हें टिकट नहीं मिल रहा है, वो किसी तरह से दूसरे दल से जाकर चुनाव लड़ने की स्थिति में न रहें. इसीलिए सपा आखिर वक्त में कैंडिडेट को बुलाकर फॉर्म ए और बी दे रही है. सपा से जिन्हें टिकट मिलना है, उन्हें अखिलेश यादव ने बता दिया है कि वह चुनाव की तैयारी करें. वो टिकट के लिए लखनऊ में डेरा न जमाएं बल्कि क्षेत्र में रहें और उनके पास नामांकन से पहले फॉर्म ए और बी पहुंच जाएगा.

सपा सहयोगी दलों के साथ सीट पर तालमेल

सपा ने जिस तरह से सार्वजनिक रूप से कैंडिडेट के नाम का ऐलान न करने की जो रणनीति बनाई है, उससे जरिए यह भी मकसद है कि सपा के टिकटों पर किसी तरह का जातीय विश्वलेषण न हो सके. यही वजह है कि एक साथ नामों का ऐलान करने के बजाय एक-एक और दो-दो कैंडिडेट को फॉर्म एक और बी दिए जा रहे हैं. ऐसे में चुनाव लड़ने वाले कैंडिडेटों को हरी झंडी मिल चुकी है, वो अपने-अपने क्षेत्रों में चुनाव प्रचार में जुटे हैं.

वहीं, सपा ने इस बार के चुनाव में तमाम छोटे दलों के साथ गठबंधन किया है. माना जा रहा है कि करीब एक दर्जन छोटे दल के साथ तालमेल बनाया है, लेकिन गठबंधन में किस दल को कितनी सीटें मिली हैं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इसकी कोई सार्वजनिक घोषणा नहीं की है बल्कि सहयोगी दलों के साथ बैठकर जरूर उनके साथ सीट के तालमेल बैठाने का काम किया है. इतना ही नहीं, सपा ने कई सहयोगी दलों से सिर्फ उनके कैंडिडेट के नाम मांगे हैं, जो सपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे. इसमें महान दल, जनवादी पार्टी, अपना दल और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के नाम हैं.


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